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मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के निशुल्क दवाई काउंटर से बिना दवाई के ही लौट रहे मरीज

शिकायतकर्ता का कहना है कि तीन घंटे लाइन में लगने के बाद चार बजे काउंटर बंद कर दिया गया और उनकी माता को दवाई नहीं दी गई, जबकि उस लाइन में और भी 50 मरीज दवाई के लिए खड़े थे. एमएस को यह शिकायत निराकरण के लिए दी गई है.

free medicine counter of Medical College Hamirpur
मेडिकल कॉलेज हमीरपुर
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Published : Feb 5, 2020, 11:08 PM IST

हमीरपुर: मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल हमीरपुर में अवस्था लोगों पर भारी पड़ रही है. मेडिकल कॉलेज के निशुल्क दवाई के तीन काउंटर पर महज एक-एक फार्मासिस्ट होने के कारण मरीज बिना दवाई के ही लौट रहे हैं. अस्पताल के दवाई काउंटरों पर छह के बजाए महज तीन फार्मासिस्ट होने के चलते दवाई देने व एंट्री करने का कार्य प्रत्येक काउंटर पर एक-एक फार्मासिस्ट कर रहा है.

इसके चलते मरीजों को दवाई देने में अधिक समय लग रहा है. मरीजों की लंबी कतारें काउंटरों के बाहर लगती हैं. फार्मासिस्टों की कमी के चलते उन्हें घंटों कतारों में खड़े होना पड़ता है. चार बजते ही काउंटर बंद हो जाते हैं. इस कारण मरीजों को बैरंग ही लौटना पड़ता है.

अस्पताल में पर्ची बनाने का समय भी साढ़े तीन हो गया है. इस कारण जब तक मरीज पर्ची बनाकर डॉक्टर को दिखाता है और ओपीडी की कतार में खड़े रहता है. चार बजे के बाद इन्हें दवाई नहीं मिलती है. इससे पूर्व 27 जनवरी को तीन घंटे लाइन में लगने के बावजूद चार बजे काउंटर बंद हो जाने और दवाई नहीं मिलने की शिकायत मुख्यमंत्री सेवा संकल्प पर भी की गई है.

शिकायतकर्ता का कहना है कि तीन घंटे लाइन में लगने के बाद चार बजे काउंटर बंद कर दिया गया और उनकी माता को दवाई नहीं दी गई, जबकि उस लाइन में और भी 50 मरीज दवाई के लिए खड़े थे. एमएस को यह शिकायत निराकरण के लिए दी गई है.

बता दें कि 16 में से एक रेडियोलॉजी, एक फार्मोकोलॉजी, एक माइनर ओटी, एक आरएनटीसीपी लैब, दो आयुष्मान और हिमकेयर योजना. जबकि, अन्य वीआईपी ड्यूटी सहित छुट्टी पर होने के चलते काउंटरों पर कुल मिलाकर तीन या चार फार्मासिस्ट ही रह जाते हैं. आपको बता दें कि इन समस्याओं के समाधान के लिए जब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से बात की जाती है तो जिम्मेदार अधिकारी कैमरा के सामने आने तक के लिए तैयार नहीं होते.

ये भी पढ़ें: कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए इन 3 जिलों में होगी स्क्रीनिंग, जानिए पूरा शेड्यूल

हमीरपुर: मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल हमीरपुर में अवस्था लोगों पर भारी पड़ रही है. मेडिकल कॉलेज के निशुल्क दवाई के तीन काउंटर पर महज एक-एक फार्मासिस्ट होने के कारण मरीज बिना दवाई के ही लौट रहे हैं. अस्पताल के दवाई काउंटरों पर छह के बजाए महज तीन फार्मासिस्ट होने के चलते दवाई देने व एंट्री करने का कार्य प्रत्येक काउंटर पर एक-एक फार्मासिस्ट कर रहा है.

इसके चलते मरीजों को दवाई देने में अधिक समय लग रहा है. मरीजों की लंबी कतारें काउंटरों के बाहर लगती हैं. फार्मासिस्टों की कमी के चलते उन्हें घंटों कतारों में खड़े होना पड़ता है. चार बजते ही काउंटर बंद हो जाते हैं. इस कारण मरीजों को बैरंग ही लौटना पड़ता है.

