ETV Bharat / city

सोलन के दुर्लभ सिंह का कमाल, तैयार किया दुनिया का पहला तीन मंजिला हमाम, डेढ़ किलो लकड़ी जला कर होगा 60 लीटर पानी गर्म - solan news hindi

कई सालों से पानी गर्म करने के लिए हमाम का उपयोग किया जाता आया है. वहीं, अब सोलन के दुर्लभ सिंह ने तीन मंजिला हमाम बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है. गौरतलब है कि इस हमाम की तकनीक से दुर्लभ सिंह (three story hammam) राष्ट्रपति अवार्ड भी हासिल कर चुके हैं. लेकिन अब उन्होंने इस हमाम में बहुत से बदलाव कर इसे और भी उपयोगी बना लिया है. क्या है इस हमाम के फायदे जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

three story hammam
तीन मंजिला हमाम
author img

By

Published : Jul 23, 2022, 9:07 PM IST

Updated : Jul 23, 2022, 11:00 PM IST

सोलन: हिमाचल वासी वर्षों से पानी गर्म करने के लिए हमाम का उपयोग करते आ रहे हैं. लेकिन सोलन के दुर्लभ सिंह ने तीन मंजिला हमाम बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है. गौरतलब है कि इस हमाम की तकनीक से कुछ समय पहले दुर्लभ सिंह राष्ट्रपति अवार्ड भी हासिल कर चुके हैं. लेकिन अब उन्होंने इस हमाम में बहुत से बदलाव कर इसे और भी उपयोगी बना लिया है. यही वजह है कि विज्ञान और तकनीकी विभाग द्वारा इस हमाम की तकनीक को असाधारण घोषित करते हुए इसका पेटेंट भी कर दिया है. इस हमाम से तीन अलग-अलग तापमान में पानी लिया जा सकता है. अब अगर विश्व में कोई भी व्यक्ति इस तकनीक पर आधारित हमाम का निर्माण करेगा तो उसे भारत सरकार से अनुमति लेनी होगी. जिस पर दुर्लभ सिंह को रॉयल्टी दी जाएगी. दुर्लभ सिंह को अब हिमाचल में साइंटिस्ट के नाम से जाना जाता है.

डेढ़ किलो लकड़ी जलाकर गर्म कर सकेंगे 60 लीटर पानी: दुर्लभ सिंह ने इस हमाम की तकनीक की विशेषताएं बताईं और कहा कि इस तीन मंजिला हमाम में केवल डेढ़ किलो लकड़ी का उपयोग होता है. जिससे करीबन 60 लीटर पानी गर्म हो जाता है. उन्होंने बताया कि उनकी तकनीक से आग की लपटों यहां तक की धुएं से निकलने वाली ऊर्जा को भी वह ईंधन की तरह उपयोग में लाते हैं. जिससे उनके हमाम में करीबन 15000 वाट की ऊर्जा उत्पन्न होती है.

दुर्लभ सिंह ने तैयार किया दुनिया का पहला तीन मंजिला हमाम

विज्ञान और तकनीकी विभाग ने हमाम को किया पेटेंट: दुर्लभ सिंह ने बताया कि (Dhurlabh Singh built three story hammam) हिमाचल में सबसे अधिक पैसा बिजली से पानी गर्म करने पर खर्च होता है, लेकिन उनकी तकनीक से यह पैसा और बिजली दोनों बचाई जा सकती है. उन्होंने यह भी बताया कि खेतों से निकला कचरा और वह लकड़ी जो किसी उपयोग की नहीं है उसे ईंधन के तौर पर उपयोग में लाया जा सकता है. इससे किसी भी तरह से पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा. उन्हें खुशी है कि विज्ञान और तकनीकी विभाग द्वारा उनका हमाम पेटेंट कर दिया गया है.

ठंडे इलाके में कम खर्चे में मिलेंगे ज्यादा फायदे: खास बात यह है कि हिमाचल एक ठंडा इलाका है और देश में भी कई ऐसे राज्य हैं जहां पर ठंड ज्यादा पड़ती है. ऐसे में पानी गरम करने के लिए अधिक लाइट की जरूरत होती है. दुर्लभ सिंह का कहना है कि इस हमाम में ऐसी लकड़ियों का प्रयोग किया जा सकता है जो क्रॉप को सपोर्ट करने के लिए भी उपयोग में लाई जाती है. हिमाचल एक एग्रीकल्चर स्टेट है, जहां पर वेस्ट मटेरियल बहुत निकलता है. चाहे सेब की प्रूनिंग के समय की बात हो या फिर मक्की के वेस्ट मटेरियल कि, इन सभी को इस हमाम में प्रयोग किया जा सकता है.

