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सड़क सुविधा से वंचित लोगों ने खोला मोर्चा, कहा- सड़क नहीं तो वोट नहीं

सरकार कोई भी हो वह अपने-अपने विकास कार्यों का दावा करती तो है लेकिन उसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है. ऐसे ही सरकारी दावों की पोल राजा का बाग पंचायत के चरुड़ी गांव में खुलती नजर आ रही है.

सड़क सुविधा से वंचित लोगों ने खोला मोर्चा
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Published : Apr 29, 2019, 7:17 PM IST

नूरपुर: सरकार कोई भी हो वह अपने-अपने विकास कार्यों का दावा करती तो है लेकिन उसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है. ऐसे ही सरकारी दावों की पोल राजा का बाग पंचायत के चरुड़ी गांव में खुलती नजर आ रही है.

no road facility in nurpur
सड़क सुविधा से वंचित लोगों ने खोला मोर्चा

यहां आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस गांव के लोग सड़क सुविधा से वंचित हैं. इस वजह से ग्रामीणों में भारी रोष है. आलम यह है कि इस गांव के बाशिंदों ने लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को वोट ना करने निर्णय लिया है.

इन लोगों के अनुसार जब की कोई व्यक्ति बीमार होता है तो उसे चारपाई में डाल कर मुख्य सड़क तक लाया जाता है. वहीं घर निर्माण से लेकर अन्य शादी समारोह के लिए जरूरी सामन सिर पर उठाकर लाई जाती है.

सड़क सुविधा से वंचित लोगों ने खोला मोर्चा

80 घरों के लगभग पांच सौ की आबादी वाला यह चरुड़ी गांव विकास से कोसों दूर है. क्यूंकि सड़कें विकास की भाग्य रेखाएं होती हैं और जिस गांव में सड़क सुविधा ही ना हो तो वहां विकास की बात करना भी बेमानी है. ग्रामीणों के अनुसार साल 2015 में विधायक प्राथमिकता के तहत इस गांव के लिए सदका बनाए जाने की योजना विभाग को भेजी गई थी.

लेकिन रेलवे ट्रैक और मुख्य सड़क से गांव तक वन विभाग की जमीन आने के कारण यह मसला अधर में ही लटका रहा. ऐसे में इन ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का पूर्णतः बहिष्कार करने और मतदान वाले दिन बूथ के बाहर काले झंडे लेकर बैठने की बात कही है.

नूरपुर: सरकार कोई भी हो वह अपने-अपने विकास कार्यों का दावा करती तो है लेकिन उसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है. ऐसे ही सरकारी दावों की पोल राजा का बाग पंचायत के चरुड़ी गांव में खुलती नजर आ रही है.

no road facility in nurpur
सड़क सुविधा से वंचित लोगों ने खोला मोर्चा

यहां आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस गांव के लोग सड़क सुविधा से वंचित हैं. इस वजह से ग्रामीणों में भारी रोष है. आलम यह है कि इस गांव के बाशिंदों ने लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को वोट ना करने निर्णय लिया है.

इन लोगों के अनुसार जब की कोई व्यक्ति बीमार होता है तो उसे चारपाई में डाल कर मुख्य सड़क तक लाया जाता है. वहीं घर निर्माण से लेकर अन्य शादी समारोह के लिए जरूरी सामन सिर पर उठाकर लाई जाती है.

सड़क सुविधा से वंचित लोगों ने खोला मोर्चा

80 घरों के लगभग पांच सौ की आबादी वाला यह चरुड़ी गांव विकास से कोसों दूर है. क्यूंकि सड़कें विकास की भाग्य रेखाएं होती हैं और जिस गांव में सड़क सुविधा ही ना हो तो वहां विकास की बात करना भी बेमानी है. ग्रामीणों के अनुसार साल 2015 में विधायक प्राथमिकता के तहत इस गांव के लिए सदका बनाए जाने की योजना विभाग को भेजी गई थी.

लेकिन रेलवे ट्रैक और मुख्य सड़क से गांव तक वन विभाग की जमीन आने के कारण यह मसला अधर में ही लटका रहा. ऐसे में इन ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का पूर्णतः बहिष्कार करने और मतदान वाले दिन बूथ के बाहर काले झंडे लेकर बैठने की बात कही है.


---------- Forwarded message ---------
From:Swarn Rana <swarnhimachalkesari@gmail.com>
Date: Mon, Apr 29, 2019, 5:56 PM
Subject: SWARN RANA NURPUR
To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


HP_NURPUR_NO_ROAD_FASCILITY_AT_CHARUDHI_VILL_SCRIPT_FILE_SWARN_RANA

सरकार कोई भी हो हर सरकार अपने अपने विकासकार्यों का दावा करती है लेकिन उनके यह दावे मात्र दावे ही साबित होते है और जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही नजर आती है|कुछ ऐसे ही विकासकार्य की वानगी राजा का बाग़ पंचायत के  चरुड़ी गांव में देखने को नजर आई जहाँ आजादी के सत्तर वर्ष बीत जाने के बाद भी इस गांव के लोग सड़क सुबिधा से महरूम है|यही कारण है कि इन गांव वासियों का आक्रोश अब चरम सीमा में देखने को मिल रहा है|आलम यह है कि इस गांव के बाशिंदों ने लोकसभा चुनावों में किसी भी पार्टी को वोट ना करने और मतदान का पूर्णतया बहिष्कार करने का एलान किया है|इन लोगों के अनुसार जब की कोई व्यक्ति बीमार होता है तो उसे चारपाई में डाल कर मुख्य सड़क तक लाया जाता है|वहीँ घर निर्माण से लेकर अन्य शादी समारोह में घर लाई जाने वाली सामग्री सिरों पर उठा कर पहुंचाई जाती है|गांव में आने वाली बहुएं अपनी किस्मत को कोसती हुई है|अस्सी घरों के लगभग पांच सौ की आबादी वाला यह चरुड़ी गांव विकास से कोसों दूर है क्यूंकि सड़के विकास की भाग्य रेखाएं होती है और जिस गांव में सड़क सुबिधा ही ना हो तो वहां विकास की बात करना भी बेमानी है|

    गांव वालों की माने तो 2015 में विधायक प्राथमिकता के तहत इस गांव के लिए सदका बांये जाने की योजना विभाग को भेजी गई थी लेकिन एक ओर रेलवे ट्रैक और मुख्य सड़क से गांव तक वैन विभाग की जमीन आने के कारण यह मसला अधर में ही लटका रहा और जो आस इन गांव वासियों को 2015 में जगी थी वो अभी तक दूर की कौड़ी ही साबित हो रही है|ऐसे में इन ग्रामीणों ने लोकसभा चुनावों का पूर्णतया बहिष्कार करने और मतदान वाले दिन बूथ के बाहर काले झंडे लेकर बैठने की बात कही है|

बाईट_अनीता देवी,महिला मंडल प्रधान

बाईट_सलीमा,वार्ड सदस्य

बाईट_स्थानीय निवासी

 

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