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क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में नहीं हड्डी रोग विशेषज्ञ, मरीज दर-दर भटकने को मजबूर

क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में पिछले 10 माह से एक भी हड्डी रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं की गई है. जिससे हड्डियों की बीमारी से जूझ रहे मरीज और हादसों में घायल हुए लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा लोगों को दिव्यांगता के प्रमाण पत्र बनवाने में भी दिक्कत हो रही है.

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Published : Nov 6, 2019, 4:56 PM IST

ऊना: जिला के क्षेत्रीय अस्पताल में पिछले 10 माह से एक भी हड्डी रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं की गई है. जिससे हड्डियों की बीमारी से जूझ रहे मरीज और हादसों में घायल हुए लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

आलम ये है कि लोगों को इलाज के लिए निजी अस्पताल, पीजीआई चंडीगढ़ और टांडा अस्पताल कांगड़ा का रूख करना पड़ रहा है. साथ ही हड्डी रोग विशेषज्ञ ना होने से दिव्यांगता के प्रमाण पत्र बनवाने में भी लोगों को दिक्कत हो रही है.

वीडियो रिपोर्ट.

प्रदेश सरकार द्वारा क्षेत्रीय अस्पताल में दो बार डॉक्टरों का तबादला तो किया गया, लेकिन एक भी डॉक्टर ने ऊना अस्पताल में ज्वाइन नहीं किया. क्षेत्रीय अस्पताल ऊना के हड्डी रोग विभाग में रोजाना दर्जनों मरीज इलाज के लिए आते हैं. जिसमें से किसी की हड्डी टूटी होती है, तो किसी के हाथ व पैर में दर्द होता है.

इसके अलावा अस्पताल में डॉक्टर्स न होने से दुर्घटना में घायल किसी व्यक्ति की हड्डी टूट जाती है, जो उसको पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किया जाता है. स्थानीय लोगों की माने तो हड्डी रोग विशेषज्ञ न होने से उनको निजी अस्पतालों या पीजीआई चंडीगढ़ और टांडा अस्पताल में जाकर इलाज करना पड़ रहा है.

ऐसे में उनके जेब पर भी असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि प्रशासन को भी इस समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. सीएमओ डॉ. रमन कुमार ने कहा कि अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ न होने से हड्डियों की बिमारियों से ग्रसित लोगों के साथ साथ हादसों में घायलों का इलाज नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ की तैनाती के आदेश दिए गए थे, लेकिन दोनों ही बार डॉक्टर्स ने ज्वाइन नहीं किया.

ऊना: जिला के क्षेत्रीय अस्पताल में पिछले 10 माह से एक भी हड्डी रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं की गई है. जिससे हड्डियों की बीमारी से जूझ रहे मरीज और हादसों में घायल हुए लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

आलम ये है कि लोगों को इलाज के लिए निजी अस्पताल, पीजीआई चंडीगढ़ और टांडा अस्पताल कांगड़ा का रूख करना पड़ रहा है. साथ ही हड्डी रोग विशेषज्ञ ना होने से दिव्यांगता के प्रमाण पत्र बनवाने में भी लोगों को दिक्कत हो रही है.

वीडियो रिपोर्ट.

प्रदेश सरकार द्वारा क्षेत्रीय अस्पताल में दो बार डॉक्टरों का तबादला तो किया गया, लेकिन एक भी डॉक्टर ने ऊना अस्पताल में ज्वाइन नहीं किया. क्षेत्रीय अस्पताल ऊना के हड्डी रोग विभाग में रोजाना दर्जनों मरीज इलाज के लिए आते हैं. जिसमें से किसी की हड्डी टूटी होती है, तो किसी के हाथ व पैर में दर्द होता है.

इसके अलावा अस्पताल में डॉक्टर्स न होने से दुर्घटना में घायल किसी व्यक्ति की हड्डी टूट जाती है, जो उसको पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किया जाता है. स्थानीय लोगों की माने तो हड्डी रोग विशेषज्ञ न होने से उनको निजी अस्पतालों या पीजीआई चंडीगढ़ और टांडा अस्पताल में जाकर इलाज करना पड़ रहा है.

ऐसे में उनके जेब पर भी असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि प्रशासन को भी इस समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. सीएमओ डॉ. रमन कुमार ने कहा कि अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ न होने से हड्डियों की बिमारियों से ग्रसित लोगों के साथ साथ हादसों में घायलों का इलाज नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ की तैनाती के आदेश दिए गए थे, लेकिन दोनों ही बार डॉक्टर्स ने ज्वाइन नहीं किया.

