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टांडा मेडिकल कॉलेज देगा टीबी को मात, NITRD चेन्नई के साथ करेगा काम - National Institute for Research in Tuberculosis Chennai

एक तरफ दुनिया कोरोना वायरस से निपटने में लगी हुई है. वहीं, दूसरी तरफ टीबी उन्मूलन को लेकर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज ने नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन ट्यूबरकुलोसिस चेन्नई के साथ एमओयू साइन किया है.

Tanda Hospital
टांडा अस्पताल
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Published : Jun 29, 2020, 12:39 PM IST

धर्मशाला: अब देश से टीबी को खत्म करने के लिए डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा को अहम जिम्मेदारी मिली है. मेडिकल कॉलेज ने नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन ट्यूबरकुलोसिस (एनआइटीआरडी) चेन्नई के साथ एक रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए साझेदारी की है. उत्तर भारत में टांडा मेडिकल कॉलेज टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए एनआइटीआरडी के साथ मिलकर लड़ाई लड़ेगा.

प्राचार्य डॉ. भानू अवस्थी ने बताया कि एनआइटीआरडी राष्ट्र के स्वास्थ्य परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो तपेदिक और अन्य फेफड़ों के रोगों से संबंधित अनुसंधान में सबसे आगे है. डब्ल्यूएचओ ने तपेदिक पर्यवेक्षणीय संदर्भ प्रयोगशाला नेटवर्क के तहत संस्थान को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में मान्यता दी है.

टांडा मेडिकल कॉलेज का एनआइटीआरडी के साथ मिलकर काम करना बड़े सम्मान की बात है. ग्लोबल फंड की ओर से वित्त पोषित किए जाने वाले इस प्रोजेक्ट के लिए टांडा मेडिकल कॉलेज को देशभर की 6 साइटों में से एक के रूप में चुना गया है. उन्होंने बताया कि परियोजना का उद्देश्य भारत में टीबी का इलाज करने वाले अस्पतालों में तपेदिक रोग की महामारी को रोकने के लिए काम करना है.

कॉलेज के प्राचार्य डॉ. भानु अवस्थी ने बताया कि तपेदिक रिसर्च में एनआइटीआरडी के साथ जुड़ना कॉलेज के लिए एक समान है. संस्थान ने तब से तपेदिक के खिलाफ लड़ाई शुरू की थी जब यहां वर्ष 1958 में टीबी सेनिटोरियम स्थापित किया गया था. प्रोजेक्ट एनआइटीआरडी के वैज्ञानिक डॉक्टर श्रीनिवास और टांडा कॉलेज समुदायिक विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर सुनील रैना प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर हैं.

गौर हो कि टीबी अनुमूलन को लेकर हिमाचल प्रदेश को हाल ही में गुजरात और आंध्र प्रदेश की आबादी वाले क्षेत्र में तीसरे सर्वश्रेष्ठ राज्य के तौर पर घोषित किया गया था.

ये भी पढ़ें: पीटने के बाद प्रवासी मजदूर को खाई में फेंका, अस्पताल में तोड़ा दमा

धर्मशाला: अब देश से टीबी को खत्म करने के लिए डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा को अहम जिम्मेदारी मिली है. मेडिकल कॉलेज ने नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन ट्यूबरकुलोसिस (एनआइटीआरडी) चेन्नई के साथ एक रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए साझेदारी की है. उत्तर भारत में टांडा मेडिकल कॉलेज टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए एनआइटीआरडी के साथ मिलकर लड़ाई लड़ेगा.

प्राचार्य डॉ. भानू अवस्थी ने बताया कि एनआइटीआरडी राष्ट्र के स्वास्थ्य परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो तपेदिक और अन्य फेफड़ों के रोगों से संबंधित अनुसंधान में सबसे आगे है. डब्ल्यूएचओ ने तपेदिक पर्यवेक्षणीय संदर्भ प्रयोगशाला नेटवर्क के तहत संस्थान को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में मान्यता दी है.

टांडा मेडिकल कॉलेज का एनआइटीआरडी के साथ मिलकर काम करना बड़े सम्मान की बात है. ग्लोबल फंड की ओर से वित्त पोषित किए जाने वाले इस प्रोजेक्ट के लिए टांडा मेडिकल कॉलेज को देशभर की 6 साइटों में से एक के रूप में चुना गया है. उन्होंने बताया कि परियोजना का उद्देश्य भारत में टीबी का इलाज करने वाले अस्पतालों में तपेदिक रोग की महामारी को रोकने के लिए काम करना है.

कॉलेज के प्राचार्य डॉ. भानु अवस्थी ने बताया कि तपेदिक रिसर्च में एनआइटीआरडी के साथ जुड़ना कॉलेज के लिए एक समान है. संस्थान ने तब से तपेदिक के खिलाफ लड़ाई शुरू की थी जब यहां वर्ष 1958 में टीबी सेनिटोरियम स्थापित किया गया था. प्रोजेक्ट एनआइटीआरडी के वैज्ञानिक डॉक्टर श्रीनिवास और टांडा कॉलेज समुदायिक विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर सुनील रैना प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर हैं.

गौर हो कि टीबी अनुमूलन को लेकर हिमाचल प्रदेश को हाल ही में गुजरात और आंध्र प्रदेश की आबादी वाले क्षेत्र में तीसरे सर्वश्रेष्ठ राज्य के तौर पर घोषित किया गया था.

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