ऊना: शहर में हाइवे पर दर्जनों बेसहारा पशु हादसों को न्यौता दे रहे हैं. बेसहारा पशुओं के सड़क पर कोहराम मचाने से रोज कोई न कोई वाहन चालक व राहगीर जख्मी हो रहे हैं.
स्थानीय लोगों ने बताया कि सड़क पर घूमने वाले बेसहारा पशुओं से आये दिन सड़क हादसों में लोग जख्मी हो रहे है. साथ ही पशुओं के आपस में भीड़ जाने के कारण हाइवे पर काफी लंबा जाम लग जाता है. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन और नगर परिषद से इस समस्या का समाधान करने की बात कही गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.
समूर गांव में निर्मित गौशाला कमेटी के उपाध्यक्ष मनोहर लाल ने बताया कि नगर परिषद द्वारा इस गौशाला का संचालन करने के लिए हाथ खड़े कर दिए गए हैं. साथ ही उद्घाटन के बाद से ही नगर परिषद के किसी भी अधिकारी या सदस्य द्वारा गौशाला के लिए कोई सहयोग नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों द्वारा ही गौशाला को चलाया जा रहा है. इसके अलावा पशुओं के चारे के लिए सरकार की ओर से केवल 16 हजार रुपये मिले थे, जिससे खरीदा गया चारा सिर्फ 5 दिन ही चल पाया.
वही नगर परिषद के कार्यकारी ईओ विजय राय ने बताया कि नगर परिषद द्वारा 34 लाख रुपये की राशि खर्च करके गौशाला का निर्माण किया गया है, उन्होंने बताया कि अगर गौशाला के लिए कोई मदद नहीं की जा रही, तो रिकॉर्ड की जांच की जाएगी.
कांग्रेस विधायक सतपाल रायजादा ने बताया कि सरकार गाय के नाम पर लाखों रुपये राजस्व इकट्ठा कर रही है, लेकिन गौशालाओं में सरकार की भागीदारी नाममात्र ही है. उन्होंने ने बताया कि जो गौशालाएं चल रही है, वो केवल लोगों के सहयोग से ही काम कर रही हैं.
बता दें कि नगर परिषद द्वारा इन गौवंश को रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. करीब डेढ़ साल पहले समूर गांव में 34 लाख रुपये खर्च करके नगर परिषद ऊना सहित सात गांवों के बेसहारा पशुओं को आश्रय देने के लिए गौशाला का निर्माण किया गया था, लेकिन गौशाला के उद्घाटन के बाद से नगर परिषद ने इस गौशाला का रूख तक नहीं किया.