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इस शिवलिंग का नहीं है कोई अंत, जानें क्या है बैजनाथ धाम का रहस्य! - special story on baijnath temple kangra

भगवान शिव को समर्पित बैजनाथ मंदिर पालमपुर शहर से 16 किलोमीटर दूर स्थित है. बैजनाथ मंदिर के बारे में कई दंतकथाएं प्रचलित हैं, ऐसा कहा जाता है कि रावण ने कई वर्षों तक कठिन तपस्या करने के बाद शिव से उनके शिवलिंग को लंका ले जाने का वरदान मांगा था.

special story on baijnath temple kangra
इस शिवलिंग का नहीं है कोई अंत
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Published : Mar 15, 2020, 8:23 PM IST

Updated : Mar 16, 2020, 7:55 PM IST

कांगड़ा: हिमाचल सिर्फ देव भूमि ही नहीं बल्कि भगवान शिव शंकर का ससुराल भी है. भगवान शिव को समर्पित बैजनाथ मंदिर पालमपुर शहर से 16 किलोमीटर दूर स्थित है. कई प्राकृतिक आपदाओं, आक्रमणों और बदलावों को देख चुका यह मंदिर आज भी अपने मूल रुप में बना हुआ है.

बैजनाथ मंदिर के बारे में कई दंतकथाएं प्रचलित हैं, ऐसा कहा जाता है कि रावण ने कई वर्षों तक कठिन तपस्या करने के बाद शिव से उनके शिवलिंग को लंका ले जाने का वरदान मांगा था. इसके बाद भगवान शिव ने भी एक शर्त, रावण के सामने रख दी थी, जिसे रावण पूरा नहीं कर सका और शिवलिंग यहीं स्थापित हो गया.

वीडियो रिपोर्ट.

लोक मान्यताओं के अनुसार मंडी के किसी राजा ने इस शिवलिंग को अपने साथ ले जाने की कोशिश की, लेकिन काफी खुदाई के बाद भी शिवलिंग का अंत नहीं मिल पाया. खुदाई के दौरान मजदूरों को जमीन के अंदर से निकली मधुमक्खियों ने बुरी तरह घायल कर दिया था. इस घटना के बाद राजा को अपनी गलती का आभास हुआ और राजा ने शिवलिंग के ऊपर मक्खन से भोले बाबा का श्रृंगार किया.

तब से इस मंदिर में एक नई परंपरा की शुरुआत हुई. हर साल मकर संक्रांति के पर्व पर पवित्र शिवलिंग को सात दिन तक कई क्विंटल मक्खन से ढक दिया जाता है.साल 2005 में भी जब प्रचीन जलैहरी को बदलने की कोशिश की गई तब भी इसकी खुदाई में नीचें तक कई जलैहरियां सामने आई थी. इस दौरान कई प्राचीन सिक्के भी निकले थे. उस समय शिवलिंग के नीचे कोई सिक्का गिराने पर भी काफी समय बाद उसकी आवाज आ रही थी.

बैजानाथ के बाजार में एक ही सुनार की दुकान नहीं है. कहा जाता है कि 70 के दशक में कुछ कारोबारियों ने यहां पर सोने का व्यापार करने की कोशिश की थी, लेकिन कुछ ही समय में उनके साथ बड़ी अनहोनी हो गई. सुनार की दुकान का इस तरह से बंद हो जाने के पीछे भी कई रहस्य हैं, कहा जाता है कि ऐसा इस लिए हुआ क्योंकि यह नगरी शिव भक्त रावण से संबंध रखती है और दशानन रावण सोने की लंका का अधिपति था.

आपको बता दें कि ईटीवी भारत किसी अंधविश्वास का समर्थन नहीं करता बल्कि हमारी कोशिश आप तक लोगों की मान्यताओं को पहुंचाना है.

ये भी पढ़ें: 5000 साल से धधक रही है आग! अनोखा है इस अग्निकुंड का रहस्य

कांगड़ा: हिमाचल सिर्फ देव भूमि ही नहीं बल्कि भगवान शिव शंकर का ससुराल भी है. भगवान शिव को समर्पित बैजनाथ मंदिर पालमपुर शहर से 16 किलोमीटर दूर स्थित है. कई प्राकृतिक आपदाओं, आक्रमणों और बदलावों को देख चुका यह मंदिर आज भी अपने मूल रुप में बना हुआ है.

बैजनाथ मंदिर के बारे में कई दंतकथाएं प्रचलित हैं, ऐसा कहा जाता है कि रावण ने कई वर्षों तक कठिन तपस्या करने के बाद शिव से उनके शिवलिंग को लंका ले जाने का वरदान मांगा था. इसके बाद भगवान शिव ने भी एक शर्त, रावण के सामने रख दी थी, जिसे रावण पूरा नहीं कर सका और शिवलिंग यहीं स्थापित हो गया.

वीडियो रिपोर्ट.

लोक मान्यताओं के अनुसार मंडी के किसी राजा ने इस शिवलिंग को अपने साथ ले जाने की कोशिश की, लेकिन काफी खुदाई के बाद भी शिवलिंग का अंत नहीं मिल पाया. खुदाई के दौरान मजदूरों को जमीन के अंदर से निकली मधुमक्खियों ने बुरी तरह घायल कर दिया था. इस घटना के बाद राजा को अपनी गलती का आभास हुआ और राजा ने शिवलिंग के ऊपर मक्खन से भोले बाबा का श्रृंगार किया.

तब से इस मंदिर में एक नई परंपरा की शुरुआत हुई. हर साल मकर संक्रांति के पर्व पर पवित्र शिवलिंग को सात दिन तक कई क्विंटल मक्खन से ढक दिया जाता है.साल 2005 में भी जब प्रचीन जलैहरी को बदलने की कोशिश की गई तब भी इसकी खुदाई में नीचें तक कई जलैहरियां सामने आई थी. इस दौरान कई प्राचीन सिक्के भी निकले थे. उस समय शिवलिंग के नीचे कोई सिक्का गिराने पर भी काफी समय बाद उसकी आवाज आ रही थी.

बैजानाथ के बाजार में एक ही सुनार की दुकान नहीं है. कहा जाता है कि 70 के दशक में कुछ कारोबारियों ने यहां पर सोने का व्यापार करने की कोशिश की थी, लेकिन कुछ ही समय में उनके साथ बड़ी अनहोनी हो गई. सुनार की दुकान का इस तरह से बंद हो जाने के पीछे भी कई रहस्य हैं, कहा जाता है कि ऐसा इस लिए हुआ क्योंकि यह नगरी शिव भक्त रावण से संबंध रखती है और दशानन रावण सोने की लंका का अधिपति था.

आपको बता दें कि ईटीवी भारत किसी अंधविश्वास का समर्थन नहीं करता बल्कि हमारी कोशिश आप तक लोगों की मान्यताओं को पहुंचाना है.

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Last Updated : Mar 16, 2020, 7:55 PM IST
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