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ज्वालाजी अस्पताल बना कमाई का अड्डा, यहां मरीजों से हो रही लूट!

ज्वालामुखी अस्पताल की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है. यहां निजी लैब के एजेंट मरीजों को बाहर टेस्ट करवाने के लिए दवाब बना रहे जिसे लेकर अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे.

jawalaji hospital private lab agent
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Published : Sep 22, 2019, 7:10 PM IST

ज्वालामुखी: जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी अस्पताल की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है. पिछले कई महीनों से यहां इलाज करवाने आ रहे मरीजों के साथ धोखा हो रहा है या यूं कहें कि एक तरह से मरीजों के साथ लूट की जा रही है. दरअसल ज्वालाजी अस्पताल इन दिनों कमाई का अड्डा बनकर रह गया है.

अस्पताल में सिक्योरिटी गार्ड तैनात ना होने के कारण निजी लैब के एजेंट अस्पताल में दाखिल होकर मरीजों पर टेस्ट अपनी लैब में करवाने का दवाब डालते रहते हैं. इसके चलते डॉक्टर के मरीज को लैब टेस्ट लिखने पर एजेंट दुगना कमीशन लेकर निजी लैब में टेस्ट करवा देते हैं.

इसके चलते अस्पताल की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है. वहीं, विभाग के पदों पर बैठे उच्च अधिकारी भी इससे अछूते नहीं है. कई बार विभाग के आला अधिकारियों से मामले को लेकर शिकायत की जा चुकी है, लेकिन विभाग की ओर से इनकी मनमानी को रोकने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है.

वीडियो.

इसके अलावा ज्वालाजी अस्पताल में मौजूद कुछ एक डॉक्टर भी मरीजों की परेशानी को कम करने की बजाए बढ़ा रहे हैं. अस्पताल के कुछे डॉक्टर मरीजों से दवाइयों के साल्ट नेम की जगह अपनी मनपसंद कंपनियों के ट्रेड नेम लिख रहे हैं जबकि सरकार ने साफ तौर पर स्पष्ट किया है कि डॉक्टर को दवाइयों का साल्ट नेम ही लिखना है.

इस मामले को लेकर सीएमओ धर्मशाला गुरदर्शन गुप्ता ने कहा कि ज्वालाजी अस्पताल में डॉक्टर मरीजों को अपनी मन पसंद कंपनियों के ट्रेड नेम दवाइयों के लिख रहे हैं. इसे लेकर जांच कमेटी बिठाई गई है, जल्द ही इस पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

वहीं, ज्वालाजी अस्पताल के बीएमओ डॉक्टर सतिंदर वर्मा ने कहा कि निजी लैब के एजेंट अस्पताल में मरीजों को परेशान कर रहे हैं. इसके बारे में एजेंटों से बात की गई है. साथ ही दोबारा अस्पताल में दाखिल ना होने के लिए सख्त हिदायत दी गई है.

इस मामले को लेकर विभाग के उच्च अधिकारियों से भी बात की गई है. इसके तहत कुछ ही दिनों में देहरा अस्पताल की तरह ज्वालाजी अस्पताल में भी सिक्योरिटी गार्ड तैनात किया जाएगा, ताकि इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके.

ये भी पढ़ें: 'चीची' ने बगलामुखी में नवाया शीश, बोले- मां के बुलावे पर आया

ज्वालामुखी: जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी अस्पताल की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है. पिछले कई महीनों से यहां इलाज करवाने आ रहे मरीजों के साथ धोखा हो रहा है या यूं कहें कि एक तरह से मरीजों के साथ लूट की जा रही है. दरअसल ज्वालाजी अस्पताल इन दिनों कमाई का अड्डा बनकर रह गया है.

अस्पताल में सिक्योरिटी गार्ड तैनात ना होने के कारण निजी लैब के एजेंट अस्पताल में दाखिल होकर मरीजों पर टेस्ट अपनी लैब में करवाने का दवाब डालते रहते हैं. इसके चलते डॉक्टर के मरीज को लैब टेस्ट लिखने पर एजेंट दुगना कमीशन लेकर निजी लैब में टेस्ट करवा देते हैं.

