ETV Bharat / state

पूर्व सीएम शांता कुमार ने छोड़ी सरकारी सुविधाएं, बोले: चुभता है लाखों का खर्च

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने वर्तमान मुख्यमंत्री से एस्कोर्ट सुविधा सहित तैनात कर्मचारियों को वापिस लेने की मांग करते हुए कहा कि उन्होंने यह सुविधा पहली जुलाई से लौटाने का निर्णय लिया है. इसलिए सरकार इस दिन से अपनी यह सुविधा वापिस ले.

Former Chief Minister Shanta Kumar
पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार.
author img

By

Published : Jun 27, 2020, 6:48 PM IST

Updated : Jun 27, 2020, 9:04 PM IST

पालमपुर: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखकर एक जुलाई से एस्कार्ट सुविधा वापस लेने के लिए कहा है. शांता ने कहा कि अब वह सांसद भी नहीं हैं और सक्रिय राजनीति से भी मुक्त हो गए हैं, ऐसी परिस्थिति में एस्कार्ट सुविधा की उन्हें कोई आवश्यकता नहीं है.

शांता कुमार ने सरकारी एस्कोर्ट सहित कर्मचारी लौटाने की पेशकश और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर एस्कोर्ट व सरकारी कर्मियों को वापस बुलाने की मांग की. उन्होंने कहा कि जब वह 1977 में मुख्यमंत्री बने थे तो उस समय एक-एक पैसे की बचत की थी उसी के तहत यह आदेश दिया था.

वीडियो.

शनिवार के दिन हर सरकारी गाड़ी हेडक्वाटर आ जाए और रविवार के दिन कोई भी गाड़ी कहीं न जाए इस तरह के दो तीन कार्य करने से कार्यकाल के पहले 2 साल में 50 करोड़ की बचत हुई थी और उससे काम में कोई फर्क नहीं पड़ा था. देश के धन का जरूरत से ज्यादा खर्च नहीं होना चाहिए. उसी दिशा में यह कार्य किया है.

शांता कुमार ने कहा कि सभी सरकार का पैसा बचाए. पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार वर्तमान मुख्यमंत्री से एस्कोर्ट सुविधा सहित तैनात कर्मचारियों को वापिस लेने की मांग करते हुए कहा कि उन्होंने यह सुविधा पहली जुलाई से लौटाने का निर्णय लिया है. इसलिए सरकार इस दिन से अपनी यह सुविधा वापिस ले ले.

उन्होंने तर्क दिया कि अब वह सांसद नहीं हैं और सक्रिय राजनीति से भी मुक्त हो गए हैं. आयु भी अब घर से बाहर प्रवास की इजाजत नहीं दे रही है, ऐसी परिस्थिति में एस्कार्ट सुविधा की उन्हें कोई आवश्यकता नहीं है. एक सरकारी गाड़ी और चार कर्मचारी बिना काम के यहां होते हैं.

लाखों रूपये का यह खर्च उन्हें चुभता रहता है. उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि अब उन्हें यह सुविधा बिलकुल नहीं चाहिए, इसलिए इस सुविधा को अतिशीघ्र वापिस करवाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया गया है. उन्होंने यह चाहा है कि यह सुविधा एक जुलाई, 2020 से ही वापिस कर ली जाए.

वर्तमान में क्या है सुविधाएं

शांता कुमार के पास वर्तमान में एस्कोर्ट गाड़ी सहित एक पुलिस उपनिरीक्षक, एक चालक व दो सुरक्षा गार्ड हैं. वहीं घर की सुरक्षा में एक एएसआई सहित चार जवान पहरा देने के लिए तैनात हैं. इसके अतिरिक्त प्रदेश सचिवालय की ओर से दो निजी सचिव, एक चपरासी हमेशा तैनात रहते हैं.

कब से शुरू हुई प्रथा

पहले पूर्व मुख्यमंत्री को एस्कोर्ट की सुविधा प्रदान नहीं थी. भारतीय जनता पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कैबिनेट में कानून पारित कर पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए आजीवन एस्कोर्ट की सुविधा प्रदान की. वर्तमान में शांता कुमार के अतिरिक्त वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल को यह सुविधा मिल रही है.

शांता कुमार का कार्यकाल

शांता कुमार पहली बार 22 जून 1977 को प्रदेश के तीसरे मुख्यमंत्री बने थे व 14 फरवरी तक कार्यरत रहे. इसके बाद दूसरी बार 5 मार्च 1990 से 15 दिसंबर 1992 तक मुख्यमंत्री रहे. वहीं, 13 अक्तूबर 1999 से 30 जून 2002 तक व पहली जुलाई 2002 से 6 अप्रैल 2004 तक ग्रामीण विकास मंत्री रहे. 16 मई 2014 से 23 मई 2019 तक खाद्य मंत्री रहे.

