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अद्भुत हिमाचल: एक ऐसा गांव जहां नहीं चलता देश का कानून, देव समाज से चलती है यहां की न्यायपालिका

देवभूमि की अनोखी संस्कृति और परंपराएं इसे अद्भुत बनाती हैं. ईटीवी भारत हिमाचल की खास पेशकश 'अद्भुत हिमाचल' में हम आपको जिला किन्नौर के रिकांगपिओ के लोगों की अटूट आस्था और यहां की देवी चण्डिका के कानून के बारे में बताएंगे.

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Published : Oct 4, 2019, 8:33 AM IST

अद्भुत हिमाचल: एक ऐसा गांव जहां नहीं चलता देश का कानून, देव समाज से चलती है यहां की न्यायपालिका

किन्नौर: रिकांगपिओ के साथ सटे कोठी गांव में देवी चण्डिका का भव्य मंदिर स्थित है. रिकांगपिओ और साइराग में मां के बनाए नियम और कानून लागू होते हैं. देवी चण्डिका साइराग की मालकिन मानी जाती हैं. जिनके रथ में सभी मूर्तियां सोने से बनी हुई हैं. क्षेत्र में देवी चण्डिका के नियम और कानून सख्ती से लागू होते हैं.

Adhubhut himachal
कोठी गांव में देवी चण्डिका का भव्य मंदिर

पूरे साइराग व रिकांगपिओ में देवी चण्डिका का अपना कानून चलता है. फिर चाहे गांव हो या प्रशासन सभी को इनका आदेश मानना पड़ता है. लोग कोर्ट कचहरी जाने के बजाए अपने घरेलू झगड़े लेकर मंदिर आते हैं. जिसका निवारण देवी चण्डिका करती हैं और मां के फैसले को ही अंतिम निर्णय माना जाता है.

Adhubhut himachal
देव समाज से चलती है यहां की न्यायपालिका

कहा जाता है कि वर्ष 2013 में रिकांगपिओ शहर पूरी तरह से धंसने लगा था, जिस कारण स्थानीय लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए थे. मान्यता है कि देवी चण्डिका ने रिकांगपिओ में पूजा पाठ करवाया था, जिसके बाद शहर की आपदा टल गई थी. देवी चण्डिका प्रशासन द्वारा अनदेखे किए गए विकास कार्यों को भी स्वयं पूरा करवाती हैं जिसके सैकड़ों उदाहरण जिला मुख्यालय में देखने को मिलते हैं.

वीडियो देखें.

साइराग में देवी के कानून से बाहर कोई काम नहीं किया जाता. मां चण्डिका के कारदार भी देवी के कानून के हिसाब से वर्दी और नियमों के अनुसार ही मां के दरबार में प्रवेश करते हैं. महिलाएं व पुरुष पूरी वेशभूषा में ही देवी के समक्ष हाजिरी देते हैं.

किन्नौर: रिकांगपिओ के साथ सटे कोठी गांव में देवी चण्डिका का भव्य मंदिर स्थित है. रिकांगपिओ और साइराग में मां के बनाए नियम और कानून लागू होते हैं. देवी चण्डिका साइराग की मालकिन मानी जाती हैं. जिनके रथ में सभी मूर्तियां सोने से बनी हुई हैं. क्षेत्र में देवी चण्डिका के नियम और कानून सख्ती से लागू होते हैं.

Adhubhut himachal
कोठी गांव में देवी चण्डिका का भव्य मंदिर

पूरे साइराग व रिकांगपिओ में देवी चण्डिका का अपना कानून चलता है. फिर चाहे गांव हो या प्रशासन सभी को इनका आदेश मानना पड़ता है. लोग कोर्ट कचहरी जाने के बजाए अपने घरेलू झगड़े लेकर मंदिर आते हैं. जिसका निवारण देवी चण्डिका करती हैं और मां के फैसले को ही अंतिम निर्णय माना जाता है.

Adhubhut himachal
देव समाज से चलती है यहां की न्यायपालिका

कहा जाता है कि वर्ष 2013 में रिकांगपिओ शहर पूरी तरह से धंसने लगा था, जिस कारण स्थानीय लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए थे. मान्यता है कि देवी चण्डिका ने रिकांगपिओ में पूजा पाठ करवाया था, जिसके बाद शहर की आपदा टल गई थी. देवी चण्डिका प्रशासन द्वारा अनदेखे किए गए विकास कार्यों को भी स्वयं पूरा करवाती हैं जिसके सैकड़ों उदाहरण जिला मुख्यालय में देखने को मिलते हैं.