worlds first three story hammam
दुनिया का पहला तीन मंजिला हमाम

नॉर्मल हमाम के मुकाबले तीन गुणा पानी होगा गर्म: इस हमाम की खासियत है कि नॉर्मल हमाम में 15 लीटर पानी ही आ सकता है और उसमें धुंआ भी ज्यादा उठता है. लेकिन इस तीन मंजिला हमाम में 45 से 60 लीटर पानी आ सकता है और सिर्फ डेढ़ किलो वेस्ट लकड़ी के माध्यम से इस में धुआं रहित पानी गर्म हो सकता है. इस हमाम में तीन अलग-अलग टेंपरेचर सेट किए गए हैं, इसको बनाने के लिए हीट एक्सचेंजर सिस्टम का प्रयोग किया गया है. तीन मंजिला हमाम में टेंपरचर 30 डिग्री 60 डिग्री और 90 से 100 डिग्री के बीच रहता है. पानी गर्म होने वाला एरिया कोर एरिया फिर फ्लेम और अंत में स्मोक एरिया आता है.

पर्यावरण सरंक्षण के साथ-साथ पैसों की होगी बचत: इस हमाम को इस्तेमाल करने से (Dhurlabh Singh built three story hammam) पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं है. दुर्लभ सिंह बताते हैं कि जब उनके द्वारा इस मॉडल को बनाया गया था तो साइंटिफिक तरीके से इसकी जांच भी की गई थी. वहीं, अब यह पूरी तरह से तैयार हो चुका है. दुर्लभ सिंह ने बताया कि इस हमाम में 3 से 4 साल पुरानी लकड़ी का भी इस्तेमाल किया जाता है. सिर्फ डेढ़ किलो लकड़ी का इस्तेमाल कर साधारण हमाम से 3 गुना ज्यादा पानी गर्म किया जा सकता है.

मानकों पर खरा उतरा था डिजाइन, राष्ट्रपति भवन में डिस्प्ले किया गया था हमाम का मॉडल: दुर्लभ सिंह ने बताया कि जब इसका डिजाइन तैयार किया गया था तो उन्हें प्रेसिडेंट अवॉर्ड भी मिला था. 2011 में इसका पेटेंट फाइल किया गया था. वहीं, अब इसका कार्य पूरा हो चुका है. दुर्लभ सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति भवन के अंदर इसका मॉडल डिस्प्ले किया गया था. वहीं, पैरामीटर देखे गए थे कि क्या यह हमाम मानकों पर सही उतरता है या नहीं. उन्होंने बताया कि 15000 वाट बिजली की बचत डेढ़ किलो लकड़ी के इस्तेमाल से आराम से की जा सकती है.

ये भी पढ़ें: नीति आयोग के दरबार पहुंचे सीएम जयराम, ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे और औद्योगिक विकास योजना पर मांगा सहयोग

सोलन: हिमाचल वासी वर्षों से पानी गर्म करने के लिए हमाम का उपयोग करते आ रहे हैं. लेकिन सोलन के दुर्लभ सिंह ने तीन मंजिला हमाम बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है. गौरतलब है कि इस हमाम की तकनीक से कुछ समय पहले दुर्लभ सिंह राष्ट्रपति अवार्ड भी हासिल कर चुके हैं. लेकिन अब उन्होंने इस हमाम में बहुत से बदलाव कर इसे और भी उपयोगी बना लिया है. यही वजह है कि विज्ञान और तकनीकी विभाग द्वारा इस हमाम की तकनीक को असाधारण घोषित करते हुए इसका पेटेंट भी कर दिया है. इस हमाम से तीन अलग-अलग तापमान में पानी लिया जा सकता है. अब अगर विश्व में कोई भी व्यक्ति इस तकनीक पर आधारित हमाम का निर्माण करेगा तो उसे भारत सरकार से अनुमति लेनी होगी. जिस पर दुर्लभ सिंह को रॉयल्टी दी जाएगी. दुर्लभ सिंह को अब हिमाचल में साइंटिस्ट के नाम से जाना जाता है.

डेढ़ किलो लकड़ी जलाकर गर्म कर सकेंगे 60 लीटर पानी: दुर्लभ सिंह ने इस हमाम की तकनीक की विशेषताएं बताईं और कहा कि इस तीन मंजिला हमाम में केवल डेढ़ किलो लकड़ी का उपयोग होता है. जिससे करीबन 60 लीटर पानी गर्म हो जाता है. उन्होंने बताया कि उनकी तकनीक से आग की लपटों यहां तक की धुएं से निकलने वाली ऊर्जा को भी वह ईंधन की तरह उपयोग में लाते हैं. जिससे उनके हमाम में करीबन 15000 वाट की ऊर्जा उत्पन्न होती है.