Intro:स्लग -- ऊना में प्रदेश सरकार के बेहतर स्वास्थ्य दावों की खुल रही पोल, सवा पांच लाख की आबादी वाले जिला में नहीं एक भी हड्डी रोग विशेषज्ञ, लोगों को जेबें ढीली कर निजी अस्पतालों में जाना पड़ रहा, पिछले करीब 10 माह से पेश आ रही समस्या।Body:एंकर -- ऊना जिला में पिछले करीब 10 माह से एक भी हड्डी रोग विशेषज्ञ को तैनात नहीं किया गया है जिस कारण हड्डियों की बिमारियों से जूझ रहे लोगों और हादसों का शिकार घायलों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की अनदेखी के चलते लोगों को या तो अपनी जेबें ढीली कर निजी अस्पतालों का रूख करना पड़ रहा है या फिर पीजीआई चंडीगढ़ और टांडा अस्पताल कांगड़ा जाना पड़ रहा है। हड्डी रोग विशेषज्ञ के ना होने से दिव्यांगता के प्रमाण पत्र बनवाने में भी लोगों को दिक्कत पेश आ रही है। प्रदेश सरकार द्वारा क्षेत्रीय अस्पताल में दो बार डाक्टरों का तबादला तो किया लेकिन एक भी डाक्टर ने ऊना अस्पताल में ज्वाइन नहीं किया। जहाँ स्थानीय लोग जल्द ही हड्डी रोग विशेषज्ञ की तैनाती की मांग उठा रहे है वहीँ सीएमओ ऊना लगातार उच्चाधिकारियों से उठाने का दावा कर रहे है।

वी ओ 1 -- हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ देने के दावों की पोल ऊना में खुलती देखी जा सकती है। करीब सवा पांच लाख की आबादी वाले जिला ऊना में पिछले करीब 10 माह से हड्डी रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं हो पाई है जिस कारण लोगों को या निजी अस्पतालों का या फिर पीजीआई चंडीगढ़ और टांडा मेडिकल कालेज कांगड़ा का रूख करना पड़ रहा है। पिछले करीब 10 महीनों से क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में हड्डी रोग विशेषज्ञ न होने से ओपीडी पर ताला लटका हुआ है। क्षेत्रीय अस्पताल के हड्डी रोग विभाग में रोजाना दर्जनों मरीज आते हैं जिनमें से किसी की की हड्डी टूटी होती है तो किसी का हाथ व पैर दर्द कर रहा होता है। वहीं दुर्घटना वाले मरीज भी राम भरोसे ही रहते है। दुर्घटना में किसी कि हड्डी फै्रक्चर होती है, तो तुंरत ही पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया जाता है। वहीँ क्षेत्रीय अस्पताल में दिव्यांगता सर्टिफिकेट्स बनवाने के लिए भी लोगो को खासी दिक्कतें पेश आ रही है। क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में कुछ माह पहले हड्डी रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति के आदेश जारी हुए थे लेकिन इसके बावजूद भी चिकित्सक की तैनाती सुनिश्चित नहीं हो पाई है। स्थानीय लोगों की माने तो हड्डी रोग विशेषज्ञ न होने से खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द ऊना में हड्डी रोग विशेषज्ञ को तैनात करना चाहिए।

बाइट -- संजय शर्मा (स्थानीय वासी)
ORTHO DOCTOR 4

बाइट -- निशांत अग्निहोत्री (स्थानीय वासी)
FEED FILE -- ORTHO DOCTOR 5

बाइट -- डा. रमन कुमार (सीएमओ ऊना)
ORTHO DOCTOR 6
सीएमओ ऊना डा. रमन कुमार ने भी माना कि हड्डी रोग विशेषज्ञ न होने के कारण हड्डियों की बिमारियों से ग्रसित लोगों के साथ साथ हादसों में घायलों का इलाज नहीं हो पा रहा है। सीएमओ ऊना की माने तो हड्डी रोग विशेषज्ञ की कमी के चलते दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने में भी परेशानी हो रही है। सीएमओ ऊना की माने तो दो बार हड्डी रोग विशेषज्ञ की तैनाती के आदेश हुए थे लेकिन दोनों ही बार डाक्टर ने ज्वाइन नहीं किया।

Conclusion:
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