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इस शिक्षक ने बदल ली स्कूल की 'तस्वीर', महंगे प्राइवेट स्कूलों को भी छोड़ दिया पीछे - himachal education department news

पेशे से सरकारी प्राइमरी स्कूल के टीचर जनक राज ने अपनी इनोवेटिव सोच से राजकीय प्राथमिक स्कूल थल्ली सियुका का कायाकल्प कर दिया. टीकर के मार्गदर्शन में इस स्कूल के सभी बच्चे खेल-खेल में सभी सब्जेक्ट्स पढ़ रहे हैं.

देशराज प्राइमरी स्कूल टीचर
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Published : Sep 23, 2019, 5:04 PM IST

चंबा: प्रदेश में एक ओर जहां सरकारी स्कूलों का स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है. वहीं, चंबा के राजकीय प्राथमिक स्कूल थल्ली सियुका में तैनात टीचर देशराज अपनी मेहनत और नई सोच से बच्चों को पढ़ा रहे हैं. जेबीटी टीचर देशराज ने ज्वाइनिंग के बाद स्कूल में शिक्षा का माहौल ही बदल दिया है.

बच्चों को पढ़ाते हुए देशराज
बच्चों को पढ़ाते हुए देशराज

स्कूल में सभी विषयों को मॉडल के माध्यम से पढ़ाया जाता है, जिससे बच्चों की रूची पढ़ाई की ओर बढ़ गई है. बच्चे शौक से पढ़ाई कर सभी विषयों को खेल-खेल में सीख रहे हैं. स्कूल में मॉर्निंग असेम्बली अंग्रेजी में होती है. वहीं, बच्चों को आम विषयों के साथ सामान्य ज्ञान भी पढ़ाया जाता है. टीचर देशराज की नई सोच से ये राजकीय प्राथमिक स्कूल थल्ली किसी भी महंगे निजी स्कूल से कम नहीं है.

मॉडल के जरिए बच्चों के पढ़ाते हुए देशराज

जानकारी के अनुसार, पहले इस स्कूल में करीब 20 के करीब बच्चे पढ़ते थे, लेकिन स्कूल में अब बच्चों की संख्या 36 पहुंच गई है और ये सब देशराज की मेहनत और इनोवेटिव सोच से संभव हो पाया है. स्कूल के टीचर वेस्ट मटेरियल इकट्ठा कर मॉडल बनाकर बच्चों को पढ़ाते हैं. वहीं, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक भी खुश हैं उनका कहना है कि स्कूल के अध्याकों की मेहनत से बच्चों की रूची पढ़ाई की ओर बढ़ गई है और बच्चे एग्जाम में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.

चंबा: प्रदेश में एक ओर जहां सरकारी स्कूलों का स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है. वहीं, चंबा के राजकीय प्राथमिक स्कूल थल्ली सियुका में तैनात टीचर देशराज अपनी मेहनत और नई सोच से बच्चों को पढ़ा रहे हैं. जेबीटी टीचर देशराज ने ज्वाइनिंग के बाद स्कूल में शिक्षा का माहौल ही बदल दिया है.

बच्चों को पढ़ाते हुए देशराज
बच्चों को पढ़ाते हुए देशराज

स्कूल में सभी विषयों को मॉडल के माध्यम से पढ़ाया जाता है, जिससे बच्चों की रूची पढ़ाई की ओर बढ़ गई है. बच्चे शौक से पढ़ाई कर सभी विषयों को खेल-खेल में सीख रहे हैं. स्कूल में मॉर्निंग असेम्बली अंग्रेजी में होती है. वहीं, बच्चों को आम विषयों के साथ सामान्य ज्ञान भी पढ़ाया जाता है. टीचर देशराज की नई सोच से ये राजकीय प्राथमिक स्कूल थल्ली किसी भी महंगे निजी स्कूल से कम नहीं है.