दुर्लभ सिंह ने तैयार किया दुनिया का पहला तीन मंजिला हमाम

विज्ञान और तकनीकी विभाग ने हमाम को किया पेटेंट: दुर्लभ सिंह ने बताया कि (Dhurlabh Singh built three story hammam) हिमाचल में सबसे अधिक पैसा बिजली से पानी गर्म करने पर खर्च होता है, लेकिन उनकी तकनीक से यह पैसा और बिजली दोनों बचाई जा सकती है. उन्होंने यह भी बताया कि खेतों से निकला कचरा और वह लकड़ी जो किसी उपयोग की नहीं है उसे ईंधन के तौर पर उपयोग में लाया जा सकता है. इससे किसी भी तरह से पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा. उन्हें खुशी है कि विज्ञान और तकनीकी विभाग द्वारा उनका हमाम पेटेंट कर दिया गया है.

ठंडे इलाके में कम खर्चे में मिलेंगे ज्यादा फायदे: खास बात यह है कि हिमाचल एक ठंडा इलाका है और देश में भी कई ऐसे राज्य हैं जहां पर ठंड ज्यादा पड़ती है. ऐसे में पानी गरम करने के लिए अधिक लाइट की जरूरत होती है. दुर्लभ सिंह का कहना है कि इस हमाम में ऐसी लकड़ियों का प्रयोग किया जा सकता है जो क्रॉप को सपोर्ट करने के लिए भी उपयोग में लाई जाती है. हिमाचल एक एग्रीकल्चर स्टेट है, जहां पर वेस्ट मटेरियल बहुत निकलता है. चाहे सेब की प्रूनिंग के समय की बात हो या फिर मक्की के वेस्ट मटेरियल कि, इन सभी को इस हमाम में प्रयोग किया जा सकता है.

worlds first three story hammam
दुनिया का पहला तीन मंजिला हमाम

नॉर्मल हमाम के मुकाबले तीन गुणा पानी होगा गर्म: इस हमाम की खासियत है कि नॉर्मल हमाम में 15 लीटर पानी ही आ सकता है और उसमें धुंआ भी ज्यादा उठता है. लेकिन इस तीन मंजिला हमाम में 45 से 60 लीटर पानी आ सकता है और सिर्फ डेढ़ किलो वेस्ट लकड़ी के माध्यम से इस में धुआं रहित पानी गर्म हो सकता है. इस हमाम में तीन अलग-अलग टेंपरेचर सेट किए गए हैं, इसको बनाने के लिए हीट एक्सचेंजर सिस्टम का प्रयोग किया गया है. तीन मंजिला हमाम में टेंपरचर 30 डिग्री 60 डिग्री और 90 से 100 डिग्री के बीच रहता है. पानी गर्म होने वाला एरिया कोर एरिया फिर फ्लेम और अंत में स्मोक एरिया आता है.

पर्यावरण सरंक्षण के साथ-साथ पैसों की होगी बचत: इस हमाम को इस्तेमाल करने से (Dhurlabh Singh built three story hammam) पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं है. दुर्लभ सिंह बताते हैं कि जब उनके द्वारा इस मॉडल को बनाया गया था तो साइंटिफिक तरीके से इसकी जांच भी की गई थी. वहीं, अब यह पूरी तरह से तैयार हो चुका है. दुर्लभ सिंह ने बताया कि इस हमाम में 3 से 4 साल पुरानी लकड़ी का भी इस्तेमाल किया जाता है. सिर्फ डेढ़ किलो लकड़ी का इस्तेमाल कर साधारण हमाम से 3 गुना ज्यादा पानी गर्म किया जा सकता है.

मानकों पर खरा उतरा था डिजाइन, राष्ट्रपति भवन में डिस्प्ले किया गया था हमाम का मॉडल: दुर्लभ सिंह ने बताया कि जब इसका डिजाइन तैयार किया गया था तो उन्हें प्रेसिडेंट अवॉर्ड भी मिला था. 2011 में इसका पेटेंट फाइल किया गया था. वहीं, अब इसका कार्य पूरा हो चुका है. दुर्लभ सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति भवन के अंदर इसका मॉडल डिस्प्ले किया गया था. वहीं, पैरामीटर देखे गए थे कि क्या यह हमाम मानकों पर सही उतरता है या नहीं. उन्होंने बताया कि 15000 वाट बिजली की बचत डेढ़ किलो लकड़ी के इस्तेमाल से आराम से की जा सकती है.

ये भी पढ़ें: नीति आयोग के दरबार पहुंचे सीएम जयराम, ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे और औद्योगिक विकास योजना पर मांगा सहयोग

Last Updated : Jul 23, 2022, 11:00 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.