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जनमंच कार्यक्रम में उपजे विवाद पर गरमाई राजनीति, कांग्रेस-भाजपा के बीच जुबानी जंग - मंत्री सरवीण चौधरी

वन विभाग के उपाध्यक्ष सूरत नेगी ने विधायक जगत सिंह नेगी पर आरोप लगाया है कि वो क्षेत्र में विलेन की भूमिका निभा रहे हैं. विधायक हर विकास कार्यों में अड़ंगा लगा रहे हैं. वहीं, विधायक जगत सिंह नेगी ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है.

Controversy between Kinnaur MLA and Sarvin Chaudhary
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Published : Jun 18, 2019, 1:32 PM IST

रिकांगपिओ: किन्नौर जनमंच में मंत्री और विधायक के बीच उपजे विवाद के बाद राजनीति गरमा गई है. किन्नौर जिला विधायक जगत सिंह नेगी और हिमाचल वन निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी के बीच इस मामले में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है.

वन विभाग के उपाध्यक्ष सूरत नेगी ने विधायक जगत सिंह नेगी पर आरोप लगाया है कि वो क्षेत्र में विलेन की भूमिका निभा रहे हैं. विधायक हर विकास कार्यों में अड़ंगा लगा रहे हैं. वहीं, विधायक जगत सिंह नेगी ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है.

विधायक का कहना है कि जनमंच कार्यक्रम में आए मंत्रियों को न तो प्रॉटोकॉल का पता है न ही किन्नौर के लोगों की प्रमुख समस्या नौतोड़ की जानकारी. मौजूदा सरकार और मंत्री किन्नौर के लोगों को विकास के नाम परर गुमराह कर रहे हैं.

बता दें कि बीते रविवार को किन्नौर जिले के रिकांगपीओ में जनमंच का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी ने की थी. इस दौरान किन्नौर कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी और सरवीण चौधरी के बीच पंचायत प्रधान के एक सवाल को लेकर मंच पर ही विवाद हो गया था.

पढ़ेंः जनमंच में खूब हुआ हंगामा, मंत्री सरवीण चौधरी और विधायक जगत सिंह नेगी के बीच जमकर हुई बहस

अब ये विवाद थमने की बजाए राजनीतिक रंग लेता जा रहा है. जनमंच के दौरान विधायक ने वन विभाग के उपाध्यक्ष सुरत सिंह नेगी पर अशोभनीय टिप्पणी भी की थी. वहीं, उस दौरान विधायक और उनके समर्थकों ने कार्यक्रम में हंगामा कर उसका बायकॉट कर दिया था.

हिमाचल वन निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी ने आरोप लगाया है कि विधायक ने पिछले पांच सालों में स्थानीय क्षेत्र विकास निधि का बड़े पैमाने पर दुरूपयोग किया है। सूरत नेगी ने कहा कि वो इस मामले में मांग करेंगे की एक एसआईटी का गठन हो और तथ्यों की गहराई से जांच हो.

सूरत नेगी ने कहा कि विधायक ने जिस प्रधान के पक्ष में जनमंच कार्यक्रम के दौरान हंगामा खड़ा किया था, विधायक ने उस पंचायत को स्थानीय क्षेत्र की विकास निधि से 22 लाख रुपये जारी करवाए थे जिसमें 16 लाख रुपयों की गड़बड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि विधायक इलाके में विकास कार्यों के बीच विलेन की भूमिका निभा रहे हैं.

जनमंच कार्यक्रम में उपजे विवाद पर गरमाई राजनीति.

वहीं, विधायक जगत सिंह नेगी का कहना है कि मंत्री जी ने महिला से बदसलूकी की है. इसके अलावा सरकार में बैठे लोग और अधिकारी किन्नौर की जनता को गुमराह कर रहे हैं. जनमंच के दौरान लोगों को खुलकर बात रखने का मौका नहीं मिल रहा है.

उन्होंने कहा कि मंत्री जी यहां लोगों की समस्याओं का निपटान करने के लिए आईं थी, लेकिन उन्हें नौतोड़ भूमि मामले की कोई जानकारी नहीं है और न ही उन्हें प्रोटोकॉल पता है. नौतोड़ भूमि मामले में किन्नौर के लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है. इस तरह से जनमंच कार्यक्रम लोगों के समय और सरकार के पैसे की बर्बादी है.

वहीं, इस विवाद के बीच ये जानना भी जरूरी हो जाता है कि आखिर जिस मुद्दे को लेकर ये विवाद हुआ है वो नौतोड़ भूमि मामला है क्या.

क्या है नौतोड़ भूमि मामला?
हिमाचल में 1970 में जिन परिवारों के पास कम भूमि थी सरकार ने उन्हें कुछ भूमि प्रदान की ती, इसे नौतोड़ नाम दिया गया था. इसके लिए राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश नौतोड़ एक्ट 1968 बनाया था. इस एक्ट के तहत नौतोड़ के लिए उन लोगों को पात्र माना गया था जिनकी सालाना आय दो हजार रुपये से कम थी.

