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800 साल पुरानी परंपरा रहेगी कायम, दलाई लामा चुनेंगे अपना उत्तराधिकारी

कांगड़ा जिला के धर्मशाला में 14 वें तिब्बती धार्मिक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. सम्मेलन के दौरान 15वें दलाईलामा के चयन को लेकर धर्मशाला में प्रस्ताव पारित कर वरिष्ठ बौद्ध लामाओं ने चीन सरकार के दलाईलामा के पुनर्जन्म पर अधिकार के दावे को नकार दिया है.

Holy Dalai lama
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Published : Nov 28, 2019, 3:05 PM IST

धर्मशाला: कांगड़ा जिला के धर्मशाला में14वें तिब्बती धार्मिक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय तिब्बती प्रशासन और धर्म संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है.

बुधवार को सम्मेलन के दौरान 15वें दलाई लामा के चयन को लेकर धर्मशाला में प्रस्ताव पारित कर वरिष्ठ बौद्ध लामाओं ने चीन सरकार के दलाई लामा के पुनर्जन्म पर अधिकार के दावे को नकार दिया. उन्होंने साफ कहा कि दलाई लामा के चयन को लेकर चीन का कोई हाथ नहीं है.

बता दें कि धर्मशाला में बुधवार शाम को निर्वासित तिब्बत सरकार के धर्म एवं संस्कृति विभाग की ओर से तीन दिवसीय तिब्बती धार्मिक सम्मेलन शुरू हुआ. इसमें दुनिया भर से वरिष्ठ बौद्ध लामाओं और निर्वासित तिब्बत सरकार के नेताओं ने भाग लिया.

वीडियो रिपोर्ट.

इसमें दलाई लामा के पुनर्जन्म को लेकर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ. इसमें कहा गया कि दलाई लामा के अगले पुनर्जन्म के विषय में निर्णय का अधिकार पूरी तरह से दलाई लामा का रहेगा.

किसी सरकार या अन्य व्यक्ति के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं होगा, यदि चीन सरकार दलाई लामा के लिए उम्मीदवार चुनती है तो तिब्बती लोग उस उम्मीदवार का सम्मान नहीं करेंगे और न ही मान्यता देंगे.

सम्मेलन के माध्यम से धार्मिक प्रमुखों और प्रतिनिधियों ने संकल्प पारित करते हुए कहा कि दलाई लामा और तिब्बती लोगों के बीच का कार्मिक बंधन अविभाज्य रहा है और तिब्बती लोगों की वर्तमान स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है, सभी तिब्बती वास्तव में भविष्य में दलाई लामा के संस्थान और पुनर्जन्म की निरंतरता की कामना करते हैं.

ये भी पढ़ें: छह माह के बच्चे को कुत्ते ने बुरी तरह नोचा, मंजर देख मां के उड़े होश

धर्मशाला: कांगड़ा जिला के धर्मशाला में14वें तिब्बती धार्मिक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय तिब्बती प्रशासन और धर्म संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है.

बुधवार को सम्मेलन के दौरान 15वें दलाई लामा के चयन को लेकर धर्मशाला में प्रस्ताव पारित कर वरिष्ठ बौद्ध लामाओं ने चीन सरकार के दलाई लामा के पुनर्जन्म पर अधिकार के दावे को नकार दिया. उन्होंने साफ कहा कि दलाई लामा के चयन को लेकर चीन का कोई हाथ नहीं है.

बता दें कि धर्मशाला में बुधवार शाम को निर्वासित तिब्बत सरकार के धर्म एवं संस्कृति विभाग की ओर से तीन दिवसीय तिब्बती धार्मिक सम्मेलन शुरू हुआ. इसमें दुनिया भर से वरिष्ठ बौद्ध लामाओं और निर्वासित तिब्बत सरकार के नेताओं ने भाग लिया.

वीडियो रिपोर्ट.

इसमें दलाई लामा के पुनर्जन्म को लेकर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ. इसमें कहा गया कि दलाई लामा के अगले पुनर्जन्म के विषय में निर्णय का अधिकार पूरी तरह से दलाई लामा का रहेगा.