वीडियो देखें.

साइराग में देवी के कानून से बाहर कोई काम नहीं किया जाता. मां चण्डिका के कारदार भी देवी के कानून के हिसाब से वर्दी और नियमों के अनुसार ही मां के दरबार में प्रवेश करते हैं. महिलाएं व पुरुष पूरी वेशभूषा में ही देवी के समक्ष हाजिरी देते हैं.

Intro:जब जिला मुख्यालय रिकांगपिओ में प्रशासन के बस से होता है बाहर का कार्य तो देवी चण्डिका करती है उस कार्य को अपने खर्चे पर,गरीबो में बांटती है धन,सोना चांदी,घरेलू हो या बड़े झगड़े यहां लोग कोर्ट नही माता के दरबार मे आते है न्याय के लिए,लोगो की मांग पूरी नही करने पर जिला प्रशासन के अधिकारियों की भी लगती है कई बार यहां पर पेशी। जब धसने लगा था रिकांगपिओ तो पूजा कर रोका था धसना।


जनजातीय जिला किन्नौर अपने संस्कृति व देवभूमी के आस्था के नाम पर खुद की एक पहचान बनाता है और यहां के अपने स्थानीय कानून जो पूरे भारतवर्ष से अलग है यहां अभी भी कई कानून देव समाज के लागू होते है इसे आस्था कहे या पूर्वजो की मान्यता इसमें कोई दो राह नही है।

इसी तरह आस्था के एक देवी चण्डिका माता जिनका भव्य मंदिर जिला मुख्यालय रिकांगपिओ के साथ सटे हुए कोठी गाँव मे स्थित है,देवी चण्डिका साइराग की मालकिन मानी जाती है जिनके रथ में सभी मूर्तियां सोने से बनी हुई है। और जिला किन्नौर की सबसे अमीर व सबसे शक्तिशाली देवियो में इनका नाम शुमार है देवी चण्डिका अपने नियमो और कानूनों को सख्ती से लागू करने के लिए जानी जाती है।

साइराग में कल्पा,कोठी,दुंनी,युवारीनगी, बरेलेंगी,ख्वांगी, शुदारनग,रोघी,पांगी,तेलंगी,कश्मीर,दाखो,आदि गाँव जिसमे जिला मुख्यालय रिकांगपिओ भी आता है जिनकी मालकिन व इष्ट माता देवी चण्डिका है और इन सभी गाँव मे अन्य स्थानीय देवी देवता भी है लेकिन देवी माँ इन सब पर अपना कानून लागू करती है पूरे साइराग में देवी चण्डिका का अपना कानून चलता है फिर चाहे गाँव हो या प्रशासन सबको इनका आदेश सुन्ना पड़ता है।



सन 2013 के आसपास रिकांगपिओ शहर पूरी तरह धसने लगा था जिसकारण कई व्यापारियों ने अपनी दुकानें छोड़ दी थी और लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हुए थे,बड़े बड़े भू वैज्ञानिक इस रिकांगपिओ के ज़मीन धसने का कारण नही बता सके थे ऐसे में देवी चण्डिका ने रिकांगपिओ शहर जाकर पूजा पाठ करवाया था और उसी वक्त से रिकांगपिओ शहर को धसने से रुक गया था जिसके बाद उनकी मान्यता पूरे हिमाचल में मशहूर हो गयी इसके बाद आज तक रिकांगपिओ शहर बिल्कुल ठीक है और रिकांगपिओ में आई दरारें भी बंद हो गयी है।

