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होली के लिए 'कलरफुल' हुई पहाड़ों की रानी, एन्जॉय के साथ स्किन का इस तरह रखें ख्याल

होली के लिए 'कलरफुल' हुई पहाड़ों की रानी एन्जॉय के साथ स्किन का इस तरह रखें ख्याल

होली के लिए 'कलरफुल' हुई पहाड़ों की रानी
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Published : Mar 19, 2019, 10:40 PM IST

शिमला: रंगों के त्योहार होली जिसे देश सहित प्रदेश भर में धूमधाम से मनाया जाता है उस त्योहार के लिए राजधानी शिमला का बाजार सज चुका है. अलग-अलग तरह के रंगों की वैरायटी बाजारों में उपलब्ध है जिससे कि रंगों के इस पर्व को रंगीन बनाया जा सके.

होली के लिए 'कलरफुल' हुई पहाड़ों की रानी

शिमला के सभी बाजारों में दुकानों पर जगह जगह रंग सजाए गए हैं और लोग खरीदारी के लिए बाजारों में पहुंच रहे हैं. इस बार बाजारों में हर्बल रंगों की भरमार है और कम से कम केमिकल युक्त रंग दुकानों पर रखे गए हैं. खास बात यह ही कि जो लोग बाजारों में रंगों की खरीद के लिए आ रहे हैं वो हर्बल और केमिकल फ्री रंगों की ही डिमांड कर रहे हैं.

इसी बात को देखते हुए बाजारों में जयपुरी रंगों को खास होली के लिए मंगाया गया है. इसके अलावा ब्रांड के गुलाल के रंग भी होली के लिए बाजारों में उपलब्ध है. इसके अलावा पानी में घुलने वाले रंग भी बाजारों में उपलब्ध है. बच्चों के लिए यह त्योहार बेहद खास होता है. यही वजह है कि बच्चों के लिए तरह-तरह की पिचकारियां बाजारों में उपलब्ध है.

बच्चें अपने पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की पिचकारियां खरीद रहे हैं. इन पिचकारियों की कीमत 100 रुपये से शुरू हो कर हजारों में है. शिमला के दुकानदार तरुण ने बताया कि होली को लेकर उन्हें अच्छा रुझान मिल रहा है. इस बार लोग हर्बल रंग जो स्कीन को किसी तरह का नुकसान ना पहुंचाए उनकी डिमांड कर रहे हैं.

हबर्ल और केमिकल फ्री रंग महंगे जरूर हैं लेकिन इसके बावजूद भी लोग इन्हें खरीद रहे हैं. उन्होंने बताया कि अच्छे और केमिकल फ्री रंगों की पहचान करनी है तो उन्हें अपने हाथों पर ले कर फैलाए, अगर हाथों को कपड़े से साफ करने पर ही रंग आसनी से छूट रहा है और किसी तरह का रेत या मिट्टी की रगड़ आपको महसूस नहीं हो रही है तो रंग होली के लिए सही है और केमिकल फ्री है.

वहीं, शिमला जोनल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक लोकेंद्र का कहना है कि होली रंगों का त्योहार है और इसे देश सहित प्रदेश भर में धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन इस त्योहार में रंगों से खेलते समय बहुत सी बातों का ध्यान भी रखना पड़ता है.

वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक लोकेंद्र ने कहा कि सिंथेटिक रंगों के साथ ही केमिकल वाले रंग चेहरे पर लगाने से कई तरह के स्कीन इंफेक्शन हो सकते हैं. इसलिए जितना हो सके ड्राई ओर हर्बल ,नेचुरल रंगों का ही इस्तेमाल होली मनाने के लिए करें. साथ ही जिन लोगों को पहले से ही किसी तरह की स्किन से जुड़ीं परेशानियां है वो रंग ना लगाए.

शिमला: रंगों के त्योहार होली जिसे देश सहित प्रदेश भर में धूमधाम से मनाया जाता है उस त्योहार के लिए राजधानी शिमला का बाजार सज चुका है. अलग-अलग तरह के रंगों की वैरायटी बाजारों में उपलब्ध है जिससे कि रंगों के इस पर्व को रंगीन बनाया जा सके.

होली के लिए 'कलरफुल' हुई पहाड़ों की रानी

शिमला के सभी बाजारों में दुकानों पर जगह जगह रंग सजाए गए हैं और लोग खरीदारी के लिए बाजारों में पहुंच रहे हैं. इस बार बाजारों में हर्बल रंगों की भरमार है और कम से कम केमिकल युक्त रंग दुकानों पर रखे गए हैं. खास बात यह ही कि जो लोग बाजारों में रंगों की खरीद के लिए आ रहे हैं वो हर्बल और केमिकल फ्री रंगों की ही डिमांड कर रहे हैं.

इसी बात को देखते हुए बाजारों में जयपुरी रंगों को खास होली के लिए मंगाया गया है. इसके अलावा ब्रांड के गुलाल के रंग भी होली के लिए बाजारों में उपलब्ध है. इसके अलावा पानी में घुलने वाले रंग भी बाजारों में उपलब्ध है. बच्चों के लिए यह त्योहार बेहद खास होता है. यही वजह है कि बच्चों के लिए तरह-तरह की पिचकारियां बाजारों में उपलब्ध है.

