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कांगड़ा में तबाही का मंजर: इन मौतों का जिम्मेदार कौन, शासन और प्रशासन पर उठ रहे ये सवाल

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Published : Jul 14, 2021, 7:39 PM IST

Updated : Jul 15, 2021, 1:38 PM IST

कांगड़ा जिले में हुई भारी बारिश के चलते अब तक 10 लोगों की मौत हो गई. कई पशु भी मलबे में दबकर मर गए. बारिश का ऐसा तांडव हुआ कि लोगों के पक्के मकान भी तिनके की तरह पानी में बह गए. लोग बेबस और लाचार किनारे पर खड़े होकर अपने जीवन भर की कमाई को पनी बहाता देखते रहे. इस खौफनाक मंजर के बाद सरकार और प्रशासन पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिर रेस्क्यू टीमों को मौसम विभाग की चेतावनी (Meteorological department alert) पर अलर्ट नहीं किया गया. क्यों मौसम विभाग की चेतावनी को हल्के में लिया गया.

flood in kangra district
कांगड़ा में तबाही

कांगड़ा: जिले में बीते दिनों हुई बारिश से अब तक 10 लोगों की मौत हो गई. कई पशु भी मलबे में दबकर मर गए. लोगों के मकान और दुकान बह गए. मलबे में लोगों की गाड़ियां तिनके की तरह पानी में बह गईं. सरकार को बरसात के मौसम की स्थिति का पता था. सरकार जानती थी कि इस मौसम में हिमाचल कैसी परिस्थितियों से गुजरता है तो क्यों पहले से ही रेस्क्यू टीमों को मौसम विभाग की चेतावनी (Meteorological department alert) पर अलर्ट नहीं किया गया. सरकार ने एनडीआरएफ या एसडीआरएफ को स्टैंड बाय पर क्यों नहीं रखा. सरकार और प्रशासन की नींद इस मलबे के बोझ से पहले क्यों नहीं टूटी.

क्यों मौसम विभाग की चेतावनी को हल्के में लिया. अगर इंतजाम सही होते तो मुख्यमंत्री को हवाई सर्वे करने की नहीं जरूरत पड़ती और जानमाल का नुकसान भी नहीं होता. बारिश तबाही के अनगिनत निशान छोड़कर जा चुकी है और प्रशासन और सरकार सहानुभूति की टोकरी लेकर अब मैदान पर उतरा है.

वीडियो.

धर्मशाला में तेज बारिश होना आम सी बात है, ये देश के उन चुनिंदा स्थानों में से एक हैं जहां सबसे अधिक बारिश होती है, लेकिन सोमवार को धर्मशाला में ऐसा जलतांडव हुआ ऐसा ना पहले कभी हुआ था. ना कभी लोगों ने देखा था. जहां देखो बस पानी पानी था. कोई नदी नाला ऐसा नहीं था जिसने रौद्र रूप धारण ना किया हो. छोटी-छोटी नालियां भी बड़े नालों में बदल चुकी थीं. सड़कों पर चलने वाली गाड़ियां तिनकों की तरह पानी में बह रही थीं.

बारिश का ऐसा तांडव हुआ कि लोगों के पक्के मकान भी तिनके की तरह पानी में बह गए. लोग बेबस और लाचार किनारे पर खड़े होकर अपने जीवन भर की कमाई को पनी बहाता देखते रहे. कुछ लोगों को तो बारिश में संभलने का मौका भी मिल गया, लेकिन कुछ लोगों तो घरों से बाहर भी नहीं निकल पाए. आधा दर्जन से अधिक लोग और पशु सैकड़ों टन मलबे के नीचे अभी दबे हुए हैं. कई शव बरामद किए जा चुके हैं.

तीसरे दिन भी जिंदगी की तलाश मलबे के ढेर में जारी है. एनडीआरएफ की टीमें मलबे में दबे लोगों की इस उम्मीद में तलाश कर रही हैं कि शायद हजारों टन मलबें की नीचे अभी भी किसी की सांसें चल रही हों. स्थानीय लोग भी एनडीआरएफ की मदद कर रहे हैं. अब तक मलबे से 10 शव बरामद किए गए हैं. सबसे ज्यादा शव शाहपुर की बोह गांव से बरामद किए गए हैं. इस तबाही में कई परिवारों के लोगों का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है.

ये भी पढ़ें: मलबे में दबी 8 साल की बच्ची ने टीचर को फोन लगाकर मांगी मदद, पूरे परिवार की बचाई जान

इस तबाही के लिए लोग कुदरत को जिम्मेदार मान रहे हैं, लेकिन इसके साथ सरकार प्रशासन और जनता भी उतनी ही दोषी है. जितनी ये कुदरत. मौसम विभाग ने भारी बारिश का अलर्ट जारी किया था, लेकिन सरकार प्रशासन हाथ पर हाथ धरा बैठा रहा. हिमाचल में हर साल बरसात के मौसम में भू-स्खलन बादल फटने की घटनाएं होती हैं, लेकिन सरकार ने कोई रैपिड या टास्क फोर्स टीमें नहीं बनाई.

