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ऊना में प्रशासन और वन विभाग ने शुरु की बैंबूना परियोजना, युवाओं को मिल रहा घर द्वार पर रोजगार - बैबूना प्रोजेक्ट

ऊना में जिला प्रशासन व वन विभाग ने मिलकर बैंबूना परियोजना शुरू की है, जिसके तहत ग्राम पंचायत लमलैहड़ी में स्वंय सहायता समूह बनाकर 7 महिलाओं को बांस के विभिन्न उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है.

बांस से उत्पाद बनाती महिलाएं
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Published : Jul 7, 2019, 2:51 PM IST

ऊना: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, ताकि युवाओं को घर-द्वार पर ही आत्मनिर्भर बनने का मौका मिल सके. इसी कड़ी में जिला प्रशासन व वन विभाग ने मिलकर बैंबूना परियोजना शुरू की है, जिसके तहत ग्राम पंचायत लमलैहड़ी में स्वंय सहायता समूह बनाकर 7 महिलाओं को बांस के विभिन्न उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है.

बता दें कि महिलाओं को प्रशिक्षण देने के लिए मार्च 2019 में त्रिपुरा से ट्रेनर विमल देव वर्मा को बुला गया है, जो महिलाओं को प्रशिक्षित कर रहे हैं. इस काम में महारत हासिल कर कुशल कारीगर बन चुकी स्वंय सहायता समूह की महिलाएं अब फर्नीचर, टेबल लैंप व हैंगर आदि बना रही हैं, जिसकी बाजार में अच्छी मांग है.

बैंबूना प्रोजेक्ट का शुभारंभ ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने पिपलू मेले के दौरान 12 जून को किया था. मेले में बांस से बनाए गए उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई और विभिन्न उत्पादों को प्रदर्शित किया गया. मेला देखने आए लोग बांस से बने उत्पादों को देखकर काफी उत्साहित हैं और तीन दिवसीय मेले में 17,100 रुपये के उत्पादों की बिक्री हुई. वहीं, इस सफलता को देखकर अब वन विभाग बैंबूना प्रोजेक्ट के विस्तार की योजना बना रहा है, ताकि अधिक से अधिक संख्या में लोगों को स्वरोजगार के अवसर मिल सके.

बैंबूना प्रोजेक्ट के फायदों को देखकर, धन का प्रावधान जिला ग्रामीण विकास अभिकरण ऊना के माध्यम से किया गया और इस रुपये से वन विभाग ने बांस के उत्पाद बनाने के लिए जरूरी उपकरण खरीदे है. बांस से बने प्रोडक्ट से प्लास्टिक की तरह प्रदूषण भी नहीं फैलता है और बांस से बने उत्पादों की मांग बढ़ने से बांस का उत्पादन भी बढ़ेगा. इसके अलावा बांस उगाकर जहां किसानों को अतिरिक्त कमाई का जरिया मिलेगा वहीं, मृदा कटान व भू-जल संरक्षण में भी मदद मिलेगी.

जानकारी देती महिलाएं

बैबूना प्रोजेक्ट के तहत काम करने वाली महिलाओं ने बताया कि वन विभाग द्वारा उन्हें बांस के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे उन्हें आय का साधन मिला है. उन्होंने बताया कि पिपलू मेले का दौरान ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने 5100-5100 रुपये के चैक भी प्रोत्साहन राशि के रूप में प्रदान किए थे.

डीएफओ ऊना यशुदीप सिंह ने बताया कि स्वंय सहायता समूह को न केवल बांस के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, बल्कि अपने उत्पाद बेचने के लिए बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है.

ऊना: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, ताकि युवाओं को घर-द्वार पर ही आत्मनिर्भर बनने का मौका मिल सके. इसी कड़ी में जिला प्रशासन व वन विभाग ने मिलकर बैंबूना परियोजना शुरू की है, जिसके तहत ग्राम पंचायत लमलैहड़ी में स्वंय सहायता समूह बनाकर 7 महिलाओं को बांस के विभिन्न उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है.

