किन्नौर: जनजातीय जिले में उपायुक्त के तबादले की मांग जोर पकड़ने लगी है. पुरबनी पंचायत के पूर्व उप प्रधान और वन अधिकार संघर्ष समिति के सदस्यों के बीच कईं बार बहसबाजी हो चुकी है.
वन अधिकार संघर्ष समिति के सदस्य दुर्गाचंद्र ने बताया उपायुक्त नहीं चाहते जनजातीय लोगों का विकास हो इसलिए सरकार से तबादले की मांग कर रहे हैं. लिप्पा गांव में 47 गरीब लोगों के भूमि के पट्टे रद्द कर दिए. विद्युत परियोजनाओं को बिना पंचायतों के एनओसी भूमि दे रहे हैं. पूर्व के सभी उपायुक्तों ने एफआरए व नोतोड़ के कागजी कार्यों पर कोई बाधा उत्पन्न नहीं की पर अब ऐसा हो रहा है.
उन्होंने कहा किन्नौर में नोतोड़ को लेकर भी कोई काम नहीं कर रहे हैं जबकि पूरे हिमाचल में नोतोड़ व एफआरए के तहत एफसीए कानून लागू हुआ है लेकिन एफसीए कानून को लागू नहीं किया जा रहा है. सब मझधार में फंस गए हैं. लोगों के पास अपनी भूमि नहीं होने के कारण वनों में बाग बगीचे तैयार कर दिए और अब उपायुक्त लोगों से रहने का प्रमाण पत्र मांग रहे हैं.
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