तिरुवनंतपुरम: केरल हाई कोर्ट ने जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट के पब्लिकेशन के बाद अपराधों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (SIT) को आरोपी या अन्य व्यक्तियों द्वारा गवाहों को कथित रूप से डराने-धमकाने से रोकने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया है.
हाई कोर्ट का निर्देश वूमेंन सिनेमा कलेक्टिव (WCC) के उन आरोपों के बाद दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि हेमा समिति के समक्ष बयान देने वालों को धमकियां दी जा रही हैं. सुनवाई के दौराव शिकायतकर्ता ने कहा कि वे हमेशा विशेष जांच दल के सदस्यों से सीधे संपर्क नहीं कर पाते हैं. साथ ही डब्ल्यूसीसी ने यह भी कहा कि गवाहों और पीड़ितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र की आवश्यकता है.
नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश
इस पर जस्टिस जयशंकरन नांबियार और जस्टिस सीएस सुधा की विशेष पीठ ने तब एसआईटी को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर शिकायतकर्ताओं को धमकी भरे संदेश मिलते हैं, तो वे नोडल अधिकारी को सूचित कर सकते हैं, जो शिकायतों को जांच दल को अग्रेषित करेंगे.
नोडल अधिकारी को देनी होगी रिपोर्ट
पीठ ने कहा, "एसआईटी को नोडल अधिकारी द्वारा उठाए गए कदमों और की गई कार्रवाई (अगर कोई हो) के बारे में भी एक रिपोर्ट दाखिल करनी होगी." इस कदम से पीड़ितों या गवाहों को जांच के दौरान धमकी या डराने-धमकाने की घटनाओं की तुरंत रिपोर्ट करने में मदद मिलेगी.
इस बीच राज्य सरकार ने अदालत को सूचित किया कि जनवरी में एक फिल्म सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. इसको लेकर शाजी एन. करुण समिति सम्मेलन में मसौदा रिपोर्ट पेश करेगी, जिसे सरकार को सौंपा जाएगा, जिसमें कार्यक्रम के दौरान दिए गए सुझावों को शामिल किया जाएगा. सरकार ने घोषणा की है कि इन सिफारिशों पर विचार करने के बाद एक फिल्म नीति तैयार की जाएगी.