कुल्लू: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जहां भगवान विष्णु अपने चार माह की निद्रा से जाग गए हैं. वहीं, बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की एक साथ आराधना की जाएगी. बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु को जहां बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं. वहीं, भगवान शिव को कमल के फूल चढ़ाए जाते हैं. ऐसे में बैकुंठ चतुर्दशी का शास्त्रों में काफी महत्व है. भक्त भी इस चतुर्दशी का इंतजार करते हैं, ताकि वो एक दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की एक साथ पूजा अर्चना कर सकें.
इस दिन मनाई जाएगी बैकुंठ चतुर्दशी
आचार्य देव कुमार ने बताया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 14 नवंबर को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर होगी. वहीं, इस चतुर्दशी तिथि का समापन 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर हो जाएगा. इस दिन पूजा निशिता काल में की जाती है. इसलिए बैकुंठ चतुर्दशी का पूजन 14 नवंबर यानी आज किया जाएगा.
पूजा का शुभ मुहूर्त
आचार्य देव कुमार ने बताया, "बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने के लिए निशिता काल की शुरुआत रात 11 बजकर 39 मिनट से लेकर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगी. ऐसे में भक्तों को पूजा करने के लिए कुल 53 मिनट का समय मिलेगा."
कैसे करें बैकुंठ चतुर्दशी का व्रत
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ सुथरे वस्त्र धारण करें.
- भगवान विष्णु और शिव जी के समक्ष व्रत का संकल्प लें.
- भगवान के समक्ष घी का दीपक जलाएं.
- भगवान विष्णु को बेलपत्र और भगवान शिव को कमल के फूल अर्पित करें.
- पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करें.
- फिर मंत्र जाप और व्रत कथा का पाठ करें.
- अंत में आरती करने के बाद पूजा में हुई भूल चूक के लिए भगवान से क्षमा मांगे.