धर्मशाला: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की विदाई के बाद भी तिब्बत को लेकर अमेरिका की नीति में कोई परिवर्तन नहीं आया है. जो बाइडन प्रशासन ने चीन को चिढ़ाते हुए तिब्बतियों को उनके नए साल के त्योहार लोसर की बधाई दी है. अमेरिका के इस नए दांव से चीन का भड़कना तय माना जा रहा है. चीन ने पिछले साल ही अमेरिका के एक महावाणिज्यिक दूतावास को तिब्बत में घुसपैठ करने का आरोप लगाकर बंद कर दिया था. अमेरिकी विदेश मंत्री एन्टोनी बिलकेन ने तिब्बत को लोसर त्योहार की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि तिब्बत की संस्कृति कम से कम 2000 साल पुरानी है. बाइडन प्रशासन इस समृद्ध धार्मिक और संस्कृति धरोहर की देखभाल, रक्षा और सम्मान करता रहेगा. आपके इस समृद्ध त्योहार को न केवल तिब्बत बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है. आपकी परंपरा प्यार के सागर, क्षमा, न्याय, सहिष्णुता और शांति को प्रदर्शित करती है. हम भी आपके साथ इस त्योहार को मना रहे हैं.
चीन का अमेरिका पर भड़कना तय
बाइडन प्रशासन की तिब्बत में सीधी दखलअंदाजी से चीन जरूर भड़केगा. ट्रंप ने भी अपने कार्यकाल में तिब्बत को लेकर चीन के खिलाफ कई प्रतिबंध लगाए थे. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने तो एक अक्टूबर से शुरू हुए वित्त वर्ष 2021 में तिब्बती मुद्दों की खातिर 1.7 करोड़ डॉलर के कोष और तिब्बती मुद्दों पर विशेष समन्वयक के लिए दस लाख डॉलर के कोष का प्रस्ताव दिया था. तिब्बत में अत्याचार करने वाले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के ऊपर अमेरिका ने पिछले साल प्रतिबंध लगाया था. अमेरिका ने रेसिप्रोकल ऐक्सेस टू तिब्बत कानून के तहत चीन के अधिकारियों के एक समूह पर वीजा प्रतिबंध लगाया था. अमेरिका ने आरोप लगाया था कि ये अधिकारी तिब्बत में विदेशियों की पहुंच को रोकने का काम कर रहे थे.
तिब्बत को लेकर 2018 में यूएस ने बनाया था कानून
अमेरिका ने रेसिप्रोकल ऐक्सेस टू तिब्बत कानून (तिब्बत में पारस्परिक पहुंच कानून), 2018 में बनाया था. इसे अमेरिका में कानून के रूप में दिसंबर 2018 में मान्यता दी गई थी. यह उन चीनी अधिकारियों के अमेरिका में प्रवेश को रोकने से संबंधित है जो तिब्बत में विदेशियों के प्रवेश को रोकने का काम करते हैं. अमेरिका तिब्बत की स्वायत्तता का शुरू से समर्थन करता रहा है. डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका के विदेश मंत्री रहे माइक पोम्पियो ने भी कहा था कि हम तिब्बती लोगों की सार्थक स्वायत्तता के लिए, उनके बुनियादी और अहस्तांतरणीय मानवाधिकारों के लिए, उनके विशिष्ट धर्म, संस्कृति और भाषायी पहचान को संरक्षित रखने की खातिर काम करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं. भारत में रह रहे तिब्बत के निर्वासित धार्मिक नेता दलाई लामा तिब्बत के लोगों के लिए सार्थक स्वायत्तता की मांग करते रहे हैं, लेकिन चीन 85 वर्षीय दलाई लामा को अलगाववादी मानता है.
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