ज्वालामुखी: कोरोना महासंकट के कारण बेशक पिछले कुछ समय से विकास कार्यों पर रोक लग गई हो, लेकिन हर गांव तक विकास का दावा करने वाली सरकारों का कड़वा सच ये भी है कि लंबे समय से विकास की राह देख रहे प्रदेश के कई ग्रामीण इलाके सड़क जैसी मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहे हैं.
ज्वालामुखी के आधे दी हट्टी से लहासन के लिए निर्माणाधीन सड़क यहां के लोगों के लिए एक पहेली बन गई है. सड़क सुविधा ना होने से यहां के ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गांव से बाहर जाने के लिए ग्रामीणों को भारी जद्दोजहद करनी पड़ती है. कोई टैक्सी चालक और न ही कोई ऑटो चालक गांव में जाने की हिम्मत उठाता है. सड़क की खस्ताहालत के कारण बीमारी या अन्य आपातकालीन अवस्था में लोग बीमार मरीजों को कंधों या पालकियों में उठाकर मुख्य सड़क तक पहुंच रहे हैं.
बता दें कि इस सड़क का शिलान्यास 13 मई 2016 को किया गया था. शिलान्यास के समय 2 किलोमीटर लंबी इस सड़क के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग ने 78.90 लाख रुपये स्वीकृत होने की बात कही थी, लेकिन हैरत अंगेज बात यह है कि 4 साल बीत जाने के बाद भी विभाग के पास स्वीकृत राशि का बजट उपलव्ध नहीं है.
लहासन सड़क की इस दुर्दशा पर लोक निर्माण विभाग की अभी तक भी नजर नहीं पड़ रही है. विभागीय सूत्रों की मानें तो जिस वक्त इस सड़क का शिलान्यास हुआ और बोर्ड पर स्वीकृत राशि 78.90 लाख दर्शाई गई. हकीकत में उस समय भी विभाग के पास यह राशि उपलब्ध नहीं थी. दर्शायी गयी राशि मे से केवल 30 लाख रुपये ही विभाग के पास थे, जिसका भी भारी दुरुपयोग करते हुए सड़क की काट छांट और एक दो छोटी पुलिया बनाकर ही पिछली सरकार के कार्यकाल में ही बर्बाद कर दिया गया.
इस पूरे मामले को लेकर ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला ने कहा कि कांग्रेस सरकारों का ये रिवाज रहा है कि बिना बजट के ही निर्माण कार्य के लिए मात्र दिखावा प्रदर्शित करने के लिए भूमि पूजन और शिलान्यास पट्टिकाएं लगा दी जाती है. वहीं, लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियनता सुमन कौंडल ने बताया कि इस सड़क के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर दी गई है. अब जल्द ही इस पर काम शुरू होगा.
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