चंबा: धार्मिक परंपराओं को निभाने के लिए आयोजित हो रही उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा शुरू होने से पहले ही मौसम खलनायक बन गया. रविवार को डल झील पर शाम के वक्त बर्फबारी का दौर आरंभ हो गया. जिसके चलते प्रशासन ने डल झील पर छड़ियों के साथ मौजूद यात्रियों को गौरीकुंड में शिफ्ट करना आरंभ कर दिया है. साथ ही, यात्रियों को मौसम साफ होने पर ही डल झील की ओर जाने की अपील भी की है.
मणिमहेश यात्रा का जन्माष्टमी पर्व पर होने वाले छोटे न्हौण का आगाज रविवार रात 11:26 पर हो गया है. इस दौरान डल में डुबकी लगाने के लिए भद्रवाह से छड़ियों के साथ यात्री रविवार को डल झील पहुंचे है. उपमंडलीय प्रशासन के समक्ष पहुंची सूचना के तहत डल पर 80 के करीब यात्री थे. लिहाजा शाम को बर्फबारी आरंभ होने की सूचना भरमौर पहुंची, तो प्रशासन ने तुरंत हरकत में आते हुए इन सभी को गौरीकुंड शिफ्ट करने की कवायद आरंभ कर दी. मणिमहेश यात्रा अधिकारिक तौर पर 30 अगस्त यानी आज से 13 सितंबर तक चलेगी.
मणिमहेश न्यास के सदस्य सचिव एवं एसडीएम भरमौर मनीष कुमार सोनी का कहना है कि सवा छह बजे तक डल में साठ के करीब यात्री पहुंचे थे, जिन्हें गौरीकुंड शिफ्ट करने के निर्देश दे दिए हैं. वहीं, उन्होंने यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर मौजूद यात्रियों को मौसम साफ होने पर ही डल की ओर रूख करने की अपील की है.
मणिमहेश यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए चार सेक्टर्स में अधिकारियों को तैनान किया गया है, जिनसे प्रशासन पल-पल की जानकारी ले रहा है. प्रशासन ने सेक्टर अधिकारियोंं को भी मौसम की स्थिति देखकर ही यात्रियों को डल की ओर भेजने के निर्देश दिए हैं. उधर, खराब मौसम को देखते हुए रविवार की रात यात्रियों को हड़सर में ही रोक लिया गया. जबकि, शेष यात्री यात्रा के जिस-जिस पड़ाव पर है, उन्हें सुरक्षित स्थान पर रोका गया है.
वहीं, चंबा के उपायुक्त डीसी राणा का कहना है कि वैश्विक कोरोना महामारी के कारण इस बार भी मणिमहेश यात्रा धार्मिक रस्मों तक ही सीमित होगी. यात्रा पर जाने वाले शिव गूर व अन्य श्रद्धालुओं ने वैक्सीन की दोनों डोज लगवाई हो या फिर उनके पास 72 घंटे पहले की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट होना अनिवार्य है. बाहरी श्रद्धालुओं को यात्रा पर जाने की अनुमति नहीं दी गई है.
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