ETV Bharat / state

टिड्डियों को लेकर बागवानी विभाग ने जारी किया अलर्ट, बचाव के लिए करें कीटनाशकों का छिड़काव

किसानों को टिड्डी दल से बचाव के लिए इससे प्रभावित इलाकों में रात के समय ही कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए, जिसमें मैलाथियान 50 प्रतिशत ईसी 3.7 एमएल/लीटर पानी, मैलाथियान 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी 7.4 ग्राम/लीटर पानी, क्लोरोपाईरोफास 20 प्रतिशत ईसी 2.4 एम.एल./लीटर पानी, क्लोरोपाइरॉस 50 प्रतिशत ईसी 1.0 एमएल/लीटर पानी शामिल है.

Horticulture Department Himachal Pradesh
उद्यान विभाग हिमाचल प्रदेश
author img

By

Published : Jun 3, 2020, 7:32 PM IST

बिलासपुर: कोरोना संकट के बीच कई राज्यों में टिड्डों का आतंक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले टिड्डी दल का प्रकोप राजस्थान होते हुए महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश तक पहुंच गया है. उप-निदेशक बागवानी डॉ. विनोद शर्मा ने बताया कि देश के उत्तरी भागों मुख्यत उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में टिड्डी दल का भयंकर प्रकोप देखा गया है, जिसके चलते किसानों को भारी मात्रा में नुकसान का सामना करना पड़ा है.

डॉ. विनोद शर्मा बताया कि टिड्डी दल को रात में आराम नहीं करने देना चाहिए, जिसके लिए किसानों को इससे प्रभावित इलाकों में रात के समय ही कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए, जिसमें मैलाथियान 50 प्रतिशत ईसी 3.7 एमएल/लीटर पानी, मैलाथियान 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी 7.4 ग्राम/लीटर पानी, क्लोरोपाईरोफास 20 प्रतिशत ईसी 2.4 एम.एल./लीटर पानी, क्लोरोपाइरॉस 50 प्रतिशत ईसी 1.0 एमएल/लीटर पानी शामिल है.

उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि छिड़काव करते समय मास्क, दस्ताने, चश्मा और एपरन का प्रयोग जरूर करें. उन्होंने बताया कि इस छिड़काव को फसल काटने के 12 से 15 दिन पहले करना चाहिए. इन टिड्डी दलों का ब्रीडिंग समय जून-जुलाई से अक्टूबर-नवम्बर तक होता है.

डॉ. विनोद शर्मा ने बताया कि टिड्डी दल खाली पड़े खेतों में अण्डे देते हैं जिन्हें नष्ट करने के लिए खेतों में गहरी नालियां खोद कर पानी से भर दें ताकि इससे इसकी संख्या को बढने से रोका जा सके. उन्होंने बताया कि एक टिड्डी दल दिन भर में 100-150 किलोमीटर तक उड़ सकती है और 20-25 मिनट में ही पूरी फसल बर्बाद कर सकती है.

विनोद शर्मा ने बताया कि इसके हमले से बचने के लिए किसान थालियां या टीन का शोर करके भी टिड्डी दल को भगाते है ताकि टिड्डी दल के हमले से फसलों को बचाया जा सके. टिड्डी दल फसलों पर दिन के समय पर हमला करता है और रात को टिड्डी दल विश्राम करता है.

बिलासपुर: कोरोना संकट के बीच कई राज्यों में टिड्डों का आतंक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले टिड्डी दल का प्रकोप राजस्थान होते हुए महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश तक पहुंच गया है. उप-निदेशक बागवानी डॉ. विनोद शर्मा ने बताया कि देश के उत्तरी भागों मुख्यत उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में टिड्डी दल का भयंकर प्रकोप देखा गया है, जिसके चलते किसानों को भारी मात्रा में नुकसान का सामना करना पड़ा है.

डॉ. विनोद शर्मा बताया कि टिड्डी दल को रात में आराम नहीं करने देना चाहिए, जिसके लिए किसानों को इससे प्रभावित इलाकों में रात के समय ही कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए, जिसमें मैलाथियान 50 प्रतिशत ईसी 3.7 एमएल/लीटर पानी, मैलाथियान 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी 7.4 ग्राम/लीटर पानी, क्लोरोपाईरोफास 20 प्रतिशत ईसी 2.4 एम.एल./लीटर पानी, क्लोरोपाइरॉस 50 प्रतिशत ईसी 1.0 एमएल/लीटर पानी शामिल है.

उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि छिड़काव करते समय मास्क, दस्ताने, चश्मा और एपरन का प्रयोग जरूर करें. उन्होंने बताया कि इस छिड़काव को फसल काटने के 12 से 15 दिन पहले करना चाहिए. इन टिड्डी दलों का ब्रीडिंग समय जून-जुलाई से अक्टूबर-नवम्बर तक होता है.

डॉ. विनोद शर्मा ने बताया कि टिड्डी दल खाली पड़े खेतों में अण्डे देते हैं जिन्हें नष्ट करने के लिए खेतों में गहरी नालियां खोद कर पानी से भर दें ताकि इससे इसकी संख्या को बढने से रोका जा सके. उन्होंने बताया कि एक टिड्डी दल दिन भर में 100-150 किलोमीटर तक उड़ सकती है और 20-25 मिनट में ही पूरी फसल बर्बाद कर सकती है.

विनोद शर्मा ने बताया कि इसके हमले से बचने के लिए किसान थालियां या टीन का शोर करके भी टिड्डी दल को भगाते है ताकि टिड्डी दल के हमले से फसलों को बचाया जा सके. टिड्डी दल फसलों पर दिन के समय पर हमला करता है और रात को टिड्डी दल विश्राम करता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.