इसके चलते अस्पताल की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है. वहीं, विभाग के पदों पर बैठे उच्च अधिकारी भी इससे अछूते नहीं है. कई बार विभाग के आला अधिकारियों से मामले को लेकर शिकायत की जा चुकी है, लेकिन विभाग की ओर से इनकी मनमानी को रोकने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है.

वीडियो.

इसके अलावा ज्वालाजी अस्पताल में मौजूद कुछ एक डॉक्टर भी मरीजों की परेशानी को कम करने की बजाए बढ़ा रहे हैं. अस्पताल के कुछे डॉक्टर मरीजों से दवाइयों के साल्ट नेम की जगह अपनी मनपसंद कंपनियों के ट्रेड नेम लिख रहे हैं जबकि सरकार ने साफ तौर पर स्पष्ट किया है कि डॉक्टर को दवाइयों का साल्ट नेम ही लिखना है.

इस मामले को लेकर सीएमओ धर्मशाला गुरदर्शन गुप्ता ने कहा कि ज्वालाजी अस्पताल में डॉक्टर मरीजों को अपनी मन पसंद कंपनियों के ट्रेड नेम दवाइयों के लिख रहे हैं. इसे लेकर जांच कमेटी बिठाई गई है, जल्द ही इस पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

वहीं, ज्वालाजी अस्पताल के बीएमओ डॉक्टर सतिंदर वर्मा ने कहा कि निजी लैब के एजेंट अस्पताल में मरीजों को परेशान कर रहे हैं. इसके बारे में एजेंटों से बात की गई है. साथ ही दोबारा अस्पताल में दाखिल ना होने के लिए सख्त हिदायत दी गई है.

इस मामले को लेकर विभाग के उच्च अधिकारियों से भी बात की गई है. इसके तहत कुछ ही दिनों में देहरा अस्पताल की तरह ज्वालाजी अस्पताल में भी सिक्योरिटी गार्ड तैनात किया जाएगा, ताकि इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके.

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Intro:ज्वालाजी अस्पताल बना कमाई का अड्डा, यहां मरीजों से हो रही लूट खसूट

अस्पताल के अंदर बाहर लैब एजेंटों का रहता है जमाबड़ा
एजेंट मरीजों के अस्पताल में ही सैंपल लेकर निजी लैब में दुगनी कीमतों पर कर रहे टेस्ट
सवालों के घेरे में अस्पताल की कार्यप्रणाली
मामले को लेकर कई बार विभाग के उच्च अधिकारियों से की जा चुकी है शिकायतBody:स्पेशल स्टोरी