कहा जाता है माता आदि शक्ति दुर्गा का रूप है जिनका रथ मन्दिर के अंदर रहता है जब कोई बड़ा पर्व होता है तो देवी चण्डिका माता मंदिर प्रांगण में निकलते है तो लोग अपने घरेलू झगड़े,कोर्ट कचहरी में जाने वाले मामले जिनका निवारण नही हुआ हो उन सभी कामो को भी लोग मन्दिर लेकर आते है जिसका निवारण देवी चण्डिका करती है जिसको अंतिम निर्णय माना जाता है,देवी के साथ माता काली का भी रथ भी साथ होता है।
बताते चले कि देवी चण्डिका अपनी शक्तियों के साथ साथ प्रशासन के किये गए अनदेखी कार्यो को स्वयम पूरा करवाती है जिसके सेकड़ो प्रमाण जिला मुख्यालय के कई इलाकों में है कोठी गाव में कई वर्षों से सड़क सुविधा नही दी प्रशासन भी सड़क खोलने के लिए कई कारणों से अपने हाथ पीछे कर चुका था ऐसे में कोठी के लोगो ने देवी चण्डिका के समक्ष इस बात को रखा तो देवी ने तुरंत मौके पर स्वयम रथ के साथ खड़े होकर विभाग को बुलाकर सड़क निर्माण करवाया कोठी गाँव मे स्कूल में बारहवीं कक्षा तक न भवन था न ही प्रशासन स्कूल में बारहवीं कक्षा देने को तैयार था ऐसे में देवी चण्डिका ने वहां भी स्वयम जाकर अपने ख़ज़ाने से धनराशि देकर और स्कूल के भवन बनाने के लिए प्रशसनिक अधिकारियों को बुलाकर भवन निर्माण के आदेश दिए और अपने ख़ज़ाने से भी भवन निर्माण व सीसीटीवी कैमरो के लिए धनराशि दी इसके बाद स्कूल में बारहवीं कक्षा बिठाया जिसका नाम बाद में देवी चण्डिका कोठी के नाम पर पड़ा। जिला मुख्यालय में व्यापारियों से लेकर सभी विभाग देवी के आदेश को मना नही कर सकते और देवी चण्डिका ने कई व्यापारियों को तो अपनी भूमि पर व्यापार के लिए भूमि भी दे रखी है।




Body:बता दे कि कभी भी इस इलाके में अकाल पड़े तो राशन भंडारण से अनाज भी देकर लोगो का पेट भरती है,और तो और देवी ने कई गरीबो में लाखों के सोने व चांदी के आभूषण भी दिए है और कई गरीबो को पेंशन भी देती रही है देवी जब पूरे साइराग ( जिला मुख्यालय) में वर्ष में कम से कम तीन से चार बार प्रशासन व अपने प्रजा के इलाके का निरीक्षण भी करती है यदि कहीं भी गड़बड़ी दिखी तो प्रशासन के अधिकारियों से लेकर स्थानीय लोगो की कोर्ट की तरह पेशी लगती है और उसी वक्त सज़ा भी सुनवाई जाती है। आज तक जिसने भी कोठी मन्दिर में दर्शन के बाद जो भी इच्छा प्रकट की है वह पूरा हुआ है पूरे साइराग में देवी चण्डिका के आदेश के बिना कोई शादी नही होती न ही कोई बड़े कार्यक्रम होते है यहां तक कि प्रशासन द्वारा भी प्रदेश लेबल के किन्नौर महोत्सव मनाने के लिए भी देवी की इजाज़त लेते है और देवी चण्डिका इस मेले के लिए भी कई लाखो धनराशि प्रशासन को देती है बिना आदेश के यदि कोई भी साइराग में अपनी मर्ज़ी से कुछ भी करता है तो इसको देवी के प्रकोप और कोठी मन्दिर में अपनी गलती के लिए स्थानीय देवी चण्डिका के प्रांगण में सजा सुनाई जाती है कोई भी घरेलू झगड़ा हो या कोर्ट कचहरी की बात बिना देवी के आदेश के कोई कही नही जाता।



Conclusion:बुजुर्ग बताते है कि देवी चण्डिका के फैसलों से आज तक सभी का फायदा हुआ है और साइराग में देवी के कानून से बाहर कोई काम नही करता है। देवी चण्डिका मन्दिर में सेकड़ो भगत देश प्रदेश से आते है और कई लोग अपनी श्रदा से पाठ भी करते है मन्दिर में आने से किसी को कोई रोक नही है कई बार देवी खुश होती है तो बाहर से आये व्यक्तियो को भी दान भक्षी करती है मन्दिर में बिना टोपी,और गछी के जाना वर्जित है देवी माँ में कारदार भी देवी के कानून के हिसाब से पूरे वर्दी और नियमानुसार ही मन्दिर में प्रवेश करते है,जब देवी माँ का रथ मन्दिर प्रांगण में निकलता है तो कोई शोर शराबा नही होता महिलाओं व पुरूषों को पूरे वेशभूषा में मन्दिर आकर देवी के समक्ष हाज़िरी देनी पड़ती है और देवी के मंदिर में सभी को अपनी नौकरी करनी पड़ती है अगर कोई भी ग्रामीण मन्दिर नही आया और अपनी ड्यूटी नही की तो मन्दिर में देवी माता के समक्ष जुर्माना भी लगता है।


बाइट-1----- राजेन्द्र नेगी ( मंदिर मोहतबीन कोठी)

बाइट-2-- देव नाथ (उत्तरखण्ड से आये पुजारी)
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