ऊना: जिला ऊना में आलू उत्पादकों का केंद्र सरकार के खिलाफ रोष बढ़ता जा रहा है. केंद्र सरकार के दूसरे देशों से आलू की फसल मंगवाने को लेकर किसान सरकार से नाराज हैं. किसानों ने इसके विरोध में सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी है.
किसानों ने कहा कि सरकार के इस फैसले से जिला के किसानों को लाखों रूपये का नुकसान होगा. केंद्र सरकार ने पिछले दिनों भूटान से 30 हजार टन आलू की खेप मंगवाई है. स्थानीय किसानों का मानना है कि देश में बाहर का आलू आने से किसानों को भारी नुकसान होगा. इस समय कच्ची फसल तैयार है. वहीं, सरकार के भूटान से आयात किए आलू के कारण उनकी फसल की मांग कम हो जाएगी.
किसानों ने कहा कि इससे उनकी फसल के उचित दाम मिलने की उम्मीद कम हो गई है. जिला में हर साल 2500 हेक्टेयर से अधिक भूमि में आलू की फसल होती है. इसमें 8017.5 टन आलू की पैदावार होती है. जिले से हर साल आलू की फसल दिल्ली, चेन्नई, चंडीगढ़, होशियारपुर, जालंधर, हरियाणा और राजस्थान आदि के मंडियों में पहुंचती हैं.
कृषि उपनिदेशक डॉ. अतुल डोगरा ने कहा कि केंद्र सरकार ने भूटान से 30 हजार टन आलू आयात किया है. यह सरकार को 44 रुपये प्रतिकिलो की दर से मिला है. इससे स्थानीय आलू की मांग कम होगी. मंडियों में भी आलू के दाम में कमी आएगी.
वहीं, राष्ट्रीय किसान संगठन के महामंत्री देसराज मोदगिल ने कहा कि भारत सरकार की आयात-निर्यात की नीति किसान हित में नहीं है. ऊना जिला में आलू की काफी फसल होती है. ऐसे में विदेशों से आलू मंगवाना किसानों के हितों से अनदेखी करना है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिए.
बता दें कि बीते कुछ दिनों में आलू की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है. यह कीमतें मार्केट में आलू की सप्लाई कम होने के कारण भी हुई हैं लेकिन जिला में अब आलू की फसल आने के लिए तैयार है लेकिन सरकार के आलू के दूसरे देशों से आयात करने के फैसले से आलू उत्पादक खफा हैं.
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