बता दें कि महिलाओं को प्रशिक्षण देने के लिए मार्च 2019 में त्रिपुरा से ट्रेनर विमल देव वर्मा को बुला गया है, जो महिलाओं को प्रशिक्षित कर रहे हैं. इस काम में महारत हासिल कर कुशल कारीगर बन चुकी स्वंय सहायता समूह की महिलाएं अब फर्नीचर, टेबल लैंप व हैंगर आदि बना रही हैं, जिसकी बाजार में अच्छी मांग है.

बैंबूना प्रोजेक्ट का शुभारंभ ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने पिपलू मेले के दौरान 12 जून को किया था. मेले में बांस से बनाए गए उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई और विभिन्न उत्पादों को प्रदर्शित किया गया. मेला देखने आए लोग बांस से बने उत्पादों को देखकर काफी उत्साहित हैं और तीन दिवसीय मेले में 17,100 रुपये के उत्पादों की बिक्री हुई. वहीं, इस सफलता को देखकर अब वन विभाग बैंबूना प्रोजेक्ट के विस्तार की योजना बना रहा है, ताकि अधिक से अधिक संख्या में लोगों को स्वरोजगार के अवसर मिल सके.

बैंबूना प्रोजेक्ट के फायदों को देखकर, धन का प्रावधान जिला ग्रामीण विकास अभिकरण ऊना के माध्यम से किया गया और इस रुपये से वन विभाग ने बांस के उत्पाद बनाने के लिए जरूरी उपकरण खरीदे है. बांस से बने प्रोडक्ट से प्लास्टिक की तरह प्रदूषण भी नहीं फैलता है और बांस से बने उत्पादों की मांग बढ़ने से बांस का उत्पादन भी बढ़ेगा. इसके अलावा बांस उगाकर जहां किसानों को अतिरिक्त कमाई का जरिया मिलेगा वहीं, मृदा कटान व भू-जल संरक्षण में भी मदद मिलेगी.

जानकारी देती महिलाएं

बैबूना प्रोजेक्ट के तहत काम करने वाली महिलाओं ने बताया कि वन विभाग द्वारा उन्हें बांस के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे उन्हें आय का साधन मिला है. उन्होंने बताया कि पिपलू मेले का दौरान ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने 5100-5100 रुपये के चैक भी प्रोत्साहन राशि के रूप में प्रदान किए थे.

डीएफओ ऊना यशुदीप सिंह ने बताया कि स्वंय सहायता समूह को न केवल बांस के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, बल्कि अपने उत्पाद बेचने के लिए बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है.

Intro:स्लग -- हिमाचल की जयराम सरकार ने स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए चलाई अनेकों योजनाएं , ऊना में जिला प्रशासन और वन विभाग शुरू की बैंबूना परियोजना , युवाओं को मिल रहा घर द्वार रोजगार।

Body:एंकर -- मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के नेतृत्व में हिमाचल सरकार द्वारा स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए अनेकों योजनाएं चला रही है, ताकि युवाओं को घर-द्वार पर ही आत्मनिर्भर बनने का मौका मिल सके। इसी कड़ी तहत जिला ऊना में प्रशासन व वन विभाग ने मिलकर बैंबूना परियोजना शुरू की है, जिसके तहत ग्राम पंचायत लमलैहड़ी में स्वंय सहायता समूह बनाकर 7 महिलाओं को बांस के विभिन्न उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। जो बांस के प्रोडक्ट्स बनाकर अपनी आजीविका कमा रही हैं बांस से बने फर्नीचर, डस्टबीन और घरों में इस्तेमाल होने वाले दूसरे सामान की बाज़ार में काफी मांग है।
वीओ --1 हिमाचल प्रदेश सरकार युवाओं को उनके घर द्वार ही रोजगार उपलब्ध हो इसके लिये अनेकों योजनाओं का शुभारंभ किया गया है।
इसी कड़ी के तहत जिला ऊना की ग्राम पंचायत लमलैहड़ी में स्वंय सहायता समूह बनाकर 7 महिलाओं को बांस के विभिन्न उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है । मार्च 2019 में त्रिपुरा से एक ट्रेनर विमल देव वर्मा को बुलाकर लमलैहड़ी में महिलाओं को प्रशिक्षित कर रहे हैं। इस काम में महारत हासिल कर कुशल कारीगर बन चुकी ये स्वंय सहायता समूह की महिलाएं अब फर्नीचर, टेबल लैंप व हैंगर आदि बना रही हैं, जिसकी बाज़ार में अच्छी मांग है।

