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किन्नौर प्रशासन पर भेदभाव का आरोप, जमीनी अधिकार के लिए लोगों ने निकाली रैली

जनजातीय जिला किन्नौर में वन अधिकार अधिनियम के तहत एक रैली का आयोजन किया गया. वन अधिकार समिति के अध्यक्ष जियालाल नेगी ने कहा कि नोतोड़ के तहत किन्नौर में अभी करीब 10 हजार से अधिक मामले लंबित पड़े हुए हैं.

Himalok Jagriti Manch relly
जमीनी अधिकार के लिए लोगों ने निकाली रैली
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Published : Dec 9, 2019, 7:54 PM IST

किन्नौर: रिकांगपिओ में वन अधिकार संघर्ष समिति और हिमलोक जागृति मंच के बैनर तले एक रैली का आयोजन किया गया. वन अधिकार अधिनियम के तहत मिलने वाली जमीनी अधिकार और नौतोड़ को लेकर रैली निकाली गई.

वन अधिकार समिति के अध्यक्ष जियालाल नेगी ने कहा कि पिछले 11 वर्ष पूर्व से ही वन अधिकार अधिनियम 2006 लागू हुआ है, लेकिन किन्नौर में आज भी लोगों को इस अधिनियम के तहत भूमि नहीं मिली और ना ही कोई पट्टे जारी किए गए. जिसके चलते संघर्ष समिति के अधिकार के लिए संघर्ष कर रही है.

वीडियो.

समिति के अध्यक्ष ने कहा कि उपायुक्त किन्नौर ने वन अधिकार अधिनियम लागू करने के बजाय किन्नौर में 47 लोगों के केस रिजेक्ट कर दिए, जबकि प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पीति में 76 व भरमौर में इस अधिनियम के तहत 53 लोगों को पट्टे दिए गए हैं.

नेगी ने कहा कि जब विद्युत परियोजनाओं पर काम चलते हैं तो बिना किसी कंडीशन के परियोजना सरकार अपने काम इस अधिनियम के तहत कर रही है, लेकिन जब आम लोगों पर अधिकार अधिनियम के लागू होने की बात आती है तो प्रशासन व सरकार दोनों लोगों के सामने दीवार बनकर खड़े हो जाते हैं.

किन्नौर: रिकांगपिओ में वन अधिकार संघर्ष समिति और हिमलोक जागृति मंच के बैनर तले एक रैली का आयोजन किया गया. वन अधिकार अधिनियम के तहत मिलने वाली जमीनी अधिकार और नौतोड़ को लेकर रैली निकाली गई.

वन अधिकार समिति के अध्यक्ष जियालाल नेगी ने कहा कि पिछले 11 वर्ष पूर्व से ही वन अधिकार अधिनियम 2006 लागू हुआ है, लेकिन किन्नौर में आज भी लोगों को इस अधिनियम के तहत भूमि नहीं मिली और ना ही कोई पट्टे जारी किए गए. जिसके चलते संघर्ष समिति के अधिकार के लिए संघर्ष कर रही है.

वीडियो.

समिति के अध्यक्ष ने कहा कि उपायुक्त किन्नौर ने वन अधिकार अधिनियम लागू करने के बजाय किन्नौर में 47 लोगों के केस रिजेक्ट कर दिए, जबकि प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पीति में 76 व भरमौर में इस अधिनियम के तहत 53 लोगों को पट्टे दिए गए हैं.

नेगी ने कहा कि जब विद्युत परियोजनाओं पर काम चलते हैं तो बिना किसी कंडीशन के परियोजना सरकार अपने काम इस अधिनियम के तहत कर रही है, लेकिन जब आम लोगों पर अधिकार अधिनियम के लागू होने की बात आती है तो प्रशासन व सरकार दोनों लोगों के सामने दीवार बनकर खड़े हो जाते हैं.

Intro:अपने अधिकारों के लिए लोग उतरे सड़को पर,वन अधिकार अधिनियम पूरे देश भर में लागू लेकिन किन्नौर में प्रशासन व सरकार कर रही भेदभाव,हज़ारो लोगो से छीना जा रहा भूमि का हक।


जनजातीय जिला किन्नौर में आज वन अधिकार अधिनियम के तहत आज रिकांग पिओ में जिला वन अधिकार संघर्ष समिति व हिम लोक जागृति मंच के बैनर तले एक रैली का आयोजन किया गया।




Body:इस रैली में जिला भर के सैकड़ों लोग मौजूद रहे बता दे कि इस रैली में लोगों की मुख्य मांगे वन अधिकार अधिनियम के तहत मिलने वाली जमीनी अधिकार व नोतोड़ का प्रमुख मुद्दा रहा जिला वन अधिकार समिति के अध्यक्ष जियालाल नेगी ने कहा कि पिछले 11 वर्ष पूर्व से ही वन अधिकार अधिनियम 2006 लागू हुआ है लेकिन किन्नौर में आज भी लोगों को इस अधिनियम के तहत भूमि नहीं मिली ना ही कोई पट्टे जारी किए गए जिसके चलते संघर्ष समिति के अधिकार के लिए संघर्ष कर रही है और प्रशासन व सरकार जिला किन्नौर के साथ भेदभाव कर रही है और लोगों को भी अधिकार नहीं देना चाहती है ।

उन्होंने कहा कि उपायुक्त किन्नौर ने वन अधिकार अधिनियम लागू करने के बजाय उल्टा किन्नौर में 47 लोगों के केस रिजेक्ट कर दिए जबकि प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पीति में 76 व भरमौर में इस अधिनियम के तहत 53 लोगों को पट्टे दिए गए हैं ।

उन्होंने कहा कि जब विद्युत परियोजनाओं पर काम चलते हैं तो बिना किसी कंडीशन के परियोजना सरकार अपने काम इस अधिनियम के तहत कर रही है लेकिन जब आम लोगों पर अधिकार अधिनियम के लागू होने की बात आती है तो प्रशासन व सरकार दोनों आम लोगो के सामने दीवार बनकर खड़े हो जाते हैं।
नेगी ने कहा कि किन्नौर में नोतोड़ के तहत किन्नौर में अभी करीब 10 हज़ार से अधिक मामले लंबित पड़े हुए हैं और सरकार इस पर भी कई कंडीशन लगाकर लोगों को अधिकार से वंचित कर रही है ।




Conclusion:नेगी ने कहा कि उपायुक्त किन्नौर जनजातीय लोगों से भेदभाव कर रहे हैं और वन अधिकार अधिनियम को लागू नहीं कर रहे हैं ना ही नोतोड़ पर कोई काम कर रहे हैं केवल सरकार व प्रशासन केवल जल विद्युत परियोजना व सड़कों पर ही वन अधिकार नियम लागू कर रहे हैं जो सरासर गलत है।



बाईट---जिया लाल नेगी-----जिला वन अधिकार समिति अध्यक्ष किन्नौर ।
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