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कोरोना के दौर में नहीं हो पाए दंगल, पहलवानों को सरकार से मदद की आस

हिमाचल के बहुत से पहलवान ऐसे हैं, जिनकी रोजी-रोटी कुश्ती प्रतियोगिताओं पर ही टिकी हुई है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते सरकार ने सभी आयोजनों और प्रतियोगिताओं पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, जिससे कई पहलवानों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है.

Corona effect on wrestling competitions in himachal
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Published : Aug 30, 2020, 11:02 PM IST

Updated : Aug 31, 2020, 5:05 PM IST

धर्मशाला: कोरोना ने लाखों कमाने वाले पहलवानों को भी धूल चटा दी. आलम यह है कि अपने परिवार का पेट पालने के लिए पहलवानों को कुली काम करना पड़ रहा है. हिमाचल के बहुत से पहलवान ऐसे हैं, जिनकी रोजी-रोटी कुश्ती प्रतियोगिताओं पर ही टिकी हुई है, लेकिन कोरोना ने पहलवानों को ऐसी पटकनी दी कि वह चारों खाने चित हो गए.

प्रदेश के बहुत से पहलवान दंगल लड़ते थे और जीत के साथ इनाम की भारी राशि को भी जीतते थे. हिमाचल में मार्च महीने से लेकर बरसात तक दंगलों का आयोजन होता था, लेकिन इस बार लॉकडाउन लग गया और तमाम कुश्ती प्रतियोगिताओं पर मानों ग्रहण लग गया.

वीडियो

लाखों रुपया दंगलों से कमाने वाले पहलवान इस बार कुछ नहीं कमा पाए, जिस वजह से उन्हें अपना गुजार करने के लिए मेहनत मजदूरी करनी पड़ रही है. पहलवानों के मुताबिक दंगलों से अच्छी कमाई हो जाती थी, लेकिन अब वह हालातों के आगे बेबस हो गए हैं.

हिमाचल दंगल कमेटी के उपाध्यक्ष पूर्ण भाटिया ने बताया कि पहलवानों के पास जो पैसा होता है, उसके कुछ हिस्से से वह अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं, और वहीं, बचे हुए पैसें से वह अपनी खुराक पर लगाते हैं, लेकिन अब आलम ये हो गया है कि लाखों कमाने वाले पहलवानों को दो वक्त की रोटी के लिए भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

हिमाचल में कुश्ती प्रतियोगिताओं के दौरान छोटे से छोटा पहलवान भी सीजन में 2 से अढ़ाई लाख रुपये कमा लेता था, लेकिन इस बार इनकी कमाई न हो पाई है. ऐसे में पहलवानों ने सरकार से आर्थिक सहायता की गुहार लगाई है.

सरकार भविष्य में कुश्ती पर कब तक निर्णय लेती है ये तो सरकार पर ही निर्भर करेगा, लेकिन इतना तय है कि कोरोना और लॉकडाउन ने पहलवान की किस्मत पर भी ताला लगा दिया है.

धर्मशाला: कोरोना ने लाखों कमाने वाले पहलवानों को भी धूल चटा दी. आलम यह है कि अपने परिवार का पेट पालने के लिए पहलवानों को कुली काम करना पड़ रहा है. हिमाचल के बहुत से पहलवान ऐसे हैं, जिनकी रोजी-रोटी कुश्ती प्रतियोगिताओं पर ही टिकी हुई है, लेकिन कोरोना ने पहलवानों को ऐसी पटकनी दी कि वह चारों खाने चित हो गए.

प्रदेश के बहुत से पहलवान दंगल लड़ते थे और जीत के साथ इनाम की भारी राशि को भी जीतते थे. हिमाचल में मार्च महीने से लेकर बरसात तक दंगलों का आयोजन होता था, लेकिन इस बार लॉकडाउन लग गया और तमाम कुश्ती प्रतियोगिताओं पर मानों ग्रहण लग गया.

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लाखों रुपया दंगलों से कमाने वाले पहलवान इस बार कुछ नहीं कमा पाए, जिस वजह से उन्हें अपना गुजार करने के लिए मेहनत मजदूरी करनी पड़ रही है. पहलवानों के मुताबिक दंगलों से अच्छी कमाई हो जाती थी, लेकिन अब वह हालातों के आगे बेबस हो गए हैं.

हिमाचल दंगल कमेटी के उपाध्यक्ष पूर्ण भाटिया ने बताया कि पहलवानों के पास जो पैसा होता है, उसके कुछ हिस्से से वह अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं, और वहीं, बचे हुए पैसें से वह अपनी खुराक पर लगाते हैं, लेकिन अब आलम ये हो गया है कि लाखों कमाने वाले पहलवानों को दो वक्त की रोटी के लिए भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

हिमाचल में कुश्ती प्रतियोगिताओं के दौरान छोटे से छोटा पहलवान भी सीजन में 2 से अढ़ाई लाख रुपये कमा लेता था, लेकिन इस बार इनकी कमाई न हो पाई है. ऐसे में पहलवानों ने सरकार से आर्थिक सहायता की गुहार लगाई है.

सरकार भविष्य में कुश्ती पर कब तक निर्णय लेती है ये तो सरकार पर ही निर्भर करेगा, लेकिन इतना तय है कि कोरोना और लॉकडाउन ने पहलवान की किस्मत पर भी ताला लगा दिया है.

Last Updated : Aug 31, 2020, 5:05 PM IST
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