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'अर्जुन' से 'गुरू द्रोण' बनने तक का सफर,  जिस हॉस्टल में सीखी कबड्डी की बारीकियां...वहीं बन गए कोच - गयं गांव का रहने वाला प्रमोद

चौपाल क्षेत्र के गयं गांव का रहने वाला प्रमोद साईं हॉस्टल बिलासपुर में बतौर कबड्डी कोच अपनी सेवाएं देने के लिए पहुंचे हुए हैं. ईटीवी भारत के संवादाता से विशेष बातचीत में प्रमोद ने बताया कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि जिस हॉस्टल में उन्होंने कभी प्रशिक्षण लिया था और आज उसी हॉस्टल में बतौर कोच अपनी सेवाएं देंगे.

Story of newly appointed Kabaddi coach Pramod Khangta at Bilaspur Sai Hostel, प्रमोद खागटा की सफलता कहानी
प्रमोद खागटा और ईटीवी संवाददाता
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Published : Jan 11, 2020, 5:51 PM IST

बिलासपुर: वर्ष 2008 में अपने सपनों को पूरा करने के लिए शिमला जिला के चौपाल क्षेत्र से निकला एक खिलाड़ी प्रमोद खागटा बिलासपुर के साई हॉस्टल में पहुंचा था. जहां पर उस खिलाड़ी ने कबड्डी की बारीकियों को सीखा और हॉस्टल से 3 साल प्रशिक्षण लेने के बाद अपना अभ्यास जारी रखा और कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया.

वीडियो.

चौपाल क्षेत्र के गयं गांव के रहने वाले प्रमोद खागटा को साल 209 में साईं हॉस्टल बिलासपुर में बतौर कबड्डी कोच नियुक्त किया गया है. ईटीवी भारत के संवादाता से विशेष बातचीत में प्रमोद ने बताया कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि जिस हॉस्टल में उन्होंने कभी प्रशिक्षण लिया था और आज उसी हॉस्टल में बतौर कोच अपनी सेवाएं देंगे.

प्रमोद ने बताया कि उन्होंने 2008 से 2011 तक बिलासपुर हॉस्टल से कबड्डी का प्रशिक्षण लिया. उसके बाद अपने गांव चौपाल चले गए. जहां से उन्होंने अपने ग्रेजुएशन पूरी की. उसके बाद उन्होंने बीपीएड सुंदरनगर जिला मंडी से की. खेल के प्रति अधिक रुचि होने के चलते प्रमोद एनआईएस करने के लिए बेंगलुरु चले गए. जहां पर उन्होंने कबड्डी खेल में एनआईएस की डिग्री ली.

प्रमोद खागटा ने बताया वह इससे पहले ही जालंधर की एक निजी यूनिवर्सिटी में बतौर कोच अपनी सेवाएं दे रहे थे. इस दौरान उन्होंने साई हॉस्टल में अपनी सेवाएं देने के लिए परीक्षा दी. पहले चरण में ही उनकी सिलेक्शन हो गई और वह सीधे अपने ट्रेनिंग के लिए दिल्ली रवाना हो गए. अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद प्रमोद को सीधा बिलासपुर ज्वाइनिंग करने का अवसर प्राप्त हुआ. प्रमोद ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता सहित अपने कोच को दिया है.

ये भी पढ़ें- पर्यटकों के लिए वरदान तो स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत बनी बर्फ

बिलासपुर: वर्ष 2008 में अपने सपनों को पूरा करने के लिए शिमला जिला के चौपाल क्षेत्र से निकला एक खिलाड़ी प्रमोद खागटा बिलासपुर के साई हॉस्टल में पहुंचा था. जहां पर उस खिलाड़ी ने कबड्डी की बारीकियों को सीखा और हॉस्टल से 3 साल प्रशिक्षण लेने के बाद अपना अभ्यास जारी रखा और कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया.

वीडियो.

चौपाल क्षेत्र के गयं गांव के रहने वाले प्रमोद खागटा को साल 209 में साईं हॉस्टल बिलासपुर में बतौर कबड्डी कोच नियुक्त किया गया है. ईटीवी भारत के संवादाता से विशेष बातचीत में प्रमोद ने बताया कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि जिस हॉस्टल में उन्होंने कभी प्रशिक्षण लिया था और आज उसी हॉस्टल में बतौर कोच अपनी सेवाएं देंगे.

