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इम्युनिटी बढ़ाएगी आयुर्वेदिक खिचड़ी, CSIR-IHBT पालमपुर ने विकसित की स्वदेशी तकनीक

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Published : Jun 23, 2020, 7:43 PM IST

Updated : Jun 24, 2020, 1:06 PM IST

सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर ने रेडी-टू-ईट आयुर्वेदिक खिचड़ी के व्यावसायिक उत्पादन के लिए स्वदेशी तकनीक विकसित की है. यह खिचड़ी शरीर और दिमाग का संतुलन बनाने में महत्वपूर्ण है. इसके अलावा पचाने में आसानी के कारण इसका उपयोग आयुर्वेदिक सफाई चिकित्सा में किया जाता है.

Ayurvedic khichdi
आयुर्वेदिक खिचड़ी

पालमपुर: कमजोर इम्युनिटी सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक तंत्र वाले लोगों को अब घबराने की जरूरत नहीं है. आपकी इस समस्या का समाधान इंस्टेंट आयुर्वेदिक खिचड़ी करेगी. वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआइआर-आइएचबीटी) पालमपुर की बदौलत यह संभव हुआ है.

संस्थान ने रेडी-टू-ईट आयुर्वेदिक खिचड़ी के व्यावसायिक उत्पादन के लिए स्वदेशी तकनीक विकसित की है. शरीर और दिमाग का संतुलन बनाने में यह खिचड़ी महत्वपूर्ण है. पचाने में आसानी के कारण इसका उपयोग आयुर्वेदिक सफाई चिकित्सा में किया जाता है. यह खिचड़ी संक्रमण से भी बचाती है, साथ ही यह सात्विक भोजन है और हर आयु वर्ग के लिए उपयुक्त है. आयुर्वेदिक खिचड़ी में चावल, दाल, आंवला, मेथी, पुदीना, हल्दी व हरड़ को डाला जाता है.

वीडियो.

गौर हो कि इंस्टेंट आयुर्वेदिक खिचड़ी को दिल्ली, पंजाब और उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में व्यावसायिक तौर पर तैयार किया जा रहा है. संस्थान ने केरल में आपदा, ओडिशा में चक्रवात व हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों में मजदूरों के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान खाने के लिए खिचड़ी तैयार करके दी है. संस्थान ने व्यावसायिक उत्पादन के लिए तकनीक मैसर्स ए क्यूब इंक, लुधियाना, मैसर्स सिंह एग्रीटेक, काशीपुर (उत्तराखंड) और मैसर्स डेक्सटर रिटेल एंड डिस्ट्रीब्यूशन (लेनिक्स इंक) लिमिटेड नई दिल्ली को तकनीक हस्तांतरित की है.

औद्योगिक अनुसंधान परिषद-हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआइआर-आइएचबीटी) पालमपुर के निदेशक डॉक्टर संजय कुमार ने कहा कि खिचड़ी हमारे देश का एक बहुत ही पौष्टिक आहार है, जिसमें कार्बोहाइट्रेड, प्रोटीन, मिनरल और फेट्स है. उन्होंने कहा कि संस्थान ने रेडी-टू-ईट खिचड़ी तैयार की है, जिसे बनाकर टीन के डिब्बे में पैक किया है. ऐसे में जरूरत पड़ने पर टीन का डिब्बा खोलने पर हमें बनी बनाई खिचड़ी मिल जाती है.

डॉक्टर संजय कुमार ने कहा कि इसकी पौष्टिकता बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में भी इसके बारे में बताया गया है. खिचड़ी के अंदर आंवला, मेथी डालने से इसकी पोष्टिकता बढ़ जाती है. ओडिशा में आए तूफान में बेघर हुए लोगों को संस्थान ने खिचड़ी के 3 लाख टीन के डिब्बे भेजे थे. कोविड-19 की महामारी में भी संस्थान ने रेडी-टू-ईट आयुर्वेदिक खिचड़ी के डिब्बे कई राज्यों में भेजे हैं. साथ ही स्थानीय प्रशासन को भी दिए है.

केयर फॉर यू अस्पताल पालमपुर की खाद्य विशेषज्ञ नीलम खरवाल ने कहा कि आयुर्वेदिक खिचड़ी खाने से मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इसमें पौष्टिक अनाज के साथ-साथ खनिज और विटामिन भी हैं. पांच मिनट में इसे तैयार कर खाया जा सकता हैं. ये आयुर्वेदिक खिचड़ी हर आयु वर्ग के लिए उपयुक्त है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक खिचड़ी हमारे शरीर के त्रिदोष बात, पित, कफ का संतुलन बनाए रखती है.

