ETV Bharat / state

मशरूम से मालामाल हुई हमीरपुर की महिलाएं, चंद घंटे की मेहनत से हर माह ₹10 हजार की कमाई! - Mushroom Production in Himachal

हिमाचल का हमीरपुर जिला इन दिनों मशरूम उत्पादन का हब बनता जा रहा है. जिले में 30 मशरूम फार्म में 100 से ज्यादा महिलाएं रोजगार कर रही है. जहां मशरूम उत्पादन से स्वयं सहायता समूह को सालाना लाखों का फायदा हो रहा है. वहीं, यहां काम करने वाली महिलाएं चंद घंटे मेहनत कर हर माह 8 से 10 हजार रुपये तक कमा रही हैं. पढ़िए पूरी खबर...

Mushroom farming
मशरूम से मालामाल हुई हमीरपुर की महिलाएं
author img

By

Published : Jun 20, 2023, 2:06 PM IST

Updated : Jun 21, 2023, 6:57 AM IST

मशरूम की खेती से हमीरपुर की महिलाओं को फायदा.

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश का हमीरपुर जिला मशरूम उत्पादन का केंद्र बनता जा रहा है. यहां ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं मशरूम की खेती से अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ कर रही हैं. खास बात यह है कि ये महिलाएं घर के तमाम काम निपटाने के बाद महज एक से डेढ़ घंटे की मेहनत से माह के 10 हजार रुपये तक कमा रही है. वर्तमान में हमीरपुर जिले में मशरूम उत्पादन के 30 फार्म है. जिसमें 100 से अधिक महिलाएं को रोजगार मिल रहा है.

30 फार्म में 100 महिलाओं को रोजगार: हमीरपुर जिला की महिलाएं सिर्फ मशरूम उत्पादन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मशरूम के कई उत्पाद भी तैयार कर रही हैं. जिला में ढींगरी किस्म के मशरूम 30 फार्म हैं, जिनमें 100 महिलाएं कार्य कर रही हैं. इन महिलाओं को स्वयं सहायता समूह के माध्यम से नाबार्ड के अंतर्गत प्रशिक्षण दिया गया है. मशरूम के इन 30 फार्म के अलावा हमीरपुर जिला के ही ककरू गांव में 10 महिलाएं इन मशरूम के विभिन्न उत्पाद भी तैयार कर रही हैं. एक कंपनी के माध्यम से यह कार्य किया जा रहा है, जिसमें स्वयं सहायता समूह की भागीदारी भी सुनिश्चित की गई है.

Mushroom farming
मशरूम के फायदे

मशरूम से हेल्थ ड्रिंक उत्पादन: बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए बाजारों में बिकने वाले हेल्थ ड्रिंक में मशरूम का अहम रोल है. हमीरपुर में मशरूम से महिलाएं हेल्थ टॉनिक और हेल्थ बूस्टर तैयार कर रही हैं. हमीरपुर की गौरी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं हाईटेक तरीके से आएस्टर मशरूम की खेती कर रही हैं. जिससे महिलाओं को घर बैठे ही आमदनी हो रही है.
ये भी पढ़ें: हमीरपुर जिले में मशरूम उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं, बाजार में मिल रहे बेहतर दाम

हर माह 8 से 10 हजार की कमाई: हमीरपुर शहर के साथ सटे हुए ककरू गांव में गौरी स्वयं सहायता समूह की दस महिलाओं के द्वारा मात्र तीस सौ बैग आएस्टर मशरूम के लगाए गए हैं जिससे आगामी कुछ दिनों में दो लाख 40 हजार रुपये की आमदनी महिलाओं को होगी. मसलन हर महीने महज 1 से 2 घंटे की मेहनत कर हर महिलाओं को 8 से 10000 की कमाई हो रही है.

Mushroom farming
हमीरपुर में मशरूम उत्पादन

मशरूम के सेवन से कई फायदे: आएस्टर मशरूम सबसे पौष्टिक मशरूम होती है. इसमें कई विटामिन सी, विटामिन बी और प्रोटीन के साथ-साथ माइक्रो न्यूट्रीस्टस होते हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ ही कई बीमारियों से बचाती है. आएस्टर मशरूम में नॉनवेज से भी ज्यादा पौषटिक होता है. शरीर में केलेस्ट्रॉल कम करने के लिए मशरूम काफी फायदेमंद है, यह हदय रोग से निजात दिलाता है.

