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डल झील की ओर रवाना हुई दशनाम छड़ी, भरमौर में हुआ भव्य स्वागत - दशनाम अखाड़ा

दशनाम छड़ी का भरमौर पहुंचने पर चौरासी मंदिर परिसर के प्रवेश द्वार पर पंडित लक्ष्मण दत्त शर्मा ने छड़ी की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना कर स्वागत किया गया. इस दौरान समूचा चौरासी परिसर भोले नाथ के जयकारों से गूंज उठा.

डल झील की ओर रवाना हुई दशनाम छड़ी, भरमौर में हुआ भव्य स्वागत
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Published : Sep 3, 2019, 12:37 PM IST

चंबा: राधाष्टमी पर होने वाले शाही स्नान के लिए दशनाम छड़ी यात्रा सोमवार को डल झील की ओर रवाना हो गई. धर्मराज मंदिर परिसर में स्थित दशनाम अखाड़ा में ठहराव के बाद यह छड़ी रवाना हुई है. लिहाजा सोमवार को छड़ी का रात्रि ठहराव हड़सर में होगा और 4 सितंबर को धनछो, 5 सितंबर को मणिमहेश झील पर पहुंचेगी. जिसके बाद 6 सितंबर को पवित्र डल में स्नान के बाद छड़ी चंबा की ओर रूख कर लेगी.

दशनाम छड़ी का भरमौर पहुंचने पर चौरासी मंदिर परिसर के प्रवेश द्वार पर पंडित लक्ष्मण दत्त शर्मा ने छड़ी की विधिवत रूप से पूजा कर स्वागत किया. इस दौरान समूचा चौरासी परिसर भोले नाथ के जयकारों से गूंज उठा. वहीं छड़ी को भरमौर स्थित अखाड़े में विश्राम करने के लिए रख दिया गया. मंगलवार सुबह विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद छड़ी अपने अगले पड़ाव के लिए निकल गई.

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ये भी पढ़ें: धर्मपुर को मिली करोड़ों की सौगात, IPH मंत्री ने बताया प्रदेश में मॉडल विधानसभा क्षेत्र

बता दें कि 31 अगस्त को दशनाम अखाड़ा परिसर में दत्तात्रेय महाराज व पवित्र छड़ी की विधिवत तरीके से पूजा-अर्चना के उपरांत मणिमहेश के लिए रवाना हुई थी. जाहिर है कि रियासतकाल से भी मणिमहेश यात्रा चली आ रही है और छड़ी की परंपरा भी उसी समय से निभाई जा रही है.

चंबा: राधाष्टमी पर होने वाले शाही स्नान के लिए दशनाम छड़ी यात्रा सोमवार को डल झील की ओर रवाना हो गई. धर्मराज मंदिर परिसर में स्थित दशनाम अखाड़ा में ठहराव के बाद यह छड़ी रवाना हुई है. लिहाजा सोमवार को छड़ी का रात्रि ठहराव हड़सर में होगा और 4 सितंबर को धनछो, 5 सितंबर को मणिमहेश झील पर पहुंचेगी. जिसके बाद 6 सितंबर को पवित्र डल में स्नान के बाद छड़ी चंबा की ओर रूख कर लेगी.

दशनाम छड़ी का भरमौर पहुंचने पर चौरासी मंदिर परिसर के प्रवेश द्वार पर पंडित लक्ष्मण दत्त शर्मा ने छड़ी की विधिवत रूप से पूजा कर स्वागत किया. इस दौरान समूचा चौरासी परिसर भोले नाथ के जयकारों से गूंज उठा. वहीं छड़ी को भरमौर स्थित अखाड़े में विश्राम करने के लिए रख दिया गया. मंगलवार सुबह विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद छड़ी अपने अगले पड़ाव के लिए निकल गई.

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बता दें कि 31 अगस्त को दशनाम अखाड़ा परिसर में दत्तात्रेय महाराज व पवित्र छड़ी की विधिवत तरीके से पूजा-अर्चना के उपरांत मणिमहेश के लिए रवाना हुई थी. जाहिर है कि रियासतकाल से भी मणिमहेश यात्रा चली आ रही है और छड़ी की परंपरा भी उसी समय से निभाई जा रही है.

Intro:
अजय शर्मा, चंबा
राधाष्टमी के छह सितंबर को होने वाले शाही स्नान के लिए दशनाम छड़ी यात्रा सोमवार को डल झील की ओर रवाना हो गई है। धर्मराज मंदिर परिसर में स्थित दशनाम अखाड़ा में ठहराव के बाद यह छड़ी रवाना हुई है। लिहाजा सोमवार को छड़ी का रात्रि ठहराव हड़सर में होगा और चार सितंबर को धनछो और पांच को मणिमहेश झील पर पहुंचेगी। जिसके बाद छह सिंबर को पवित्र डल में स्नान के बाद छड़ी चंबा की ओर रूख कर लेगी।

Body:जानकारी के अनुसार सोमवार शाम को दशनाम छड़ी भरमौर पहुंची। इस दौरान चौरासी मंदिर परिसर के प्रवेश द्धार पर पंडित लक्ष्मण दत्त शर्मा ने छड़ी की विधिवत रूप से पूजा कर स्वागत किया। इस दौरान समूचा चौरासी परिसर भोले नाथ के उदघोषों से गूंज उठा। वहीं छड़ी को भरमौर स्थित अखाड़े में विश्राम हेतू रख दिया गया। लिहाजा मंगलवार सुबह विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद छड़ी अपने अगले पड़ाव के लिए निकल गई।
Conclusion: बता दें कि 31 अगस्त को दशनाम अखाड़ा परिसर में दत्तात्रेय महाराज व पवित्र छड़ी की विधिवत तरीके से पूजा-अर्चना के उपरांत मणिमहेश के लिए रवाना हुई थी। जाहिर है कि रियासतकाल से भी मणिमहेश यात्रा चली आ रही है और छड़ी की परंपरा भी उसी समय से है। जिसका मौजूदा समय में भी साधु-संत समाज द्घारा निभाया जा रहा है।
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