ये भी पढ़ें: जिला कांगड़ा में लगा लोगों की एंट्री पर प्रतिबंध, इमरजेंसी में ही मिलेगा ई-पास

पालमपुर: कमजोर इम्युनिटी सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक तंत्र वाले लोगों को अब घबराने की जरूरत नहीं है. आपकी इस समस्या का समाधान इंस्टेंट आयुर्वेदिक खिचड़ी करेगी. वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआइआर-आइएचबीटी) पालमपुर की बदौलत यह संभव हुआ है.

संस्थान ने रेडी-टू-ईट आयुर्वेदिक खिचड़ी के व्यावसायिक उत्पादन के लिए स्वदेशी तकनीक विकसित की है. शरीर और दिमाग का संतुलन बनाने में यह खिचड़ी महत्वपूर्ण है. पचाने में आसानी के कारण इसका उपयोग आयुर्वेदिक सफाई चिकित्सा में किया जाता है. यह खिचड़ी संक्रमण से भी बचाती है, साथ ही यह सात्विक भोजन है और हर आयु वर्ग के लिए उपयुक्त है. आयुर्वेदिक खिचड़ी में चावल, दाल, आंवला, मेथी, पुदीना, हल्दी व हरड़ को डाला जाता है.

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गौर हो कि इंस्टेंट आयुर्वेदिक खिचड़ी को दिल्ली, पंजाब और उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में व्यावसायिक तौर पर तैयार किया जा रहा है. संस्थान ने केरल में आपदा, ओडिशा में चक्रवात व हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों में मजदूरों के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान खाने के लिए खिचड़ी तैयार करके दी है. संस्थान ने व्यावसायिक उत्पादन के लिए तकनीक मैसर्स ए क्यूब इंक, लुधियाना, मैसर्स सिंह एग्रीटेक, काशीपुर (उत्तराखंड) और मैसर्स डेक्सटर रिटेल एंड डिस्ट्रीब्यूशन (लेनिक्स इंक) लिमिटेड नई दिल्ली को तकनीक हस्तांतरित की है.

औद्योगिक अनुसंधान परिषद-हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआइआर-आइएचबीटी) पालमपुर के निदेशक डॉक्टर संजय कुमार ने कहा कि खिचड़ी हमारे देश का एक बहुत ही पौष्टिक आहार है, जिसमें कार्बोहाइट्रेड, प्रोटीन, मिनरल और फेट्स है. उन्होंने कहा कि संस्थान ने रेडी-टू-ईट खिचड़ी तैयार की है, जिसे बनाकर टीन के डिब्बे में पैक किया है. ऐसे में जरूरत पड़ने पर टीन का डिब्बा खोलने पर हमें बनी बनाई खिचड़ी मिल जाती है.

डॉक्टर संजय कुमार ने कहा कि इसकी पौष्टिकता बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में भी इसके बारे में बताया गया है. खिचड़ी के अंदर आंवला, मेथी डालने से इसकी पोष्टिकता बढ़ जाती है. ओडिशा में आए तूफान में बेघर हुए लोगों को संस्थान ने खिचड़ी के 3 लाख टीन के डिब्बे भेजे थे. कोविड-19 की महामारी में भी संस्थान ने रेडी-टू-ईट आयुर्वेदिक खिचड़ी के डिब्बे कई राज्यों में भेजे हैं. साथ ही स्थानीय प्रशासन को भी दिए है.

केयर फॉर यू अस्पताल पालमपुर की खाद्य विशेषज्ञ नीलम खरवाल ने कहा कि आयुर्वेदिक खिचड़ी खाने से मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इसमें पौष्टिक अनाज के साथ-साथ खनिज और विटामिन भी हैं. पांच मिनट में इसे तैयार कर खाया जा सकता हैं. ये आयुर्वेदिक खिचड़ी हर आयु वर्ग के लिए उपयुक्त है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक खिचड़ी हमारे शरीर के त्रिदोष बात, पित, कफ का संतुलन बनाए रखती है.

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Last Updated : Jun 24, 2020, 1:06 PM IST
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