महिलाओं को नाबार्ड से निशुल्क ट्रेनिंग: जिला हमीरपुर में 30 मशरूम यूनिट लगाई गई है. स्वयं सहायता समूहों को टाटा ट्रस्ट के माध्यम से जोड़ा जा रहा है. हिमालयन चेतना एनजीओ अणु के चेयरमैन रजनीश ठाकुर, ट्रेनर मंजू बाला और सौरव अनुज के माध्यम से नाबार्ड के जरिए महिलाओं को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग दी जा रही है. विभिन्न संगठन इस कार्य में जुटे हुए हैं, ताकि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ किया जा सके. इसके साथ ही कंपनी द्वारा हाथों हाथ यह प्रोडक्ट फॉर्म से ही खरीदा जा रहा है. एक तरफ से कंपनी को विभिन्न प्रोडक्ट बनाने के लिए रॉ मटेरियल प्राप्त हो रहा है तो, वहीं दूसरी ओर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को उत्पाद बिक्री की चिंता नहीं है.
ये भी पढ़ें: 1 करोड़ का लोन लेकर खोला मशरूम फार्म, अब सालाना ₹40 लाख की कमाई, सुनील दत्त बने स्वरोजगार के 'ब्रांड एंबेसडर'

प्रोटीन पाउडर और हेल्थ ड्रिंक का निर्माण: मशरूम ट्रेनर मंजू बाला ने बताया कि उन्होंने अपने फार्म में आएस्टर मशरूम लगाया है. नाबार्ड के तहत कुछ महिलाओं को मशरूम उत्पाद का प्रशिक्षण दिया गया है, इन महिलाओं को विनोद ने प्रशिक्षित किया है. स्वयं सहायता समूह द्वारा मशरूम उत्पादन किया जा रहा हैं. उन्होंने बताया कि 50 किलो मशरूम बेचा गया है, जिससे करीब 20 हजार रूपये कमाया है. उन्होंने बताया मशरूम से यहां प्रोटीन पाउडर, हेल्थ ड्रिंक और इम्यूनिटी बूस्टर कैप्सूल तैयार किए जा रहे हैं. ग्राम पंचायत प्रधान मति टीहरा पुष्पा कुमारी ने बताया गौरी स्वयं सहायता समूह की 10 महिलाएं मशरूम उत्पादन का काम कर रही हैं. जिससे इन महिलाओं को फायदा हो रहा है. प्रशिक्षण के बाद महिलाओं को आमदनी का साधन मिला है.

Mushroom farming
मशरूम से तैयार उत्पाद

'बीमारियों से लड़ने में सहायक': मशरूम विशेषज्ञ एवं मुनीषा फूडज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मालिक विनोद कुमार ने बताया कि आएस्टर मशरूम तैयार करने के लिए महिलाओं द्वारा काम किया जा रहा है. मशरूम को ड्राई करने के बाद हेल्थ ड्रिंक और एनर्जी टेबलेट बनाए जा रहे हैं. इस मशरूम से बनी मेडिसन की मूल्य ज्यादा होती हैं. मशरूम से हार्ट के लिए दवाई बनती है. शूगर, बीपी और खून की कमी में मशरूम बहुत उपयोगी है. यह केलेस्ट्रॉल और शूगर लेवल ठीक करता है.

5000 हजार से मशरूम उत्पाद की शुरुआत: कृषि विशेषज्ञ रणदीप सिंह ने बताया महिलाओं को मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया गया है. जिससे अब स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं मशरूम की खेती करके अच्छा उत्पादन कर रही है. उन्होने बताया शुरूआत में पांच हजार रूपये के खर्चे पर बांस के ढांचे पर आएस्टर मशरूम उत्पादन करवाया जा रहा है.