तीसरा नदी नालों के किनारे किया गया अतिक्रमण भी इस तबाही के लिए जिम्मेदार है. नदी नालों के किनारे प्रशासन की आंखों के नीचे हो रहा अवैध अंधाधुंध निर्माण का आज ये नतीजा आप अपनी खुली आंखों से देख लीजिए

ये भी पढ़ें: कांगड़ा में भारी बारिश से तबाही: अब तक 10 शव बरामद, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

ये भी पढ़ें: CM जयराम ने राज्यपाल से की मुलाकात, प्रदेश में भारी बारिश से हुए नुकसान की दी जानकारी

कांगड़ा: जिले में बीते दिनों हुई बारिश से अब तक 10 लोगों की मौत हो गई. कई पशु भी मलबे में दबकर मर गए. लोगों के मकान और दुकान बह गए. मलबे में लोगों की गाड़ियां तिनके की तरह पानी में बह गईं. सरकार को बरसात के मौसम की स्थिति का पता था. सरकार जानती थी कि इस मौसम में हिमाचल कैसी परिस्थितियों से गुजरता है तो क्यों पहले से ही रेस्क्यू टीमों को मौसम विभाग की चेतावनी (Meteorological department alert) पर अलर्ट नहीं किया गया. सरकार ने एनडीआरएफ या एसडीआरएफ को स्टैंड बाय पर क्यों नहीं रखा. सरकार और प्रशासन की नींद इस मलबे के बोझ से पहले क्यों नहीं टूटी.

क्यों मौसम विभाग की चेतावनी को हल्के में लिया. अगर इंतजाम सही होते तो मुख्यमंत्री को हवाई सर्वे करने की नहीं जरूरत पड़ती और जानमाल का नुकसान भी नहीं होता. बारिश तबाही के अनगिनत निशान छोड़कर जा चुकी है और प्रशासन और सरकार सहानुभूति की टोकरी लेकर अब मैदान पर उतरा है.

वीडियो.

धर्मशाला में तेज बारिश होना आम सी बात है, ये देश के उन चुनिंदा स्थानों में से एक हैं जहां सबसे अधिक बारिश होती है, लेकिन सोमवार को धर्मशाला में ऐसा जलतांडव हुआ ऐसा ना पहले कभी हुआ था. ना कभी लोगों ने देखा था. जहां देखो बस पानी पानी था. कोई नदी नाला ऐसा नहीं था जिसने रौद्र रूप धारण ना किया हो. छोटी-छोटी नालियां भी बड़े नालों में बदल चुकी थीं. सड़कों पर चलने वाली गाड़ियां तिनकों की तरह पानी में बह रही थीं.

बारिश का ऐसा तांडव हुआ कि लोगों के पक्के मकान भी तिनके की तरह पानी में बह गए. लोग बेबस और लाचार किनारे पर खड़े होकर अपने जीवन भर की कमाई को पनी बहाता देखते रहे. कुछ लोगों को तो बारिश में संभलने का मौका भी मिल गया, लेकिन कुछ लोगों तो घरों से बाहर भी नहीं निकल पाए. आधा दर्जन से अधिक लोग और पशु सैकड़ों टन मलबे के नीचे अभी दबे हुए हैं. कई शव बरामद किए जा चुके हैं.

तीसरे दिन भी जिंदगी की तलाश मलबे के ढेर में जारी है. एनडीआरएफ की टीमें मलबे में दबे लोगों की इस उम्मीद में तलाश कर रही हैं कि शायद हजारों टन मलबें की नीचे अभी भी किसी की सांसें चल रही हों. स्थानीय लोग भी एनडीआरएफ की मदद कर रहे हैं. अब तक मलबे से 10 शव बरामद किए गए हैं. सबसे ज्यादा शव शाहपुर की बोह गांव से बरामद किए गए हैं. इस तबाही में कई परिवारों के लोगों का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है.

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इस तबाही के लिए लोग कुदरत को जिम्मेदार मान रहे हैं, लेकिन इसके साथ सरकार प्रशासन और जनता भी उतनी ही दोषी है. जितनी ये कुदरत. मौसम विभाग ने भारी बारिश का अलर्ट जारी किया था, लेकिन सरकार प्रशासन हाथ पर हाथ धरा बैठा रहा. हिमाचल में हर साल बरसात के मौसम में भू-स्खलन बादल फटने की घटनाएं होती हैं, लेकिन सरकार ने कोई रैपिड या टास्क फोर्स टीमें नहीं बनाई.

तीसरा नदी नालों के किनारे किया गया अतिक्रमण भी इस तबाही के लिए जिम्मेदार है. नदी नालों के किनारे प्रशासन की आंखों के नीचे हो रहा अवैध अंधाधुंध निर्माण का आज ये नतीजा आप अपनी खुली आंखों से देख लीजिए

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Last Updated : Jul 15, 2021, 1:38 PM IST
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