प्रमोद ने बताया कि उन्होंने 2008 से 2011 तक बिलासपुर हॉस्टल से कबड्डी का प्रशिक्षण लिया. उसके बाद अपने गांव चौपाल चले गए. जहां से उन्होंने अपने ग्रेजुएशन पूरी की. उसके बाद उन्होंने बीपीएड सुंदरनगर जिला मंडी से की. खेल के प्रति अधिक रुचि होने के चलते प्रमोद एनआईएस करने के लिए बेंगलुरु चले गए. जहां पर उन्होंने कबड्डी खेल में एनआईएस की डिग्री ली.

प्रमोद खागटा ने बताया वह इससे पहले ही जालंधर की एक निजी यूनिवर्सिटी में बतौर कोच अपनी सेवाएं दे रहे थे. इस दौरान उन्होंने साई हॉस्टल में अपनी सेवाएं देने के लिए परीक्षा दी. पहले चरण में ही उनकी सिलेक्शन हो गई और वह सीधे अपने ट्रेनिंग के लिए दिल्ली रवाना हो गए. अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद प्रमोद को सीधा बिलासपुर ज्वाइनिंग करने का अवसर प्राप्त हुआ. प्रमोद ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता सहित अपने कोच को दिया है.

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Intro:-जिस हॉस्टल से सीखी बारीकियां आज उसी हॉस्टल में बन गए कोच
-बिलासपुर साईं हॉस्पिटल में नवनियुक्त कबड्डी कोच प्रमोद खांगटा की दास्तां
-चौपाल की एक छोटे से गांव ग्या का रहने वाला है प्रमोद
-2008 में अपने सपनों को पूरा करने के लिए पहुंचा था बिलासपुर

स्पेशल इन्टरव्यू....

बिलासपुर।
2008 सन में अपने सपनों को पूरा करने के लिए शिमला जिला के चौपाल क्षेत्र से निकला एक खिलाड़ी प्रमोद खागटा बिलासपुर के साई हॉस्टल में पहुंचा था। जहां पर उस खिलाड़ी ने अपने खेल कबबड्डी की बारीकियों को सीखा और होस्टल से 3 साल प्रशिक्षण लेने के बाद अपना लगातार अभ्यास जारी रखने पर अब वह 2019 सत्र में उसी बिलासपुर हॉस्टल में बतौर कबड्डी कोच पहुंच गया। जी हां, चौपाल क्षेत्र के गयं गांव का रहने वाला प्रमोद साईं हॉस्टल बिलासपुर में बतौर कबड्डी कोच के लिए अपनी सेवाएं देने के लिए पहुंचे हुए हैं।


Body:ईटीवी भारत के संवादाता से विशेष बातचीत में प्रमोद ने बताया कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि जिस हॉस्टल में उन्होंने कभी प्रशिक्षण लिया था और आज उसी हॉस्टल में बतौर अपनी सेवाएं देनी पड़ जाए। प्रमोद ने बताया कि उन्होंने 2008 से 2011 तक बिलासपुर हॉस्टल से कबड्डी का प्रशिक्षण लिया। उसके बाद अपने गांव चौपाल चले गए। जहां से उन्होंने अपने ग्रेजुएशन पूरी की। उसके बाद उन्होंने बीपीएड सुंदरनगर जिला मंडी से की। खेल के प्रति अधिक रुचि होने के चलते प्रमोद ने एनआईएस करने के लिए बेंगलुरु में चले गए। जहां पर उन्होंने कबड्डी खेल में एनआईएस की।


Conclusion:उन्होंने बताया कि वह इससे पहले ही जालंधर की एक निजी यूनिवर्सिटी में बतौर कोच अपनी सेवाएं दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने बिना किसी सोचे समझे साई हॉस्टल में अपनी सेवाएं देने के लिए टेस्ट भरा और अपने पहले चरण में ही उनकी सिलेक्शन हो गई। और वह सीधे अपने ट्रेनिंग के लिए दिल्ली रवाना हो गए। अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद प्रमोद को सीधा बिलासपुर जॉइनिंग करने का अवसर प्राप्त हुआ। प्रमोद ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता सहित अपने कोच को दिया है।
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