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स्पेशल: बूंगा में 3 दिन रुके थे बाबा बालक नाथ, भाई कमलाहिया से मिलके आए थे 'पौणाहारी'

मान्यता है कि बाबा बालक नाथ ने यहां कांगू के पेड़ के नीचे 3 दिन विश्राम किया था. उसके बाद ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से यहां मंदिर का निर्माण किया गया. यहां बना बाबा बालक नाथ का मंदिर काफी प्रसिद्ध है और मंडी व हमीरपुर की सीमा पर स्थित है. रविवार के दिन यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं. क्षेत्र के लोगों का यह कुलदेवता है और यहां रोटी का प्रसाद चढ़ाया जाता है.

Special story of place called Bunga in bhornaj, बूंगा में 3 दिन रुके थे बाबा बालक नाथ
बूंगा में 3 दिन रुके थे बाबा बालक नाथ
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Published : Apr 13, 2020, 3:02 PM IST

भोरंज: मान्यता है कि हमीरपुर जिला के उपमंडल भोरंज की अमरोह पंचायत के बुंगा नामक स्थान पर कलयुग के अवतार बाबा बालक नाथ 3 दिन तक रुके थे. बाबा बालक नाथ के चरण बुंगा में पड़ते ही यह स्थान मशहूर हो गया. कहा जाता है कि बाबा बालक नाथ अपने भाई कमलाहिया से मिलने के उपरांत लौट रहे थे.

मान्यता है कि बाबा बालक नाथ ने यहां कांगू के पेड़ के नीचे 3 दिन विश्राम किया था. उसके बाद ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से यहां मंदिर का निर्माण किया गया. यहां बना बाबा बालक नाथ का मंदिर काफी प्रसिद्ध है और मंडी व हमीरपुर की सीमा पर स्थित है. रविवार के दिन यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं. क्षेत्र के लोगों का यह कुलदेवता है और यहां रोटी का प्रसाद चढ़ाया जाता है.

वीडियो.

मंदिर के मंदिर कमेटी के प्रधान जगदेव सिंह ठाकुर का कहना है कि इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. जब बाबा बालक नाथ बाबा कमलाहिया से मिलकर वापिस आये थे तो बाबा बालकनाथ ने यहां कांगू के पेड़ के नीचे बैठकर तीन दिन तक विश्राम किया था. मान्यता है कि यहां पशु चराने गए लोगों ने बाबा को यहां साक्षात देखा. इसके बाद जनसहयोग से यहां मंदिर का निर्माण हुआ.

आज मंदिर में बाबा बालक नाथ की प्रतिमा सहित, शिव परिवार, संतोषी माता, हनुमान का भी मंदिर है. यहां पर ही मंडी जिला के लोगों की कुलदेवी स्करानी माता का मंदिर भी निर्माणाधीन है. उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार और पर्यटन विभाग अगर ध्यान दें तो इस मंदिर को रमणीक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- कुल्लू फ्रूट संघ ने बढ़ाए मदद के हाथ, SDM को सौंपा 51 हजार का चेक

भोरंज: मान्यता है कि हमीरपुर जिला के उपमंडल भोरंज की अमरोह पंचायत के बुंगा नामक स्थान पर कलयुग के अवतार बाबा बालक नाथ 3 दिन तक रुके थे. बाबा बालक नाथ के चरण बुंगा में पड़ते ही यह स्थान मशहूर हो गया. कहा जाता है कि बाबा बालक नाथ अपने भाई कमलाहिया से मिलने के उपरांत लौट रहे थे.

मान्यता है कि बाबा बालक नाथ ने यहां कांगू के पेड़ के नीचे 3 दिन विश्राम किया था. उसके बाद ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से यहां मंदिर का निर्माण किया गया. यहां बना बाबा बालक नाथ का मंदिर काफी प्रसिद्ध है और मंडी व हमीरपुर की सीमा पर स्थित है. रविवार के दिन यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं. क्षेत्र के लोगों का यह कुलदेवता है और यहां रोटी का प्रसाद चढ़ाया जाता है.

वीडियो.

मंदिर के मंदिर कमेटी के प्रधान जगदेव सिंह ठाकुर का कहना है कि इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. जब बाबा बालक नाथ बाबा कमलाहिया से मिलकर वापिस आये थे तो बाबा बालकनाथ ने यहां कांगू के पेड़ के नीचे बैठकर तीन दिन तक विश्राम किया था. मान्यता है कि यहां पशु चराने गए लोगों ने बाबा को यहां साक्षात देखा. इसके बाद जनसहयोग से यहां मंदिर का निर्माण हुआ.

आज मंदिर में बाबा बालक नाथ की प्रतिमा सहित, शिव परिवार, संतोषी माता, हनुमान का भी मंदिर है. यहां पर ही मंडी जिला के लोगों की कुलदेवी स्करानी माता का मंदिर भी निर्माणाधीन है. उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार और पर्यटन विभाग अगर ध्यान दें तो इस मंदिर को रमणीक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है.

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