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आशा वर्कर्स ने स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल से की मुलाकात, 18 हजार वेतन देने की मांग

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Published : Aug 20, 2020, 6:24 PM IST

आशा कार्यकर्ता संघ जिला कांगड़ा की प्रधान शशिलता ने प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री ने बजट सत्र में घोषणा की थी कि आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 500 रुपये प्रतिमाह बढ़ाया जाएगा, लेकिन आज तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं हुई है. इसके कारण प्रदेश की सभी आशा कार्यकर्ताओं ने स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात की.

Corona warriors Asha workers meets health minister with demands
आशा वर्कर

सोलनः कोरोना काल में फ्रंट वॉरियर के रूप में काम करने वाली आशा वर्कर अब निराश हो चुकी हैं. प्रदेश सरकार ने उनके लिए बजट में जो घोषनाएं की थी उनकी आज तक अधिसूचना जारी नहीं हुई है, जिसके कारण वे अपने आप को ठगा महसूस कर रही हैं. इसी सिलसिले में आशा वर्कर्स ने स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल से मुलाकात की.

इसके अलावा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कुछ एक जिलों में आशा वर्कर्स को सम्मानित न करना भी उनके साथ एक बड़े भेदभाव का उदाहरण है. इन्हीं सब चीजों को लेकर भारतीय मजदूर संघ से संबंधित प्रदेश आशा कार्यकर्ता संघ का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव से विश्राम गृह सोलन में मिला.

वीडियो रिपोर्ट

आशा कार्यकर्ता संघ जिला कांगड़ा की प्रधान शशिलता ने प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री ने बजट सत्र में घोषणा की थी कि आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 500 रुपये प्रतिमाह बढ़ाया जाएगा, लेकिन आज तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं हुई है. इसके कारण प्रदेश की सभी आशा कार्यकर्ता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही हैं. उन्होंने कहा कि हमें मानदेय नहीं बल्कि स्थाई नीति का इनाम चाहिए.

आशा कार्यकर्ताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी यह घोषणा की थी कि सभी आशाओं कार्यकर्ताओं को सामाजिक सुरक्षा योजना के अधीन लाया जाएगा. इसके तहत प्रधानमंत्री जीवन बीमा योजना व प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत उनको दो 2 लाख रुपये का बीमा किया जाना था, लेकिन इस पर भी कोई प्रगति नहीं हुई है. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मातृ योजना कुछ वर्गों के लिए ही लागू की गई है. इसका लाभ सभी को मिलना चाहिए.

बता दें कि आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि कोरोना काल में आशा कार्यकर्ताओं ने फ्रंट लाइन पर रहते हुए अपनी सेवाओं का निर्वहन किया हैं. लोगों को क्वारंटाइन करना, कोरोना के टेस्ट करवाना, रिपोर्ट तैयार करना, लोगों को कोरोना के बारे में जानकारी देना, आइसोलेट रोगी को दवाई उपलब्ध कराना, आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करवाना यह सभी कार्य आशा कार्यकर्ताओं ने ही किए हैं.

आशा वर्कर का कहना है कि उन्हें सिर्फ 1500 रुपए मानदेय दिया जा रहा है, उन्होंने सरकार से मांग की है कि सरकार आशा वर्कर को न्यूनतम 18,000 वेतन प्रदान करें, ताकि परिवार का जीवन यापन करने में सक्षम हो सकें.

वहीं, स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल ने कहा कि कोरोना काल में आशा कार्यकर्ता फ्रंट वॉरियर के रूप में काम कर रही है. उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाएगा. सरकार की ओर से जो भी घोषणा की गई है उन्हें जल्द पूरा किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे मंत्री का नाम सार्वजिक करे सरकार, पद से जल्द हटाएं CM: राठौर

सोलनः कोरोना काल में फ्रंट वॉरियर के रूप में काम करने वाली आशा वर्कर अब निराश हो चुकी हैं. प्रदेश सरकार ने उनके लिए बजट में जो घोषनाएं की थी उनकी आज तक अधिसूचना जारी नहीं हुई है, जिसके कारण वे अपने आप को ठगा महसूस कर रही हैं. इसी सिलसिले में आशा वर्कर्स ने स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल से मुलाकात की.

इसके अलावा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कुछ एक जिलों में आशा वर्कर्स को सम्मानित न करना भी उनके साथ एक बड़े भेदभाव का उदाहरण है. इन्हीं सब चीजों को लेकर भारतीय मजदूर संघ से संबंधित प्रदेश आशा कार्यकर्ता संघ का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव से विश्राम गृह सोलन में मिला.

वीडियो रिपोर्ट

आशा कार्यकर्ता संघ जिला कांगड़ा की प्रधान शशिलता ने प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री ने बजट सत्र में घोषणा की थी कि आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 500 रुपये प्रतिमाह बढ़ाया जाएगा, लेकिन आज तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं हुई है. इसके कारण प्रदेश की सभी आशा कार्यकर्ता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही हैं. उन्होंने कहा कि हमें मानदेय नहीं बल्कि स्थाई नीति का इनाम चाहिए.

आशा कार्यकर्ताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी यह घोषणा की थी कि सभी आशाओं कार्यकर्ताओं को सामाजिक सुरक्षा योजना के अधीन लाया जाएगा. इसके तहत प्रधानमंत्री जीवन बीमा योजना व प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत उनको दो 2 लाख रुपये का बीमा किया जाना था, लेकिन इस पर भी कोई प्रगति नहीं हुई है. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मातृ योजना कुछ वर्गों के लिए ही लागू की गई है. इसका लाभ सभी को मिलना चाहिए.

बता दें कि आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि कोरोना काल में आशा कार्यकर्ताओं ने फ्रंट लाइन पर रहते हुए अपनी सेवाओं का निर्वहन किया हैं. लोगों को क्वारंटाइन करना, कोरोना के टेस्ट करवाना, रिपोर्ट तैयार करना, लोगों को कोरोना के बारे में जानकारी देना, आइसोलेट रोगी को दवाई उपलब्ध कराना, आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करवाना यह सभी कार्य आशा कार्यकर्ताओं ने ही किए हैं.

आशा वर्कर का कहना है कि उन्हें सिर्फ 1500 रुपए मानदेय दिया जा रहा है, उन्होंने सरकार से मांग की है कि सरकार आशा वर्कर को न्यूनतम 18,000 वेतन प्रदान करें, ताकि परिवार का जीवन यापन करने में सक्षम हो सकें.

वहीं, स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल ने कहा कि कोरोना काल में आशा कार्यकर्ता फ्रंट वॉरियर के रूप में काम कर रही है. उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाएगा. सरकार की ओर से जो भी घोषणा की गई है उन्हें जल्द पूरा किया जाएगा.

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