राज्य सरकार ने 1968 के एक्ट के तहत तत्कालीन नियमों के तहत ही लोगों को नौतोड़ जमीन दी थी. इसमें पांच बीघा जमीन दी गई थी. इसके बाद प्रदेश हाईकोर्ट ने इसमें आदेश दिए थे कि नौतोड़ के तहत दी भूमि को सरकार वापस ले. हाईकोर्ट के आदेशों के बाद इस फैसले को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला लिया था.

इसके बाद अब साढ़े चार दशक के बाद इस भूमि को वापस लेने की प्रक्रिया चल रही थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नौतोड़ भूमिधारकों को राहत देते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. इसमें राजस्व विभाग की ओर से पूरा मसौदा तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में सरकार की पैरवी के लिए सौंपा गया था.

रिकांगपिओ: किन्नौर जनमंच में मंत्री और विधायक के बीच उपजे विवाद के बाद राजनीति गरमा गई है. किन्नौर जिला विधायक जगत सिंह नेगी और हिमाचल वन निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी के बीच इस मामले में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है.

वन विभाग के उपाध्यक्ष सूरत नेगी ने विधायक जगत सिंह नेगी पर आरोप लगाया है कि वो क्षेत्र में विलेन की भूमिका निभा रहे हैं. विधायक हर विकास कार्यों में अड़ंगा लगा रहे हैं. वहीं, विधायक जगत सिंह नेगी ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है.

विधायक का कहना है कि जनमंच कार्यक्रम में आए मंत्रियों को न तो प्रॉटोकॉल का पता है न ही किन्नौर के लोगों की प्रमुख समस्या नौतोड़ की जानकारी. मौजूदा सरकार और मंत्री किन्नौर के लोगों को विकास के नाम परर गुमराह कर रहे हैं.

बता दें कि बीते रविवार को किन्नौर जिले के रिकांगपीओ में जनमंच का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी ने की थी. इस दौरान किन्नौर कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी और सरवीण चौधरी के बीच पंचायत प्रधान के एक सवाल को लेकर मंच पर ही विवाद हो गया था.

पढ़ेंः जनमंच में खूब हुआ हंगामा, मंत्री सरवीण चौधरी और विधायक जगत सिंह नेगी के बीच जमकर हुई बहस

अब ये विवाद थमने की बजाए राजनीतिक रंग लेता जा रहा है. जनमंच के दौरान विधायक ने वन विभाग के उपाध्यक्ष सुरत सिंह नेगी पर अशोभनीय टिप्पणी भी की थी. वहीं, उस दौरान विधायक और उनके समर्थकों ने कार्यक्रम में हंगामा कर उसका बायकॉट कर दिया था.

हिमाचल वन निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी ने आरोप लगाया है कि विधायक ने पिछले पांच सालों में स्थानीय क्षेत्र विकास निधि का बड़े पैमाने पर दुरूपयोग किया है। सूरत नेगी ने कहा कि वो इस मामले में मांग करेंगे की एक एसआईटी का गठन हो और तथ्यों की गहराई से जांच हो.

सूरत नेगी ने कहा कि विधायक ने जिस प्रधान के पक्ष में जनमंच कार्यक्रम के दौरान हंगामा खड़ा किया था, विधायक ने उस पंचायत को स्थानीय क्षेत्र की विकास निधि से 22 लाख रुपये जारी करवाए थे जिसमें 16 लाख रुपयों की गड़बड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि विधायक इलाके में विकास कार्यों के बीच विलेन की भूमिका निभा रहे हैं.

जनमंच कार्यक्रम में उपजे विवाद पर गरमाई राजनीति.

वहीं, विधायक जगत सिंह नेगी का कहना है कि मंत्री जी ने महिला से बदसलूकी की है. इसके अलावा सरकार में बैठे लोग और अधिकारी किन्नौर की जनता को गुमराह कर रहे हैं. जनमंच के दौरान लोगों को खुलकर बात रखने का मौका नहीं मिल रहा है.

उन्होंने कहा कि मंत्री जी यहां लोगों की समस्याओं का निपटान करने के लिए आईं थी, लेकिन उन्हें नौतोड़ भूमि मामले की कोई जानकारी नहीं है और न ही उन्हें प्रोटोकॉल पता है. नौतोड़ भूमि मामले में किन्नौर के लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है. इस तरह से जनमंच कार्यक्रम लोगों के समय और सरकार के पैसे की बर्बादी है.

वहीं, इस विवाद के बीच ये जानना भी जरूरी हो जाता है कि आखिर जिस मुद्दे को लेकर ये विवाद हुआ है वो नौतोड़ भूमि मामला है क्या.

क्या है नौतोड़ भूमि मामला?
हिमाचल में 1970 में जिन परिवारों के पास कम भूमि थी सरकार ने उन्हें कुछ भूमि प्रदान की ती, इसे नौतोड़ नाम दिया गया था. इसके लिए राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश नौतोड़ एक्ट 1968 बनाया था. इस एक्ट के तहत नौतोड़ के लिए उन लोगों को पात्र माना गया था जिनकी सालाना आय दो हजार रुपये से कम थी.

