धर्मशाला: विश्व भर में तेजी से विकसित हो रही ड्रोन तकनीक को अब फॉरेंसिक साइंस में भी लाने की कवायद शुरू हो गई है. इसके लिए जल्द फॉरेंसिक विभाग की ओर से सरकार को प्रपोजल तैयार करके भेजी जाएगी. फॉरेंसिक विभाग सीन ऑफ क्राइम इन्वेस्टिगेशन में किस तरह से ड्रोन की मदद ले सकता है, इसको लेकर हाल ही में नेशनल कांफ्रेंस में चर्चा की गई है. वैसे भी वर्तमान में हर क्राइम में फॉरेंसिक की टीम मौके पर जाकर साक्ष्य जुटाती है. कई बार तो घटना पर पीड़ितों द्वारा भी फॉरेंसिक टीम को बुलाने की बात कही जाती है.
विभाग की मानें तो फॉरेंसिक साइंस में ड्रोन इस्तेमाल होने से विभाग को काफी लाभ होगा. विभाग की ओर से तैयार की जा रही प्रपोजल को यदि सरकार अनुमति प्रदान करती है तो निश्चित तौर पर फॉरेंसिक विभाग को घटनास्थल से साक्ष्य जुटाने के साथ ड्रोन की मदद से और भी कई पहलूओं पर जांच के तथ्य जुटाने में सहूलियत होगी. गौरतलब है कि ड्रोन तकनीक लगातार विकसित हो रही है. आज की बात करें, तो भारतीय सेना के अलावा, मौसम की निगरानी-भविष्यवाणी, यातायात निगरानी, राहत और बचाव कार्य, खेती, फोटोग्राफी आदि में ड्रोन का उपयोग हो रहा है. ड्रोन तकनीक जीपीएस और आनबोर्ड सेंसर के साथ मिलकर काम करती है. (Use of drone technology in forensic science) (Regional Forensic Science Laboratory)
आरएफएसएल (Regional Forensic Science Laboratory) नार्थन रेंज धर्मशाला की डिप्टी डायरेक्टर डॉ. मीनाक्षी महाजन ने कहा कि सीन ऑफ क्राइम इन्वेस्टिगेशन के लिए ड्रोन की मदद कैसे ली जाए. इस पर नेशनल कांफ्रेंस में चर्चा की गई है. अब फॉरेंसिक विभाग की ओर से प्रदेश सरकार को ड्रोन सुविधा फारेंसिक साइंस लेबोरेटरी हिमाचल में आए इस बारे में प्रपोजल दी जाएगी. फॉरेंसिक साइंस में ड्रोन इस्तेमाल का लाभ विभाग को मिलेगा.
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