बच्चें अपने पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की पिचकारियां खरीद रहे हैं. इन पिचकारियों की कीमत 100 रुपये से शुरू हो कर हजारों में है. शिमला के दुकानदार तरुण ने बताया कि होली को लेकर उन्हें अच्छा रुझान मिल रहा है. इस बार लोग हर्बल रंग जो स्कीन को किसी तरह का नुकसान ना पहुंचाए उनकी डिमांड कर रहे हैं.

हबर्ल और केमिकल फ्री रंग महंगे जरूर हैं लेकिन इसके बावजूद भी लोग इन्हें खरीद रहे हैं. उन्होंने बताया कि अच्छे और केमिकल फ्री रंगों की पहचान करनी है तो उन्हें अपने हाथों पर ले कर फैलाए, अगर हाथों को कपड़े से साफ करने पर ही रंग आसनी से छूट रहा है और किसी तरह का रेत या मिट्टी की रगड़ आपको महसूस नहीं हो रही है तो रंग होली के लिए सही है और केमिकल फ्री है.

वहीं, शिमला जोनल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक लोकेंद्र का कहना है कि होली रंगों का त्योहार है और इसे देश सहित प्रदेश भर में धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन इस त्योहार में रंगों से खेलते समय बहुत सी बातों का ध्यान भी रखना पड़ता है.

वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक लोकेंद्र ने कहा कि सिंथेटिक रंगों के साथ ही केमिकल वाले रंग चेहरे पर लगाने से कई तरह के स्कीन इंफेक्शन हो सकते हैं. इसलिए जितना हो सके ड्राई ओर हर्बल ,नेचुरल रंगों का ही इस्तेमाल होली मनाने के लिए करें. साथ ही जिन लोगों को पहले से ही किसी तरह की स्किन से जुड़ीं परेशानियां है वो रंग ना लगाए.

Intro:रंगों के त्योहार होली जिसे देश सहित प्रदेश भर में धूमधाम से मनाया जाता है उस त्योहार के लिए राजधानी शिमला का बाज़ार सज चुका है। अलग अलग तरह के रंगों की वैरायटी बाजारों में उपलब्ध है जिससे कि होली ओर खास कर रंगों के इस पर्व को रंगीन बनाया जा सके। शिमला के सभी बाजारों में दुकानों पर जगह जगह रंग सजाए गए हैं और लोग ख़रीदारी के लिए बाजारों में पहुंच गए है।


Body:इस बार बाजारों में हर्बल रंगों की भरमार है और कम से कम कैमिकल के रंग बाजारों में दुकानों पर रखे गए है। खास बात यह ही कि जो लोग बाजारों में रंगों की खरीद के लिए आ रहे है वो हर्बल ओर कैमिकल फ्री रंगों की ही डिमांड कर रहे है और उन्हीं रंगों को खरीद भी रहे है। इसी बात को देखते हुए बाजारों में जयपुरी रंगों को खास होली के लिए आया गया है। इसके अलावा ब्रांड के गुलाल के रंग भी होली के लिए बाजारों में उपलब्ध है। इसके अलावा पानी में घुलने वाले रंग भी बाजारों में उपलब्ध है। बच्चों के लिए यह त्यौहार बेहद खास होता है यही वजह है कि बच्चों के लिए तरह-तरह की पिचकारियां बाजारों में उपलब्ध है। बच्चें अपने पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की पिचकारियां खरीद रहे हैं। इन पिचकारियों की कीमत 100 रुपये से शुरू हो कर हजारों में हैं।


Conclusion:शिमला के दुकानदार तरुण ने बताया कि होली को लेकर उन्हें अच्छा रुझान मिल रहा है। इस बार लोग हर्बल रंग जो स्कीन को किसी तरह का नुकसान ना पहुंचाए उनकी डिमांड कर रहे है। रंगों में जयपुरी रंग जो मुलायम ओर खुशबूदार हैं के अलावा गुलाल की भी डिमांड है। हबर्ल और कैमिकल फ्री रंग महंगे जरूर है लेकिन इसके बावजूद भी लोग इन्हें खरीद रहे है। बच्चों को ज्यादातर अपने पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की पिचकारियां पसंद आ रही है। उन्होंने बताया कि अच्छे और कैमिकल फ्री रंगों की पहचान करनी है तो उन्हें अपने हाथों पर ले कर फैलाए अगर हाथों को कपड़े से साफ करने पर ही रंग आसनी से छूट रहा है और किसी तरह का रेत या मिट्टी की रगड़ आपको महसूस नहीं हो रही है तो रंग होली के लिए सही है और कैमिकल फ्री है। वहीं शिमला जोनल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक लोकेंद्र का कहना है कि होली रंगों का त्यौहार है और इसे देश सहित प्रदेश भर में धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन इस त्यौहार में रंगों को खलते समय बहुत सी बातों का ध्यान भी रखना पड़ता है और वो यह है की सिंथेटिक रंगों के साथ ही कैमिकल वाले रंग चेहरे पर लगाने से कई तरह के स्कीन इंफेक्शन हो सकते है। इसलिए जितना हो सके ड्राई ओर हर्बल ,नेचुरल रंगों का ही इस्तेमाल होली मनाने के लिए करें। साथ ही जिन लोगों को पहले से ही किसी तरह की स्किन से जुड़ीं परेशानियां है वो रंग ना लगाए।
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