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केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, अब निर्वासित तिब्बती भी बनेंगे सरकारी अफसर

निर्वासन का जीवन जीने वाले तिब्बत समुदाय के युवा अब सरकारी अफसर बन पाएंगे. अभ्यर्थी के माता-पिता जनवरी 1962 से भारत आए होने चाहिए और तब से स्थायी रूप से भारतवासी होने चाहिए.40 प्रतिशत तिब्बती समुदाय के लोगों के पास अभी भारत का नागरिक होने का अधिकार है.

tibet community
तिब्बती बनेगे भारत सरकार में अफसर.
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Published : Feb 18, 2020, 12:58 PM IST

Updated : Feb 18, 2020, 1:13 PM IST

कांगड़ा: निर्वासन का जीवन जीने वाले तिब्बत समुदाय के युवा अब सरकारी अफसर बन पाएंगे. देशभर में तिब्बती समुदाय के युवा अब संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा देकर सरकारी क्षेत्र में प्रशासनिक सेवाएं दे सकेंगे.

इससे पहले ऐसा कोई प्रावधान नहीं था. नौकरी के लिए वही तिब्बती मूल के युवा पात्र होंगे जिनके माता-पिता जनवरी 1962 से भारत आए हों और तब से स्थायी रूप से भारतवासी होने चाहिए. सरकार के इस फैसले का तिब्बतियों ने स्वागत किया है.

ये तिब्बती युवा यूजीसी की परीक्षा के आईएएस और आईपीएस स्तर के लिए पात्र नहीं होंगे, जबकि अन्य स्तरों के लिए युवा परीक्षा में बैठ सकते हैं. 1959 में तिब्बत से भारत आने के बाद इन निर्वासितों के पास सरकार से मतदान का अधिकार और शरणार्थी का दर्जा भी होना चाहिए.

वीडियो रिपोर्ट.

बता दें कि तिब्बती शरणार्थी धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बत सरकार को चुनते हैं और उनकी कार्यों को चलाने के लिए अपनी अलग व्यवस्था भी है. इसके साथ ही कई तिब्बती युवा निर्वासित सरकार की प्रणाली के तहत चयनित होकर अपनी सरकार में सेवाएं देते हैं, लेकिन यह पहली बार है कि उन्हें भारत सरकार की अखिल भारतीय सेवाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं में पात्र माना गया हो.

गौर हो कि विश्वभर में 60 लाख तिब्बती शरणार्थी हैं. अधिकतर तिब्बती समुदाय के लोगों ने भारत की नागरिकता नहीं ली है. भारत की नागरिकता न लेने के पीछे एक बड़ा कारण यह है कि भारत की नागरिकता लेने पर शरणार्थी का दर्जा खत्म हो जाएगा और वह तिब्बत की स्वतंत्रता की लड़ाई को नहीं लड़ पाएंगे.

26 अप्रैल 2017 को धर्मशाला में निर्वासित तिब्बत सरकार की कैबिनेट में निर्णय लिया गया था कि तिब्बत सरकार को तिब्बती समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता पर कोई आपत्ति नहीं है. हिमाचल प्रदेश में इस वक्त करीब एक लाख तिब्बती हैं. इन्हें राशनकार्ड सहित भारतीय कानून के तहत ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की अनुमति है. इनके आधार कार्ड भी बने हुए हैं.

बता दें कि तिब्बती मतदाताओं ने विधानसभा चुनाव में वोट भा डाला था. 40 प्रतिशत तिब्बती समुदाय के लोगों के पास अभी भारत का नागरिक होने का अधिकार है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार 1959 से 1985 तक भारत में पैदा होने वालों को मतदाता सूची में नाम दर्ज करवाने का अधिकार दिया गया है.

इसके बाद तिब्बती कुछ शर्तों के आधार पर भारतीय नागरिकता हासिल कर सकते हैं. 2017 में करीब 360 तिब्बती शरणार्थियों ने अपने नाम मतदाता सूची में शामिल करवाकर मतदाता पहचान पत्र बनाए थे. तिब्बती युवाओं को अब सरकारी क्षेत्र में काम करने का मौका मिलेगा. तिब्बती युवाओं को भी चाहिए कि वह इस क्षेत्र में आगे आएं. तिब्बती समुदाय को मत का अधिकार देने के बाद यह निर्णय फायदेमंद साबित होगा.