राज्य सरकार ने 1968 के एक्ट के तहत तत्कालीन नियमों के तहत ही लोगों को नौतोड़ जमीन दी थी. इसमें पांच बीघा जमीन दी गई थी. इसके बाद प्रदेश हाईकोर्ट ने इसमें आदेश दिए थे कि नौतोड़ के तहत दी भूमि को सरकार वापस ले. हाईकोर्ट के आदेशों के बाद इस फैसले को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला लिया था.

इसके बाद अब साढ़े चार दशक के बाद इस भूमि को वापस लेने की प्रक्रिया चल रही थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नौतोड़ भूमिधारकों को राहत देते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. इसमें राजस्व विभाग की ओर से पूरा मसौदा तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में सरकार की पैरवी के लिए सौंपा गया था.


---------- Forwarded message ---------
From: ANIL NEGI <ywaringchaaras90@gmail.com>
Date: Tue, Jun 18, 2019, 8:57 AM
Subject: अनिल कुमार नेगी किन्नौर-18 जून
To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


किन्नौर जनमंच में मंत्री और विधायक के बीच उपजे विवाद के बाद राजनीति गरमाई। किन्नौर के एमएलए और हिमाचल वन निगम के उपाध्यक्ष जुबानी लड़ाई।

वन निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी ने लगाया आरोप किन्नौर में एमएलए निभा रहे है विलियन की भूमिका। हर विकास के मामले में डाल रहे है अड़ंगा।

दूसरी ओर एमएलए जगत सिंह नेगी का आरोप जनमंच में आये मंत्री को ना तो प्रोटोकॉल का ज्ञान और ना ही किन्नौर के लोगो की प्रमुख समस्या नौतोड़ की जानकारी। किन्नौर के लोगो को रहे है विकास के नाम पर गुमराह।...................



रविवार को हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला मुख्यालय रिकांग
पीओ में जनमंच का आयोजन। दौरान , जनमंच की अध्यक्षता करने आई शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी और किन्नौर के कांग्रेसी विधायक जगत सिंह नेगी
के बीच मंच पर एक पंचायत प्रधान के सवाल पर विवाद हो गया था। अब इस विवाद ने थमने की बजाए राजनैतिक रंग ले लिया है। जनमंच के दौरान विधायक जगत सिंह नेगी ने मंच पर बैठे हिमाचल वन निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी पर भी अभद्र व् अशोभनीय टिप्पणी कर दी थी । जगत सिंह नेगी और उन के
समर्थको द्वारा जनमंच में हंगामा करने के बाद जनमंच का बायकाट किया था। आज विधायक जगत सिंह नेगी और हिमाचल वन निगम के अध्यक्ष सूरत नेगी में
फिर से जुबानी जंग शुरू हो गई है। दोनों ही नेताओ द्वारा एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगते हुए माहौल को गर्म कर दिया है।


बाइट ---हिमाचल वन निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी ने बताया पिछले पांच वर्षो में विधायक ने स्थानीय क्षेत्र विकास निधि का बड़े पैमाने पर दुरूपयोग किया है। वे मांग करेंगे कि एसआईटी का गठन कर इस की गहराई से जाँच हो। उन्होंने कहा जिस पंचायत प्रधान के पक्ष में विधायक ने हंगामा खड़ा किया है, विधायक ने उस पंचायत को स्थानीय क्षेत्र विकास निधि का 22
लाख जारी करवाया था जिस में 16 लाख की गड़बड़ी हुई है।
उन्होंने बताया विधायक हर विकास व् जन कल्याण एवं समस्या से जुडी बैठकों में निराकरण बारे रास्ता निकालने में सहयोग की बजाये विध्न डाल रहे है। वे किन्नौर के विकास में विलियन की भूमिका निभा रहे है। उन्होंने बताया की विधायक मर्यादाओ को भूल अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे
है। वे उन से हैसियत पूछ रहे है, उन्हें ज्ञान होना चाहिए की सरकार में राज्य मंत्री के स्तर का ओहदा उन का है।


बाईट -2---------किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी ने बताया मंत्री ने महिला से बदसलूकी की है। दुसरा सरकार में बैठे लोग और अधिकारी किन्नौर के लोगो को गुमराह कर रहे है। जनमंच में लोगो को खुल कर बात रखने का मौक़ा नहीं
दिया जा रहा है। नौतोड़ भूमि मामले में लोगो को बेवकूफ बनाया जा रहा है। उन्होंने मंत्री पर भी आरोप लगाया की उन्हें नौतोड़ भूमि बारे जानकारी नहीं। और ना ही उन्हें प्रोटोकॉल का पता है। मंच पर सम्बोधन में भी उन्हें नजरअंदाज किया गया। उन्होंने बताया इस तरह से जन मंचो का आयोजन कर
लोगो का समय और सरकार का धन जाया किया जा रहा है।
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