कांगड़ाः अवसरवादी राजनीति क्या होती है, ये अगर किसी ने कर दिखाया है तो वो है पंडित सुखराम परिवार. ये कहना है पूर्व राज्यसभा सांसद और भाजपा के प्रदेश महामंत्री कृपाल परमार का. रविवार को पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि दल-बदल की राजनीति के सिरमौर अगर कोई रहे हैं तो वो सुखराम रहे हैं. उन्होंने कहा कि सुखराम ने ही दल-बदल की राजनीति का शुभारंभ किया था और वही इसका समापन करेंगे.
पूर्व राज्यसभा सांसद कृपाल परमार ने कहा कि इस परिवार को कभी कांग्रेस पार्टी में घुटन होती थी तो कभी भाजपा में. ऐसे में मेरी इस परिवार को सलाह है कि वो अपना ईसीजी कराए. परमार ने कहा कि अनिल शर्मा ने कल जो मंत्री पद से इस्तीफा देकर अपने पुत्र के साथ जाने का जो संकेत दिया है, वो उनका राजनितिक क्षेत्र में किया हुआ सबसे बढ़ा आत्मघाती कदम होगा.
उन्होंने कहा कि आज सुखराम के पुत्र ने अपना मंत्री पद खोया है, कल वो विधानसभा की सदस्यता खोएंगे. वहीं, उनका पौत्र लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारेगा. उन्होंने कहा कि इसी के साथ सुखराम के परिवार का राजनितिक अंत हो जाएगा. परमार ने कहा कि सुखराम एक सजायाफ्ता है. जिन्हें तीन साल की सजा हुई है और आज वो पौत्र मोह में पूरे परिवार की राजनीति का अंत करने पर तुले हैं. इस वार्ता में नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया भी उपस्थित रहे.