ज्वालामुखी, 22 सितम्बर (नितेश): कहते है डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होता है और यहां आए मरीज भी अपनी बीमारियों के चलते डॉक्टरों पर अंधा विश्वास करते है। ऐसा ही कई महीनों से ज्वालाजी अस्पताल में देखने को मिल रहा है। दरअसल ज्वालाजी अस्पताल इन दिनों कमाई का अड्डा बनकर रह गया है और यहां आए मरीजों का इलाज राम भरोसे ही हो रहा है। अस्पताल के मौजूदा हाल ऐसे है कि यहां मरीज डॉक्टर के पास अपना इलाज करवाने बाद में पहुंचता है जबकि अस्पताल के बाहर स्तिथ निजी लैब मालिकों के एंजेट पहले अस्पताल में इकठ्ठे हो जाते है। नतीजतन जैसे ही डॉक्टर ने मरीज को अपने अंग का कोई टेस्ट करने को कहा तो ये एंजेट उससे पर्ची लेकर अस्पताल में ही मरीज का सैंपल लेकर उसका टेस्ट बाहर स्तिथ लैब में करवा देते है। ऐसे में निजी लैब में जो टेस्ट कम दामों में हो सकता है वह टेस्ट एंजेट के माध्यम से कमीशन के चक्कर मे दोगुनी कीमत पर हो रहा है। इससे जहां अस्पताल की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है वहीं विभाग के पदों पर बैठे उच्च अधिकारी भी इससे अछूते नही है। ऐसा इसलिए कयुंकि कई बार विभाग के आला अधिकारियों से इस बारे में शिकायत की जा चुकी है, लेकिन विभाग की ओर से इनकी मनमानी को रोकने के लिए कोई भी ठोस कदम नही उठाया जा रहा है।
वहीं अस्पताल में सिक्योरिटी गार्ड तैनात न होने के चलते ये निजी लैब के एंजेट अस्पताल में बेधड़क दाखिल होकर मरीजों पर टेस्ट अपनी लैब में करबाने के लिए दबाब डालते रहते है। कई बार तो डॉक्टर अभी मरीज कब लिए टेस्ट लिख कर हटा नही की ये उस मरीज की डॉक्टर के सामने ही पर्ची लेकर अपना कार्य करना शुरू कर देते है।
यही नही ज्वालाजी अस्पताल में जहां मरीज निजी लैब एंजेट से परेशान है वहीं अस्पताल में मौजुद कुछेक डॉक्टर भी मरीजों की परेशानी को कम करने की बजाए ओर ज्यादा बढ़ा रहे है। अस्पताल के कुछेक डॉक्टरों की मरीजों से ली जा रही पर्चियों से ये बात स्पष्ट हुई है। पर्चियों को देखने के बाद साफ पता चल रहा है कि यहां डॉक्टर दबाइयों के साल्ट की जगह अपनी मन पसन्द कम्पनियों के ट्रेड नेम लिख रहे है, जबकिं सरकार ने साफ तौर पर स्प्ष्ट किया है कि दबाइयों का साल्ट नेम ही डॉक्टर लिखे । हैरानी की बात ये है कि इस मामले को लेकर सी एम ओ धर्मशाला ओर स्थानीय अस्पताल के बी एम ओ से भी बात की गई है लेकिन समस्या ज्यों के त्यों बनी हुई है।


क्या कहते सी एम ओ धर्मशाला गुरदर्शन दत्त
इस मामले को लेकर सी एम ओ धर्मशाला गुरदर्शन गुप्ता ने कहा कि ज्वालाजी अस्पताल में डॉक्टर मरीजों को अपनी मन पसन्द कम्पनियों के ट्रेड नेम दबाइयों के लिख रहे है ये मामला मेरे ध्यान में आया है। इसे लेकर जांच कमेटी बिठाई गई है जल्द ही इस पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

क्या कहते ज्वालाजी अस्पताल के बी एम ओ
इस मामले को लेकर ज्वालाजी अस्पताल के बी एम ओ डॉक्टर सतिंदर वर्मा ने कहा कि निजी लैब के एंजेट अस्पताल में मरीजों को परेशान कर रहे है इसके बारे इनके साथ वार्तालाप की गई है, साथ ही दोबारा अस्पताल में दाखिल न होने के लिए सख्त हिदायत दी गई है। वहीं इस मामले को लेकर विभाग के उच्च अधिकारियों से भी बात की गई है। इसके तहत कुछ ही दिनों में देहरा अस्पताल की तरह यहां ज्वालाजी में भी सिक्योरिटी गार्ड तैनात किया जाएगा, ताकि इस तरह की गतिविधीयों पर रोक लगाई जा सके। दूसरा अस्पताल में कुछ डॉक्टर द्वारा ब्रेंडड दबाइयां लिखी जा रही है ये मामला आज ही आपके द्वारा ध्यान में आया है जल्द ही इस पर करबाई की जाएगी।
फोटो कैप्शन :
1. ज्वालामुखी : ज्वालाजी अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा मरीजों को दी गई पर्चियां जिसमें ब्रान्डेड दबाइयां लिखी जा रही है। नितेश
Conclusion:
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