किसी सरकार या अन्य व्यक्ति के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं होगा, यदि चीन सरकार दलाई लामा के लिए उम्मीदवार चुनती है तो तिब्बती लोग उस उम्मीदवार का सम्मान नहीं करेंगे और न ही मान्यता देंगे.

सम्मेलन के माध्यम से धार्मिक प्रमुखों और प्रतिनिधियों ने संकल्प पारित करते हुए कहा कि दलाई लामा और तिब्बती लोगों के बीच का कार्मिक बंधन अविभाज्य रहा है और तिब्बती लोगों की वर्तमान स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है, सभी तिब्बती वास्तव में भविष्य में दलाई लामा के संस्थान और पुनर्जन्म की निरंतरता की कामना करते हैं.

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Intro:धर्मशाला- दलाई लामा के अगले पुनर्जन्म के विषय में निर्णय का अधिकार पूरी तरह से दलाई लामा का है। दलाई लामा के पुनर्जन्म का चयन तिब्बत बौद्ध धर्म की 800 साल पहले शुरू हुई बुद्ध के मूल दर्शन की पद्धति के अनुरूप है। किसी सरकार या अन्य के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं होगा। यदि राजनीतिक तौर पर पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार दलाई लामा के लिए उम्मीदवार तय करती है तो तिब्बती लोग उस उम्मीदवार को पहचान नहीं पाएंगे और उसका सम्मान नहीं करेंगे।
दलाई लामा के भविष्य के पुनर्जन्मों को मान्यता देने के तरीके के बारे में, एक ही अद्वितीय तिब्बती पारंपरिक विधि, जिसका अब तक लगातार उपयोग किया जा रहा है ओर पालन किया जाएगा। यह पद्धति बुद्ध के मूल दर्शन के अनुरूप है और 800 साल पहले तिब्बत में शुरू हुई थी।




Body:यह प्रस्ताव पिछले कल धर्मशाला में शुरू हुए तीन दिवसीय 14 वें तिब्बती धार्मिक सम्मेलन जिसका आयोजन केंद्रीय तिब्बती प्रशासन और धर्म,संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है ओर वहां इन्हें पारित किया गया। तिब्बती धार्मिक सम्मेलन में तिब्बत के चारों स्कूलों के प्रमुख सहित बॉन सम्प्रदाय के प्रमुख बौद्ध लामा उपस्थित रहे। वर्ष 1969 के बाद से दलाई लामा के पुनर्जन्म के बारे में पूछा गया, तब-तब दलाई लामा ने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया को बताया कि यह तिब्बती लोगों द्वारा तय किया जाने वाला मामला है। वर्तमान में अब यह बड़ा मामला है, इसलिए तिब्बती लोगों के लिए दलाई लामा के पुनर्जन्म पर एक वैध रुख अपनाना महत्वपूर्ण है।Conclusion:दलाई लामा और तिब्बती लोगों के बीच संबंध सिर और गर्दन के बीच जैसा है। जैसा कि शरीर और उसकी छाया के बीच था इसलिए कभी अलग नहीं हुआ। इसलिए यह उम्मीद की जानी चाहिए कि लगातार पुनर्जन्म के माध्यम से दलाई लामा के वंश की निरंतरता की परंपरा तिब्बती लोगों की खातिर बनी रहे वही इस सम्मेलन के माध्यम से धार्मिक प्रमुखों और प्रतिनिधियों ने संकल्प पारित करते हुए कहा कि दलाई लामा और तिब्बती लोगों के बीच का कार्मिक बंधन अविभाज्य रहा है और तिब्बती लोगों की वर्तमान स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है, सभी तिब्बती वास्तव में भविष्य में दलाई लामा के संस्थान और पुनर्जन्म की निरंतरता की कामना करते हैं। इसलिए हम दलाई लामा के लिए दृढ़ता से उसी का समर्थन करते हैं।
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