शिमला: हिमाचल प्रदेश के ठियोग विधानसभा क्षेत्र में जल संकट के दौरान पानी के टैंकर्स से वाटर सप्लाई में गबन का मामला सामने आने के बाद सरकार ने विजिलेंस को जांच सौंप दी है. जल शक्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) की तरफ से इस संदर्भ में विजिलेंस के एडीजीपी को पत्र लिखा गया है. ठियोग के पूर्व विधायक और माकपा नेता राकेश सिंघा की शिकायत पर जल शक्ति विभाग ने विजिलेंस को जांच का जिम्मा दिया है. विभाग के एसीएस की तरफ से विजिलेंस को भेजे गए पत्र के साथ विभागीय जांच की प्रति भी लगाई गई है.
विभागीय जांच में प्रारंभिक तौर पर दोषी पाए गए दस अफसरों को सस्पेंड किया गया है. अब मामले की सारी जांच स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो करेगा. उल्लेखनीय है कि ठियोग में पिछले साल जलसंकट के दौरान वाटर टैंकर्स के माध्यम से पानी की सप्लाई की गई थी, इसमें 1.13 करोड़ रुपए का गबन पाया गया है. फर्जी बिल दर्शा कर सरकार को चूना लगाया गया.
आरटीआई में सामने आई जानकारी के बाद ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने मामले को जोर-शोर से उठाया. उसके बाद डिप्टी सीएम व जल शक्ति विभाग के मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने जांच के आदेश दिए थे. जल शक्ति विभाग के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर शिमला सर्कल ने जांच के बाद रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. ये रिपोर्ट विभाग की इंजीनियर-इन-चीफ के माध्यम से सौंपी गई. विभाग के मतियाना व कसुम्पटी डिविजन के तहत ये सारा घपला हुआ है. जल शक्ति विभाग के संयुक्त सचिव महिपाल वर्मा के माध्यम से विजिलेंस को मामले की विस्तार से जांच करने के लिए कहा गया है.
ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट में
वहीं, जलशक्ति विभाग की जांच के बाद वाटर सप्लाई वाले ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट में डालने की बात कही गई है. ठियोग में हर साल एसडीएम के माध्यम से जल संकट के दौरान दूर-दराज के इलाकों में पानी की सप्लाई का ठेका दिया जाता है. पिछले साल ये ठेका एसडीएम के माध्यम से न देकर खुद जल शक्ति विभाग ने दिया था. विभाग के कसुम्पटी व मतियाना डिवीजन के अफसर इस प्रक्रिया का हिस्सा बने थे.
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