पढ़ें: सेंट्रल ड्रग कंट्रोलर टीम ने कालाअंब में दी दबिश, उद्योग में बंद किया उत्पादन

कांगड़ा: निर्वासन का जीवन जीने वाले तिब्बत समुदाय के युवा अब सरकारी अफसर बन पाएंगे. देशभर में तिब्बती समुदाय के युवा अब संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा देकर सरकारी क्षेत्र में प्रशासनिक सेवाएं दे सकेंगे.

इससे पहले ऐसा कोई प्रावधान नहीं था. नौकरी के लिए वही तिब्बती मूल के युवा पात्र होंगे जिनके माता-पिता जनवरी 1962 से भारत आए हों और तब से स्थायी रूप से भारतवासी होने चाहिए. सरकार के इस फैसले का तिब्बतियों ने स्वागत किया है.

ये तिब्बती युवा यूजीसी की परीक्षा के आईएएस और आईपीएस स्तर के लिए पात्र नहीं होंगे, जबकि अन्य स्तरों के लिए युवा परीक्षा में बैठ सकते हैं. 1959 में तिब्बत से भारत आने के बाद इन निर्वासितों के पास सरकार से मतदान का अधिकार और शरणार्थी का दर्जा भी होना चाहिए.

वीडियो रिपोर्ट.

बता दें कि तिब्बती शरणार्थी धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बत सरकार को चुनते हैं और उनकी कार्यों को चलाने के लिए अपनी अलग व्यवस्था भी है. इसके साथ ही कई तिब्बती युवा निर्वासित सरकार की प्रणाली के तहत चयनित होकर अपनी सरकार में सेवाएं देते हैं, लेकिन यह पहली बार है कि उन्हें भारत सरकार की अखिल भारतीय सेवाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं में पात्र माना गया हो.

गौर हो कि विश्वभर में 60 लाख तिब्बती शरणार्थी हैं. अधिकतर तिब्बती समुदाय के लोगों ने भारत की नागरिकता नहीं ली है. भारत की नागरिकता न लेने के पीछे एक बड़ा कारण यह है कि भारत की नागरिकता लेने पर शरणार्थी का दर्जा खत्म हो जाएगा और वह तिब्बत की स्वतंत्रता की लड़ाई को नहीं लड़ पाएंगे.

26 अप्रैल 2017 को धर्मशाला में निर्वासित तिब्बत सरकार की कैबिनेट में निर्णय लिया गया था कि तिब्बत सरकार को तिब्बती समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता पर कोई आपत्ति नहीं है. हिमाचल प्रदेश में इस वक्त करीब एक लाख तिब्बती हैं. इन्हें राशनकार्ड सहित भारतीय कानून के तहत ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की अनुमति है. इनके आधार कार्ड भी बने हुए हैं.

बता दें कि तिब्बती मतदाताओं ने विधानसभा चुनाव में वोट भा डाला था. 40 प्रतिशत तिब्बती समुदाय के लोगों के पास अभी भारत का नागरिक होने का अधिकार है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार 1959 से 1985 तक भारत में पैदा होने वालों को मतदाता सूची में नाम दर्ज करवाने का अधिकार दिया गया है.

इसके बाद तिब्बती कुछ शर्तों के आधार पर भारतीय नागरिकता हासिल कर सकते हैं. 2017 में करीब 360 तिब्बती शरणार्थियों ने अपने नाम मतदाता सूची में शामिल करवाकर मतदाता पहचान पत्र बनाए थे. तिब्बती युवाओं को अब सरकारी क्षेत्र में काम करने का मौका मिलेगा. तिब्बती युवाओं को भी चाहिए कि वह इस क्षेत्र में आगे आएं. तिब्बती समुदाय को मत का अधिकार देने के बाद यह निर्णय फायदेमंद साबित होगा.

पढ़ें: सेंट्रल ड्रग कंट्रोलर टीम ने कालाअंब में दी दबिश, उद्योग में बंद किया उत्पादन

Last Updated : Feb 18, 2020, 1:13 PM IST
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