अस्पताल में पर्ची बनाने का समय भी साढ़े तीन हो गया है. इस कारण जब तक मरीज पर्ची बनाकर डॉक्टर को दिखाता है और ओपीडी की कतार में खड़े रहता है. चार बजे के बाद इन्हें दवाई नहीं मिलती है. इससे पूर्व 27 जनवरी को तीन घंटे लाइन में लगने के बावजूद चार बजे काउंटर बंद हो जाने और दवाई नहीं मिलने की शिकायत मुख्यमंत्री सेवा संकल्प पर भी की गई है.

शिकायतकर्ता का कहना है कि तीन घंटे लाइन में लगने के बाद चार बजे काउंटर बंद कर दिया गया और उनकी माता को दवाई नहीं दी गई, जबकि उस लाइन में और भी 50 मरीज दवाई के लिए खड़े थे. एमएस को यह शिकायत निराकरण के लिए दी गई है.

बता दें कि 16 में से एक रेडियोलॉजी, एक फार्मोकोलॉजी, एक माइनर ओटी, एक आरएनटीसीपी लैब, दो आयुष्मान और हिमकेयर योजना. जबकि, अन्य वीआईपी ड्यूटी सहित छुट्टी पर होने के चलते काउंटरों पर कुल मिलाकर तीन या चार फार्मासिस्ट ही रह जाते हैं. आपको बता दें कि इन समस्याओं के समाधान के लिए जब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से बात की जाती है तो जिम्मेदार अधिकारी कैमरा के सामने आने तक के लिए तैयार नहीं होते.

ये भी पढ़ें: कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए इन 3 जिलों में होगी स्क्रीनिंग, जानिए पूरा शेड्यूल

Intro: नोट: खबर मिसिंग में इंगित की गई थी। मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के निशुल्क दवाई काउंटर से बिना दवाई के ही लौट रहे मरीज हमीरपुर. मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल हमीरपुर में अवस्था लोगों पर भारी पड़ रही है मेडिकल कॉलेज के निशुल्क दवाई के तीन काउंटरों पर महज एक-एक फार्मासिस्ट होने के कारण मरीज बिना दवाई के ही लौट रहे हैं। अस्पताल के दवाई काउंटरों पर छह की बजाय महज तीन फार्मासिस्ट होने के चलते दवाई देने व एंट्री करने का कार्य प्रत्येक काउंटर पर एक-एक फार्मासिस्ट कर रहा है। इसके चलते मरीजों को दवाई देने में अधिक समय लग रहा है। मरीजों की लंबी कतारें काउंटरों के बाहर लगती हैं। फार्मासिस्टों की कमी के चलते उन्हें घंटों कतारों में खड़े होना पड़ता है। चार बजते ही काउंटर बंद हो जाते हैं। इस कारण मरीजों को बैरंग ही लौटना पड़ता है।


Body:अस्पताल में पर्ची बनाने का समय भी साढ़े तीन हो गया है। इस कारण जब तक मरीज पर्ची बनाकर डॉक्टर को दिखाता है और ओपीडी की कतार में खड़े रहता है। चार बजे के बाद इन्हें दवाई नहीं मिलती है। इससे पूर्व 27 जनवरी को तीन घंटे लाइन में लगने के बावजूद चार बजे काउंटर बंद हो जाने और दवाई नहीं मिलने की शिकायत मुख्यमंत्री सेवा संकल्प पर भी की गई है। जिसमें शिकायतकर्ता का कहना है कि तीन घंटे लाइन में लगने के बाद चार बजे काउंटर बंद कर दिया गया और उनकी माता को दवाई नहीं दी गई। जबकि, उस लाइन में और भी 50 मरीज दवाई के लिए खड़े थे। एमएस को यह शिकायत निराकरण के लिए दी गई है। एक तो काउंटर पर फार्मासिस्टों की कमी से दवाई देने में देरी होती है, ऊपर से चार बजे काउंटर बंद हो जाने से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है। अस्पताल में 16 फार्मासिस्ट और तीन चीफ फार्मासिस्ट हैं। ।  


Conclusion:16 में से एक रेडियोलॉजी, एक फार्मोकोलॉजी, एक माइनर ओटी, एक आरएनटीसीपी लैब, दो आयुष्मान और हिमकेयर योजना, जबकि, अन्य वीआईपी ड्यूटी सहित छुट्टी पर होने के चलते काउंटरों पर कुल मिलाकर तीन या चार फार्मासिस्ट ही रह जाते हैं। आपको बता दें कि इन समस्याओं के समाधान के लिए जब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से बात की जाती है तो जिम्मेदार अधिकारी कैमरा के सामने आने तक के लिए तैयार नहीं होते।
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