ये भी पढ़ें- कोरोना संकट: हिमाचल के लोगों के लिए राहत, केंद्र से मिले 500 वेंटिलेटर

पालमपुर: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखकर एक जुलाई से एस्कार्ट सुविधा वापस लेने के लिए कहा है. शांता ने कहा कि अब वह सांसद भी नहीं हैं और सक्रिय राजनीति से भी मुक्त हो गए हैं, ऐसी परिस्थिति में एस्कार्ट सुविधा की उन्हें कोई आवश्यकता नहीं है.

शांता कुमार ने सरकारी एस्कोर्ट सहित कर्मचारी लौटाने की पेशकश और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर एस्कोर्ट व सरकारी कर्मियों को वापस बुलाने की मांग की. उन्होंने कहा कि जब वह 1977 में मुख्यमंत्री बने थे तो उस समय एक-एक पैसे की बचत की थी उसी के तहत यह आदेश दिया था.

वीडियो.

शनिवार के दिन हर सरकारी गाड़ी हेडक्वाटर आ जाए और रविवार के दिन कोई भी गाड़ी कहीं न जाए इस तरह के दो तीन कार्य करने से कार्यकाल के पहले 2 साल में 50 करोड़ की बचत हुई थी और उससे काम में कोई फर्क नहीं पड़ा था. देश के धन का जरूरत से ज्यादा खर्च नहीं होना चाहिए. उसी दिशा में यह कार्य किया है.

शांता कुमार ने कहा कि सभी सरकार का पैसा बचाए. पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार वर्तमान मुख्यमंत्री से एस्कोर्ट सुविधा सहित तैनात कर्मचारियों को वापिस लेने की मांग करते हुए कहा कि उन्होंने यह सुविधा पहली जुलाई से लौटाने का निर्णय लिया है. इसलिए सरकार इस दिन से अपनी यह सुविधा वापिस ले ले.

उन्होंने तर्क दिया कि अब वह सांसद नहीं हैं और सक्रिय राजनीति से भी मुक्त हो गए हैं. आयु भी अब घर से बाहर प्रवास की इजाजत नहीं दे रही है, ऐसी परिस्थिति में एस्कार्ट सुविधा की उन्हें कोई आवश्यकता नहीं है. एक सरकारी गाड़ी और चार कर्मचारी बिना काम के यहां होते हैं.

लाखों रूपये का यह खर्च उन्हें चुभता रहता है. उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि अब उन्हें यह सुविधा बिलकुल नहीं चाहिए, इसलिए इस सुविधा को अतिशीघ्र वापिस करवाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया गया है. उन्होंने यह चाहा है कि यह सुविधा एक जुलाई, 2020 से ही वापिस कर ली जाए.

वर्तमान में क्या है सुविधाएं

शांता कुमार के पास वर्तमान में एस्कोर्ट गाड़ी सहित एक पुलिस उपनिरीक्षक, एक चालक व दो सुरक्षा गार्ड हैं. वहीं घर की सुरक्षा में एक एएसआई सहित चार जवान पहरा देने के लिए तैनात हैं. इसके अतिरिक्त प्रदेश सचिवालय की ओर से दो निजी सचिव, एक चपरासी हमेशा तैनात रहते हैं.

कब से शुरू हुई प्रथा

पहले पूर्व मुख्यमंत्री को एस्कोर्ट की सुविधा प्रदान नहीं थी. भारतीय जनता पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कैबिनेट में कानून पारित कर पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए आजीवन एस्कोर्ट की सुविधा प्रदान की. वर्तमान में शांता कुमार के अतिरिक्त वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल को यह सुविधा मिल रही है.

शांता कुमार का कार्यकाल

शांता कुमार पहली बार 22 जून 1977 को प्रदेश के तीसरे मुख्यमंत्री बने थे व 14 फरवरी तक कार्यरत रहे. इसके बाद दूसरी बार 5 मार्च 1990 से 15 दिसंबर 1992 तक मुख्यमंत्री रहे. वहीं, 13 अक्तूबर 1999 से 30 जून 2002 तक व पहली जुलाई 2002 से 6 अप्रैल 2004 तक ग्रामीण विकास मंत्री रहे. 16 मई 2014 से 23 मई 2019 तक खाद्य मंत्री रहे.

ये भी पढ़ें- कोरोना संकट: हिमाचल के लोगों के लिए राहत, केंद्र से मिले 500 वेंटिलेटर

Last Updated : Jun 27, 2020, 9:04 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.