सोलन: हिमाचल प्रदेश के सोलन में एक छोटे से परिवार से संबध वाली बलजीत का शुरुआती जीवन आर्थिक परेशानियों के साथ गुजरा है, लेकिन बलजीत ने अपने सपने के लिए इन सभी चुनौतियों को बौना साबित करने का काम किया है. हिमाचल की इस बेटी ने हाल ही में नेपाल की सबसे ऊंची चोटियों में शुमार पुमोरी के अलावा धौलागिरी पर्वत को फतह कर इतिहास रच दिया है.
बलजीत जब स्कूल में थीं तब ही उन्होंने अखबार में एवरेस्ट फतह करने वाली एक महिला की सफलता की खबर पढ़ी थी और उसी क्षण उन्होने यह तय कर लिया था कि वो भी आगे चलकर पहाड़ों पर चढ़ाई करेंगी. सपनों को पूरा करने की बस चाह होनी चाहिए, सपने अपने आप पूरे हो जाते हैं. बस इसी बात को जहन में रखते हुए बलजीत बस आगे बढ़ते गई.
NCC ने दिया पहाड़ चढ़ने का पहला मौका: बलजीत बताती हैं कि पर्वत चढ़ने का पहला मौका उन्हें एनसीसी से मिला. कॉलेज टाइम में बलजीत ने एनसीसी ज्वाइन की और उन्हें मांउटेनियरिंग कैंप में जाने का मौका मिला. काफी ट्रेनिंग लेने के बाद आखिर बलजीत को वो मौका मिला जिसका सपना तो हर कोई देखता है लेकिन उस सपने को हकीकत में पूरा करना सबके बस की बात नहीं होती. मौका था दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतेह करने का. बलजीत अपने ग्रुप के साथ एवरेस्ट फतेह करने के लिए निकल पड़ी. लेकिन इस बार बलजीत को जीत से महज कुछ दूरी से ही वापस लौटना पड़ा. लेकिन बलजीत ने हिम्मत नहीं हारी और अपना यह सफर जारी रखा.
पुमोरी चोटी फतेह करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं बलजीत: बलजीत कौर की हिम्मत उस वक्त रंग लाई जब उन्होंने नेपाल के 7161 मीटर ऊंची पुमोरी शिखर पर चढ़ने में सफलता प्राप्त की और ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला बनीं. बलजीत इसके बाद भी नहीं रूकी और उन्होंने पुमोरी चोटी के बाद धौलागिरी पर्वत पर भी जीत हासिल कर वहां तिरंगा शान से लहराया.
आर्थिक तंगी के बावजूद भी हौसला बुलंद: आर्थिक तंगी के चलते भी अपने सपनों को पूरा करने की जिद्द बलजीत के कदमों को रोक नहीं पा रही है. सोलन के ममलीग के रहने वाली बलजीत कौर ने बताया कि पहाड़ की चोटियों को फतह करना एक महंगा खेल है. ऐसे में चोटियों पर ट्रैक करने में उन्हें आर्थिक तंगी का सामना भी करना पड़ रहा है. बलजीत ने बताया कि वे लोगों से मदद लेकर अपने ट्रैक के लिए निकल रही हैं, ताकि वे अपने सपनों को पूरा कर सकें.
अगला लक्ष्य है माउंट एवरेस्ट: बलजीत कौर का कहना है कि एक बार भले ही वह माउंट एवरेस्ट को फतह करने से चूक गई हो, लेकिन वो हारी नहीं है और न ही उनका मनोबल टूटा है. वह एक बार फिर एवरेस्ट की चढ़ाई चढ़ेंगी, जिसकी वह तैयारी भी कर रही है. बलजीत ने कहा कि वह इस के लिए तैयार है, लेकिन आर्थिक तौर पर वह थोड़ी कमजोर जरूर महसूस कर रही है. हालांकि कई संस्थाओं ने उनकी मदद की है लेकिन उन्हें सरकार से अभी भी आस है कि सरकार भी खुले दिल से उसकी मदद के लिए आगे आएगी.
बलजीत की मां हैं उनकी ताकत: बलजीत ने अपनी मां को उनकी हिम्मत और जोश का क्रेडिट दिया है. बलजीत बताती हैं कि उनकी मां ने हमेशा ही उन्हें मजबूत बन कर काम करने की सीख दी है. उनकी मां ने ही उन्हें सिखाया है कि कैसे किसी भी परिस्थिति का सामना बिना डरे किया जा सकता है. वहीं, बलजीत के पिता ने भी हमेशा उनका साथ दिया है.
देश की बेटियों के लिए संदेश: बलजीत ने देश की महिलाओं और बेटियों को बिना डरे हर चुनौती का सामना करने की अपील की है. बलजीत का कहना है कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत की जरूरत है. जब आपको पता है कि आप सही हैं तो समाज क्या कहेगा उसकी परवाह न करें. इसके अलावा अभिभावकों को भी अपने बच्चों को समझने और उनके साथ खड़े होने की जरुरत पर भी बल दिया.
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