नई दिल्ली: असम के गोलाघाट जिले के डॉ. जहीरुल इस्लाम ने राज्य का अगर (वृक्ष) से पहला मेक इन परफ्यूम बनाकर केंद्र सरकार की वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) पहल की अगुआई करने के मिशन पर हैं. वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट केंद्र सरकार की एक पहल है जिसका उद्देश्य देश के सभी जिलों में संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को साकार करना है.
नई दिल्ली में चल रहे 43वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले (IITF) में असम मंडप में डॉ इस्लाम ने पहले ही दर्शकों की भीड़ को आकर्षित किया है. इस संबंध में इस्लाम ने बुधवार को ईटीवी भारत से कहा, मेरा इरादा इस उत्पाद को वैश्विक आकर्षण बनाना है. अगरवुड या एक्विलरिया मैलाकेंसिस, ज्यादातर असम और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में उगाया जाता है. इसके तेल का उपयोग सुगंधित पदार्थ के रूप में, दवा में और धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है. हालांकि, इसके तेल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल महंगे इत्र बनाने में होता है.
गौरतलब है कि "असम अगरवुड प्रमोशन पॉलिसी 2020" अगर की खेती और इसके डाउनस्ट्रीम उद्योगों को इत्र से लेकर दवाओं के महत्वपूर्ण रासायनिक अवयवों आदि का समर्थन करती है. इस नीति के तहत, राज्य के गोलाघाट जिले में अगर व्यवसाय के लिए एक अत्याधुनिक अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र बनाया जा रहा है.
डॉ. इस्लाम के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र स्थानीय अगरवुड उत्पादकों और व्यापारियों के लिए बेहद फायदेमंद होने की उम्मीद है. यह केंद्र उन्हें एक मूल्यवान मंच प्रदान करेगा, जहां अंतरराष्ट्रीय खरीदार सीधे अगरवुड उत्पाद खरीद सकते हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजार तक सीधी पहुंच का मतलब है कि स्थानीय उत्पादक और व्यापारी बेहतर कीमतें प्राप्त कर सकते हैं और बिचौलियों पर बहुत अधिक निर्भर हुए बिना अपने कारोबार का विस्तार कर सकते हैं.
इसी क्रम में असम के मुख्य सचिव रवि कोटा ने कहा, "अगर अगर (एलोवुड या ईगलवुड) को व्यवस्थित तरीके से विकसित किया जाए तो यह असम के लिए अगली चाय और तेल हो सकता है. असम की जलवायु और असम का परिदृश्य अगर के पेड़ों के लिए सबसे उपयुक्त है. वैश्विक बाजारों में असम के अगरवुड की बहुत मांग है, खासकर मध्य पूर्व में, क्योंकि इसकी सुगंध बहुत अच्छी होती है. इसके अलावा, फेवर और परफ्यूम का एक बड़ा घरेलू बाजार भी दस्तक दे रहा है." उन्होंने कहा कि अकेले अगरवुड चिप्स का वैश्विक बाजार 2034 तक 16.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ जाएगा.
डॉ. इस्लाम 2008 में सऊदी अरब से असम लौटे और अगरवुड की खेती में गहन शोध में जुट गए. डॉ. इस्लाम ने कहा, "2008 में असम लौटने से पहले मैं दूसरे पेशे में था और अगर को बढ़ावा देने की पहल की. अपनी रुचि और जिज्ञासा के कारण, मैं अगर उद्योग में गहराई से उतरा और इसे बढ़ावा देना शुरू किया." गुवाहाटी में राज्य के पहले लाइसेंस प्राप्त विनिर्माण सह खुदरा स्टोर के साथ, डॉ. इस्लाम अब दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई, चेन्नई और अन्य शहरों में आउटलेट खोलने की योजना बना रहे हैं. डॉ. इस्लाम के अनुसार, अगर की लकड़ी, तेल और इत्र की अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बहुत मांग है.
डॉ. इस्लाम ने कहा, "इसका व्यवसाय में बहुत अच्छा भविष्य है। अगर की लकड़ी या अगर के तेल से प्रत्येक पेड़ से अधिक कटाई योग्य लकड़ी प्राप्त करने के लिए, 8 से 10 साल की वृद्धि के बाद या उससे भी पहले पेड़ पर दबाव डालना वांछनीय है. यह तेल निर्माण का उन्नत चरण है."
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