हमीरपुर: 1 मई को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह विधानसभा क्षेत्र नादौन में सीटू बड़ा प्रदर्शन करेगी. वहीं, मजदूर वर्ग के मांगें यदि इस प्रदर्शन के बाद भी पूरी नहीं होंगी तो शिमला में सचिवालय का घेराव किया जाएगा. सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉक्टर कश्मीर ठाकुर ने हमीरपुर के ऐतिहासिक गांधी चौक पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए यह बड़ा बयान दिया है. हिमाचल भवन एवं सड़क निर्माण मजदूर यूनियन (सीटू) ने प्रदेश सरकार द्वारा श्रमिक कल्याण बोर्ड से लाखों मजदूरों को बाहर करने व मजदूरों के लाभ रोकने के विरोध में सोमवार को गांधी चौक हमीरपुर में धरना प्रदर्शन किया गया.
सोमवार को हुए इस प्रदर्शन में सैकड़ों महिलाएं मौजूद रहीं. सीटू राष्ट्रीय सचिव डॉ. कश्मीर सिंह ठाकुर की अगुवाई में हमीरपुर के मुख्य बाजार में विरोध रैली भी निकाली गई. भोटा चौक हमीरपुर से लेकर गांधी चौक हमीरपुर तक सैंकड़ों सीटू कार्यकर्ताओं ने रैली निकालकर प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई. सीटू के पदाधिकारियों का दावा है कि प्रदेश सरकार ने लाखों मजदूरों को मिलने वाले लाभों को रोक दिया है. हालात ऐसे हैं कि प्रदेश में मजदूरों का पंजीकरण व नवीनीकरण का काम भी बंद कर दिया है. डॉ. कश्मीर ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कल्याण बोर्ड से जुड़े 400000 लोगों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. इन 400000 लोगों में 80000 मजदूर हमीरपुर जिले से हैं. प्रदेश सरकार की तरफ से सेस अदा करने की शर्त लगाई गई है.
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं जिन मजूदरों को सात-आठ वर्षों से पेंशन मिल रही थी इस भी बंद कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने 2017 में इस फैसले को लागू करने का निर्णय लिया था, लेकिन प्रदेश सरकार ने हिमाचल में इस निर्णय को लागू नहीं किया था. हिमाचल में कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही इस निर्णय को लागू कर प्रदेश के लाखों मजदूरों के अधिकारों का हनन किया है.
डॉ. कश्मीर ठाकुर ने कहा कि जब तक प्रदेश सरकार मजदूरों कॉपी के नवीनीकरण के कार्यों को और भी अन्य वित्तीय लाभों को शुरू नहीं करती है तो यह प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधायक रहते हुए इन योजनाओं के तहत मिलने वाले लाभ को मजदूरों को दिया है. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इन सभी योजनाओं को बंद कर दिया. डॉक्टर कश्मीर ठाकुर ने कहा कि यह सुख की सरकार नहीं है बल्कि दुख की सरकार है. जिसने मजदूरों के हक छीन लिए हैं.
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