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300 Covid Employee Terminated: टांडा अस्पताल से 300 कोविड वारियर्स की छुट्टी, कर्मचारियों को सता रही भविष्य की चिंता

मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल टांडा में कार्यरत 300 कोविड आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है. बता दें कि प्रदेश सरकार ने इनके कार्यकाल को तीन महीनों के लिए बढ़ाया था, जो 30 सितंबर को खत्म हो गया. पढ़ें पूरी खबर...(300 Covid Employee Terminated)

300 Corona Employee Terminated in Tanda Hospital
टांडा अस्पताल में 300 कोविड वारियर्स की गई नौकरी
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 30, 2023, 8:03 PM IST

धर्मशाला/कांगड़ा: टांडा अस्पताल में पिछले तीन सालों से कार्यरत कोविड आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है. दरअसल, प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य महकमे में बतौर कोविड वॉरियर्स के रूप में आउटसोर्स पर अपनी सेवाएं दे रहे 300 कर्मचारियों को आज अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी है. इससे पहले प्रदेश सरकार ने इनके कार्यकाल को तीन महीनों तक बढ़ा दिया था, जो आज 30 सितंबर को खत्म हो गया है. अब कोविड वारियर्स को अपने और अपने बच्चों की भविष्य की चिंता सताने लगी है.

बता दें, वैश्विक महामारी कोविड के दौरान प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों की लचर हालत को सबल बनाने और उस वक्त स्वास्थ्य महकमे की टूटती कमर को सहेजने के लिये तत्कालीन सरकार की ओर से ऑउटसोर्स करके रखा गया था. जानकारी के अनुसार, कोविड आउटसोर्स कर्मचारियों के ड्यूटी का आज आखिरी दिन था, जिससे इस स्टाफ में बेहद ज्यादा मायूसी देखी जा रही है. इतना ही नहीं जिन संस्थानों में इस स्टाफ ने ड्यूटियां दीं वहां के प्रबंधक भी ये मान रहे हैं कि ये प्रशिक्षित और अनुशासित स्टाफ था, जिसकी उन्हें सख्त जरूरत है, बावजूद इसके बीते पांच महीने से इस आस और विश्वास के साथ काम कर रहे थे कि अगर सरकार का उन्होंने बुरे वक्त में सहारा दिया तो मंहगाई और बेरोजगारी के इस बुरे वक्त में सरकार भी उनका जरूर सहारा बनेगी. क्योंकि वो बाहर के नहीं बल्कि इसी प्रदेश के नागरिक हैं और सरकार के नेता और मुखिया भी इसी प्रदेश से ही आते हैं, बावजूद इसके ये कोविड वॉरियर्स को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ रही है.

टांडा मेडिकल कॉलेज में काम करने वाले कोविड स्टाफ की मानें तो बीते तीन साढ़े तीन सालों में उन्होंने स्वास्थ्य संस्थान में हर वो काम किया, जिसकी विभाग को जरूरत महसूस हुई और आज अचानक से उन्हें बेरोजगार करके घर भेज दिया जा रहा है, ऐसे हालातों में उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा कि वो करें भी तो क्या करें. दरअसल, कोविड काल में काम करने वाले युवक की संदिग्ध हालातों में हुई मौत को लेकर परिजन बेहद हताश हैं, परिजनों का कहना है कि उनका बेटा और भाई नौकरी जाने के डर से डिप्रेशन में चला गया था, घर के किसी सदस्य से भी बातचीत नहीं करता था और आज वो इस दुनिया से ही चला गया है, ऐसे में देखा जाये तो ये महज इकलौता मामला नहीं बल्कि इससे पहले भी प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से कुछ मामले सामने आते रहे हैं. जिन्होंने कोविड काल में अपनी सेवाएं दी हैं और वो लोग आज नौकरी जाने के डर और बीते लंबे समय से वेतन न मिलने के चलते डिप्रेशन में थे.

ये भी पढ़ें: Corona Employee Terminated: स्वास्थ्य विभाग ने कोविड कर्मचारियों को दिखाया बाहर का रास्ता, कुल्लू में 50 कोरोना वॉरियर्स की हुई छुट्टी

धर्मशाला/कांगड़ा: टांडा अस्पताल में पिछले तीन सालों से कार्यरत कोविड आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है. दरअसल, प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य महकमे में बतौर कोविड वॉरियर्स के रूप में आउटसोर्स पर अपनी सेवाएं दे रहे 300 कर्मचारियों को आज अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी है. इससे पहले प्रदेश सरकार ने इनके कार्यकाल को तीन महीनों तक बढ़ा दिया था, जो आज 30 सितंबर को खत्म हो गया है. अब कोविड वारियर्स को अपने और अपने बच्चों की भविष्य की चिंता सताने लगी है.

बता दें, वैश्विक महामारी कोविड के दौरान प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों की लचर हालत को सबल बनाने और उस वक्त स्वास्थ्य महकमे की टूटती कमर को सहेजने के लिये तत्कालीन सरकार की ओर से ऑउटसोर्स करके रखा गया था. जानकारी के अनुसार, कोविड आउटसोर्स कर्मचारियों के ड्यूटी का आज आखिरी दिन था, जिससे इस स्टाफ में बेहद ज्यादा मायूसी देखी जा रही है. इतना ही नहीं जिन संस्थानों में इस स्टाफ ने ड्यूटियां दीं वहां के प्रबंधक भी ये मान रहे हैं कि ये प्रशिक्षित और अनुशासित स्टाफ था, जिसकी उन्हें सख्त जरूरत है, बावजूद इसके बीते पांच महीने से इस आस और विश्वास के साथ काम कर रहे थे कि अगर सरकार का उन्होंने बुरे वक्त में सहारा दिया तो मंहगाई और बेरोजगारी के इस बुरे वक्त में सरकार भी उनका जरूर सहारा बनेगी. क्योंकि वो बाहर के नहीं बल्कि इसी प्रदेश के नागरिक हैं और सरकार के नेता और मुखिया भी इसी प्रदेश से ही आते हैं, बावजूद इसके ये कोविड वॉरियर्स को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ रही है.

टांडा मेडिकल कॉलेज में काम करने वाले कोविड स्टाफ की मानें तो बीते तीन साढ़े तीन सालों में उन्होंने स्वास्थ्य संस्थान में हर वो काम किया, जिसकी विभाग को जरूरत महसूस हुई और आज अचानक से उन्हें बेरोजगार करके घर भेज दिया जा रहा है, ऐसे हालातों में उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा कि वो करें भी तो क्या करें. दरअसल, कोविड काल में काम करने वाले युवक की संदिग्ध हालातों में हुई मौत को लेकर परिजन बेहद हताश हैं, परिजनों का कहना है कि उनका बेटा और भाई नौकरी जाने के डर से डिप्रेशन में चला गया था, घर के किसी सदस्य से भी बातचीत नहीं करता था और आज वो इस दुनिया से ही चला गया है, ऐसे में देखा जाये तो ये महज इकलौता मामला नहीं बल्कि इससे पहले भी प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से कुछ मामले सामने आते रहे हैं. जिन्होंने कोविड काल में अपनी सेवाएं दी हैं और वो लोग आज नौकरी जाने के डर और बीते लंबे समय से वेतन न मिलने के चलते डिप्रेशन में थे.

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