नूरपुर: सरकार कोई भी हो वह अपने-अपने विकास कार्यों का दावा करती तो है लेकिन उसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है. ऐसे ही सरकारी दावों की पोल राजा का बाग पंचायत के चरुड़ी गांव में खुलती नजर आ रही है.
यहां आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस गांव के लोग सड़क सुविधा से वंचित हैं. इस वजह से ग्रामीणों में भारी रोष है. आलम यह है कि इस गांव के बाशिंदों ने लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को वोट ना करने निर्णय लिया है.
इन लोगों के अनुसार जब की कोई व्यक्ति बीमार होता है तो उसे चारपाई में डाल कर मुख्य सड़क तक लाया जाता है. वहीं घर निर्माण से लेकर अन्य शादी समारोह के लिए जरूरी सामन सिर पर उठाकर लाई जाती है.
80 घरों के लगभग पांच सौ की आबादी वाला यह चरुड़ी गांव विकास से कोसों दूर है. क्यूंकि सड़कें विकास की भाग्य रेखाएं होती हैं और जिस गांव में सड़क सुविधा ही ना हो तो वहां विकास की बात करना भी बेमानी है. ग्रामीणों के अनुसार साल 2015 में विधायक प्राथमिकता के तहत इस गांव के लिए सदका बनाए जाने की योजना विभाग को भेजी गई थी.
लेकिन रेलवे ट्रैक और मुख्य सड़क से गांव तक वन विभाग की जमीन आने के कारण यह मसला अधर में ही लटका रहा. ऐसे में इन ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का पूर्णतः बहिष्कार करने और मतदान वाले दिन बूथ के बाहर काले झंडे लेकर बैठने की बात कही है.