ऊना: जिला के क्षेत्रीय अस्पताल में पिछले 10 माह से एक भी हड्डी रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं की गई है. जिससे हड्डियों की बीमारी से जूझ रहे मरीज और हादसों में घायल हुए लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
आलम ये है कि लोगों को इलाज के लिए निजी अस्पताल, पीजीआई चंडीगढ़ और टांडा अस्पताल कांगड़ा का रूख करना पड़ रहा है. साथ ही हड्डी रोग विशेषज्ञ ना होने से दिव्यांगता के प्रमाण पत्र बनवाने में भी लोगों को दिक्कत हो रही है.
प्रदेश सरकार द्वारा क्षेत्रीय अस्पताल में दो बार डॉक्टरों का तबादला तो किया गया, लेकिन एक भी डॉक्टर ने ऊना अस्पताल में ज्वाइन नहीं किया. क्षेत्रीय अस्पताल ऊना के हड्डी रोग विभाग में रोजाना दर्जनों मरीज इलाज के लिए आते हैं. जिसमें से किसी की हड्डी टूटी होती है, तो किसी के हाथ व पैर में दर्द होता है.
इसके अलावा अस्पताल में डॉक्टर्स न होने से दुर्घटना में घायल किसी व्यक्ति की हड्डी टूट जाती है, जो उसको पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किया जाता है. स्थानीय लोगों की माने तो हड्डी रोग विशेषज्ञ न होने से उनको निजी अस्पतालों या पीजीआई चंडीगढ़ और टांडा अस्पताल में जाकर इलाज करना पड़ रहा है.
ऐसे में उनके जेब पर भी असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि प्रशासन को भी इस समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. सीएमओ डॉ. रमन कुमार ने कहा कि अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ न होने से हड्डियों की बिमारियों से ग्रसित लोगों के साथ साथ हादसों में घायलों का इलाज नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ की तैनाती के आदेश दिए गए थे, लेकिन दोनों ही बार डॉक्टर्स ने ज्वाइन नहीं किया.