मॉडल के जरिए बच्चों के पढ़ाते हुए देशराज

जानकारी के अनुसार, पहले इस स्कूल में करीब 20 के करीब बच्चे पढ़ते थे, लेकिन स्कूल में अब बच्चों की संख्या 36 पहुंच गई है और ये सब देशराज की मेहनत और इनोवेटिव सोच से संभव हो पाया है. स्कूल के टीचर वेस्ट मटेरियल इकट्ठा कर मॉडल बनाकर बच्चों को पढ़ाते हैं. वहीं, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक भी खुश हैं उनका कहना है कि स्कूल के अध्याकों की मेहनत से बच्चों की रूची पढ़ाई की ओर बढ़ गई है और बच्चे एग्जाम में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.

Intro:इस होनहार अध्यापक ने आसानी से बच्चों को खेल खेल में दिया पढाई का मंत्र. मॉडल के जरिये होती हैं पढाई

कहते हैं सपने सकार उन्ही के होते है जो सपनो के लिए नींदे छोड़ देते है ऐसे ही एक होनहार अध्यापक देश राज की कहानी है ,जिन्होंने चंबा जिला के दूरदराज एव जनजातीय क्षेत्र भरमौर के अंतर्गत आने वाले राजकीय प्राथमिक पाठशाला थल्ली सियुका में करके दिखाई , पेशे से जेबीटी अध्यापक ने गाँव में शिक्षा का माहोल ही बदल कर रख दिया इस स्कूल मे पढने वाले बच्चों को मॉडर्न तरीके से देश राज पढ़ाने का काम कर रहे है ,यहाँ सभी विषयों को जैसे अंग्रेजी हिंदी मैथ को मॉडल के माध्यम से बच्चो को आसानी से पढाया जाता है बच्चे बड़े शोक से यहाँ से यहाँ पढ़ाई करते है और खेल ही खेल में इस स्कूल के बच्चे पूरे जिले में अलग पहचान बनाये हुए हैनं ,मोर्निंग असेम्बली अंग्रेजी में और इसके अलाबा बच्चों को समान्य ज्ञान सहित आम विषयों को देश राज अलग अलग मोडलों के माध्यम से पढ़ते हैं ,इस होनहार अध्यापक ने सरकारी स्कूल इ तस्वीर बदल कर रख दी है जब आप इस स्कूल में जाएंगे तो आपको ये स्कूल किसी निजी स्कूल से कम नहीं दिखेगा ,देश राज ने मैथ को आसानी से समझाने के लिए वेस्ट समान से छोटे छोटी मशीने बनाई है और बच्चों को इतनी आसानी से समझ आता हैं की शायद किसी निजी स्कूल में भी इस तरह की सोच नहीं हो सकती ,यही नहीं कहानी रूकती देश राज की इस स्कूल में शुरुआत में 20 के करीब बच्चे थे लेकिन देश राज और उनके सहयोगी अध्यापक नेक राज की मेहनत ने इन बच्चों की संख्या 36 के करीब पहंचा दी हैं ,इस स्कूल में बच्चे पढाई में तो होशियार है ही साथ में खेलकूद प्रतियोगिता में भी उतने ही होशियारी दिखाते है सबसे दूरदराज क्षेत्र में इस अध्यापक की इस तरह की पहल कहीं न कहीं सरकारी स्कूलों के प्रति विशावस कायम करने का भरोसा दिला रही है ,सर्दियों के अवकाश में ये अध्यापक गाँव गाँव जाकर पानी की खली बोतलें इकठा करता है और उस वेस्ट समान से बच्चों के लिए नए नए तरीके से मशीने तैयार करवाते है देश राज के साथ नेक राज भी उतना ही सहयोग देते है ,

Body:वाही दूसरी और स्कूली बचों का कहना है की हमारे अध्यापक हमें मॉडर्न तरीके से पढ़ाते है जिससे हमें पढ़ाई करने में आसानी होती हैं और हमें जल्दी सब समझ आता है Conclusion:वाही दूसरी बच्चों के अभिभावकों के का कहना है की हमारे स्कूल की तस्वीर यहाँ के अध्यापकों ने बदल के रख दी है ऐसे पढाई शायद पहली बार देख रहे है हमें बहुत ख़ुशी होती हैं ,
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