घर के कामकाज के साथ मशरूम की खेती: रीता कुमारी ने बताया उन्होंने मार्च माह में मशरूम लगाने के लिए प्रशिक्षण लिया था और अब घर के कामकाज के साथ मशरूम का काम कर रही है. उम्मीद है कि मशरूम उत्पादन में बढिया मुनाफा मिलेगा. उन्होंने कहा कि बहुत सी महिलाएं डॉ विनोद से ट्रेनिंग लेने के बाद मशरूम उत्पादन में जुटी हैं.
ये भी पढ़ें: Karsog: मशरूम की खेती से संतोषी देवी ने बदली किस्मत, सालाना कमा रही 60 हजार रुपये

मशरूम की खेती से हमीरपुर की महिलाओं को फायदा.

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश का हमीरपुर जिला मशरूम उत्पादन का केंद्र बनता जा रहा है. यहां ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं मशरूम की खेती से अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ कर रही हैं. खास बात यह है कि ये महिलाएं घर के तमाम काम निपटाने के बाद महज एक से डेढ़ घंटे की मेहनत से माह के 10 हजार रुपये तक कमा रही है. वर्तमान में हमीरपुर जिले में मशरूम उत्पादन के 30 फार्म है. जिसमें 100 से अधिक महिलाएं को रोजगार मिल रहा है.

30 फार्म में 100 महिलाओं को रोजगार: हमीरपुर जिला की महिलाएं सिर्फ मशरूम उत्पादन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मशरूम के कई उत्पाद भी तैयार कर रही हैं. जिला में ढींगरी किस्म के मशरूम 30 फार्म हैं, जिनमें 100 महिलाएं कार्य कर रही हैं. इन महिलाओं को स्वयं सहायता समूह के माध्यम से नाबार्ड के अंतर्गत प्रशिक्षण दिया गया है. मशरूम के इन 30 फार्म के अलावा हमीरपुर जिला के ही ककरू गांव में 10 महिलाएं इन मशरूम के विभिन्न उत्पाद भी तैयार कर रही हैं. एक कंपनी के माध्यम से यह कार्य किया जा रहा है, जिसमें स्वयं सहायता समूह की भागीदारी भी सुनिश्चित की गई है.

Mushroom farming
मशरूम के फायदे

मशरूम से हेल्थ ड्रिंक उत्पादन: बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए बाजारों में बिकने वाले हेल्थ ड्रिंक में मशरूम का अहम रोल है. हमीरपुर में मशरूम से महिलाएं हेल्थ टॉनिक और हेल्थ बूस्टर तैयार कर रही हैं. हमीरपुर की गौरी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं हाईटेक तरीके से आएस्टर मशरूम की खेती कर रही हैं. जिससे महिलाओं को घर बैठे ही आमदनी हो रही है.
ये भी पढ़ें: हमीरपुर जिले में मशरूम उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं, बाजार में मिल रहे बेहतर दाम

हर माह 8 से 10 हजार की कमाई: हमीरपुर शहर के साथ सटे हुए ककरू गांव में गौरी स्वयं सहायता समूह की दस महिलाओं के द्वारा मात्र तीस सौ बैग आएस्टर मशरूम के लगाए गए हैं जिससे आगामी कुछ दिनों में दो लाख 40 हजार रुपये की आमदनी महिलाओं को होगी. मसलन हर महीने महज 1 से 2 घंटे की मेहनत कर हर महिलाओं को 8 से 10000 की कमाई हो रही है.

Mushroom farming
हमीरपुर में मशरूम उत्पादन

मशरूम के सेवन से कई फायदे: आएस्टर मशरूम सबसे पौष्टिक मशरूम होती है. इसमें कई विटामिन सी, विटामिन बी और प्रोटीन के साथ-साथ माइक्रो न्यूट्रीस्टस होते हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ ही कई बीमारियों से बचाती है. आएस्टर मशरूम में नॉनवेज से भी ज्यादा पौषटिक होता है. शरीर में केलेस्ट्रॉल कम करने के लिए मशरूम काफी फायदेमंद है, यह हदय रोग से निजात दिलाता है.