बता दें कि बैंबूना प्रोजेक्ट का शुभारंभ ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने पिपलू मेले के दौरान 12 जून 2019 को किया था। मेले में बांस से बनाए गए उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई और विभिन्न उत्पादों को प्रदर्शित किया गया। मेला देखने आए लोग बांस से बने उत्पादों को देखकर काफी उत्साहित दिखे और तीन दिवसीय मेले में 17,100 रुपए मूल्य के उत्पादों की बिक्री हुई। इस सफलता को देखकर अब वन विभाग बैंबूना प्रोजेक्ट के विस्तार की योजना बना रहा है, ताकि अधिक से अधिक संख्या में लोगों को स्वरोजगार के अवसर मिल सकें।

बैंबूना प्रोजेक्ट के अनेकों फायदों को देखकर, इसके लिए धन का प्रावधान जिला ग्रामीण विकास अभिकरण ऊना के माध्यम से किया गया और इस पैसे से वन विभाग ने बांस के उत्पाद बनाने के लिए ज़रूरी उपकरण खरीदे। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से स्थानीय महिलाओं और युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया, जिससे उन्हें आजीविका का अच्छा साधन मिल रहा है। दूसरा, बांस से बने प्रोडक्ट ईको फ्रैंडली हैं यानी इनसे प्लास्टिक की तरह प्रदूषण भी नहीं फैलता। तीसरा बांस से बने उत्पादों की मांग बढ़ने से बांस का उत्पादन भी बढ़ेगा। बांस उगाकर जहां किसानों को अतिरिक्त कमाई का जरिया मिलेगा वहीं, मृदा कटान व भू-जल संरक्षण में भी मदद मिलेगी।

बाइट- संतोष कुमारी (प्रशिक्षु)
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बाइट-- सुनीता देवी (प्रशिक्षु)
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बाइट-- परमिंदर कौर (प्रशिक्षु)
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बैबूना प्रोजेक्ट के तहत काम करने वाली महिलाओं का कहना है कि वन विभाग ने उन्हें बांस के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है । जिससे उन्हें आय का साधन मिला है। उन्होंने बताया कि पिपलू मेले का दौरान ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने 5100-5100 रुपए के चैक भी प्रोत्साहन राशि के रूप में प्रदान किए थे।

बाइट-- यशुदीप सिंह (डीएफओ, ऊना)
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वहीं इस प्रोजेक्ट के बारे में डीएफओ ऊना यशुदीप सिंह ने कहा कि स्वंय सहायता समूह को न केवल बांस के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, बल्कि अपने उत्पाद बेचने के लिए बाज़ार भी उपलब्ध है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने वन विभाग को बांस का फर्नीचर व दूसरे उत्पाद इस्तेमाल करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। ऐसे में विभाग बांस के उत्पाद की खरीद कर रहा है। इसके अलावा ऊना में फर्नीचर बनाने वाली यूनिट से भी संपर्क किया गया है, जहां पर मांग के अनुसार बैंबूना के उत्पाद बिक्री के लिए दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही महिलाओं को उपायुक्त कार्यालय परिसर में जगह देने पर विचार चल रहा है, जहां पर वह स्टॉल लगाकर अपने उत्पाद प्रदर्शित कर सकती हैं। Conclusion:
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