महिलाओं को नाबार्ड से निशुल्क ट्रेनिंग: जिला हमीरपुर में 30 मशरूम यूनिट लगाई गई है. स्वयं सहायता समूहों को टाटा ट्रस्ट के माध्यम से जोड़ा जा रहा है. हिमालयन चेतना एनजीओ अणु के चेयरमैन रजनीश ठाकुर, ट्रेनर मंजू बाला और सौरव अनुज के माध्यम से नाबार्ड के जरिए महिलाओं को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग दी जा रही है. विभिन्न संगठन इस कार्य में जुटे हुए हैं, ताकि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ किया जा सके. इसके साथ ही कंपनी द्वारा हाथों हाथ यह प्रोडक्ट फॉर्म से ही खरीदा जा रहा है. एक तरफ से कंपनी को विभिन्न प्रोडक्ट बनाने के लिए रॉ मटेरियल प्राप्त हो रहा है तो, वहीं दूसरी ओर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को उत्पाद बिक्री की चिंता नहीं है.
ये भी पढ़ें: 1 करोड़ का लोन लेकर खोला मशरूम फार्म, अब सालाना ₹40 लाख की कमाई, सुनील दत्त बने स्वरोजगार के 'ब्रांड एंबेसडर'

प्रोटीन पाउडर और हेल्थ ड्रिंक का निर्माण: मशरूम ट्रेनर मंजू बाला ने बताया कि उन्होंने अपने फार्म में आएस्टर मशरूम लगाया है. नाबार्ड के तहत कुछ महिलाओं को मशरूम उत्पाद का प्रशिक्षण दिया गया है, इन महिलाओं को विनोद ने प्रशिक्षित किया है. स्वयं सहायता समूह द्वारा मशरूम उत्पादन किया जा रहा हैं. उन्होंने बताया कि 50 किलो मशरूम बेचा गया है, जिससे करीब 20 हजार रूपये कमाया है. उन्होंने बताया मशरूम से यहां प्रोटीन पाउडर, हेल्थ ड्रिंक और इम्यूनिटी बूस्टर कैप्सूल तैयार किए जा रहे हैं. ग्राम पंचायत प्रधान मति टीहरा पुष्पा कुमारी ने बताया गौरी स्वयं सहायता समूह की 10 महिलाएं मशरूम उत्पादन का काम कर रही हैं. जिससे इन महिलाओं को फायदा हो रहा है. प्रशिक्षण के बाद महिलाओं को आमदनी का साधन मिला है.

Mushroom farming
मशरूम से तैयार उत्पाद

'बीमारियों से लड़ने में सहायक': मशरूम विशेषज्ञ एवं मुनीषा फूडज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मालिक विनोद कुमार ने बताया कि आएस्टर मशरूम तैयार करने के लिए महिलाओं द्वारा काम किया जा रहा है. मशरूम को ड्राई करने के बाद हेल्थ ड्रिंक और एनर्जी टेबलेट बनाए जा रहे हैं. इस मशरूम से बनी मेडिसन की मूल्य ज्यादा होती हैं. मशरूम से हार्ट के लिए दवाई बनती है. शूगर, बीपी और खून की कमी में मशरूम बहुत उपयोगी है. यह केलेस्ट्रॉल और शूगर लेवल ठीक करता है.

5000 हजार से मशरूम उत्पाद की शुरुआत: कृषि विशेषज्ञ रणदीप सिंह ने बताया महिलाओं को मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया गया है. जिससे अब स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं मशरूम की खेती करके अच्छा उत्पादन कर रही है. उन्होने बताया शुरूआत में पांच हजार रूपये के खर्चे पर बांस के ढांचे पर आएस्टर मशरूम उत्पादन करवाया जा रहा है.

घर के कामकाज के साथ मशरूम की खेती: रीता कुमारी ने बताया उन्होंने मार्च माह में मशरूम लगाने के लिए प्रशिक्षण लिया था और अब घर के कामकाज के साथ मशरूम का काम कर रही है. उम्मीद है कि मशरूम उत्पादन में बढिया मुनाफा मिलेगा. उन्होंने कहा कि बहुत सी महिलाएं डॉ विनोद से ट्रेनिंग लेने के बाद मशरूम उत्पादन में जुटी हैं.
ये भी पढ़ें: Karsog: मशरूम की खेती से संतोषी देवी ने बदली किस्मत, सालाना कमा रही 60 हजार रुपये

Last Updated : Jun 21, 2023, 6:57 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.