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शिमला में पानी का संकट, दूषित पेयजल स्रोतों से पानी पीने को मजबूर लोग

शिमला में पानी का संकट विकराल होता जा रहा (Water Crisis In Shimla) है. शहर में लोगों को तीन से चार दिन बाद पानी की सप्लाई की जा रही है. वहीं अब दूषित स्रोतों से लोग पानी भरने को मजबूर है. लोगों का आरोप है कि भाजपा शासित नगर निगम द्वारा 24 घंटे पानी देने का वादा किया गया था, लेकिन 4 दिन बाद पानी दिया जा रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

Water Crisis In Shimla
शिमला में पानी का संकट
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Published : Jun 12, 2022, 10:37 AM IST

शिमला: राजधानी शिमला में पानी का संकट विकराल होता जा रहा (Water Crisis In Shimla) है. शहर में लोगों को तीन से चार दिन बाद पानी की सप्लाई की जा रही है. वहीं अब दूषित स्रोतों से लोग पानी भरने को मजबूर है. जल निगम द्वारा शहर के अधिकतम प्राकृतिक जल स्रोतों को दूषित करार दिया है बावजूद इसके लोग यही से पानी भर रहे हैं. शहर के वार्ड विकासनगर के लोग ऐसे पेयजल स्रोत से पानी पीने को मजबूर है, जिसका पानी पीने योग्य ही नहीं (vikasnagar people drinking dirty water) है.

दूषित स्रोतों से पानी पीने को मजबूर लोग: पिछले एक सप्ताह से विकासनगर में पानी की सप्लाई सुचारू रूप से नहीं आ रही है. मजबूरन लोग पीने के लिए दूषित स्रोतों से पानी भर रहे हैं. घरों के कपड़े धोने के लिए भी महिलाएं दूषित पानी का उपयोग कर रही हैं. स्थानीय अपने पशुओं को पानी पिलाने के लिए भी इसी दूषित पेयजल स्त्रोत पर ला रहे हैं. शहर में पानी के संकट की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोगों के न तो घरों में पीने के लिए पानी बचा है और न ही कपड़े धोने के लिए.

शिमला में पानी का संकट, दूषित पेयजल स्रोतों से पानी पीने को मजबूर लोग

5 दिन बाद मिल रही पानी की सप्लाई: पानी के संकट की यह कहानी विकासनगर ही नहीं बल्कि शहर के अन्य हिस्सों के भी हैं. जहां पर 3-4 दिनों से पानी की सप्लाई नहीं हो पाई है. शिमला जल प्रबंधन की ओर से जो पानी का शेड्यूल 2 दिन पहले जारी किया गया था. उसमें भी अब मनमर्जी चल रही है. जिन स्थानों पर तीसरे दिन पानी देने की बात की है, वहां चौथे या पांचवें दिन पानी की सप्लाई हो रही है. विकासनगर के स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके घरों में पिछले 5 दिन से पानी नहीं आया है. तीन हफ्तों से यही स्थिति है. बीच में पानी आता है, तो उसमें लोगों की डिमांड पूरी करना तो दूर पीने लायक पानी भी नहीं मिल पाता है. जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

लोगों ने नगर निगम पर लगाए आरोप: लोगों का कहना है कि पानी न आने के कारण उन्हें मजबूरन दूषित जल स्रोतों से पानी भरना पड़ रहा है. जहां पर पहले से ही लिखा हुआ है कि यह पानी पीने योग्य नहीं है. इसके बावजूद भी वे यहीं से पानी पीने के लिए मजबूर है. उन्होंने कहा कि पानी की कमी के लिए कई बार प्रशासन और अधिकारियों के समक्ष मामला उठाया गया, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ. लोगों का आरोप है कि भाजपा शासित नगर निगम द्वारा 24 घंटे पानी देने का वादा किया गया था, लेकिन 4 दिन बाद पानी दिया जा रहा है. यही नहीं लोगों ने वीआईपी क्षेत्रों में हर रोज पानी देने के आरोप भी लगाए और अन्य क्षेत्रों में 4 दिन बाद पानी दिया जा रहा है.

Water Crisis In Shimla
शिमला में पानी का संकट, दूषित पेयजल स्रोतों से पानी पीने को मजबूर लोग

45 की बजाय मिला 36 एमएलडी पानी: बता दें कि शहर को शनिवार को भी पानी की सप्लाई 47 की बजाय 36 एमएलडी पानी ही मिला. जल प्रबंधन का दावा है कि आम लोगों को पानी दिया जा रहा है. जबकि असलियत ये है कि तीसरे और चौथे नहीं बल्कि लोगों के घरों में 5 दिन बाद पानी की सप्लाई आ रही है. इससे लोगों की पानी की डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है और लोगों को खासी दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें: Shimla Water Crisis: पेयजल स्रोतों में जल स्तर गिरने से गहराया संकट, अब तीसरे दिन मिलेगी पानी की सप्लाई

शिमला: राजधानी शिमला में पानी का संकट विकराल होता जा रहा (Water Crisis In Shimla) है. शहर में लोगों को तीन से चार दिन बाद पानी की सप्लाई की जा रही है. वहीं अब दूषित स्रोतों से लोग पानी भरने को मजबूर है. जल निगम द्वारा शहर के अधिकतम प्राकृतिक जल स्रोतों को दूषित करार दिया है बावजूद इसके लोग यही से पानी भर रहे हैं. शहर के वार्ड विकासनगर के लोग ऐसे पेयजल स्रोत से पानी पीने को मजबूर है, जिसका पानी पीने योग्य ही नहीं (vikasnagar people drinking dirty water) है.

दूषित स्रोतों से पानी पीने को मजबूर लोग: पिछले एक सप्ताह से विकासनगर में पानी की सप्लाई सुचारू रूप से नहीं आ रही है. मजबूरन लोग पीने के लिए दूषित स्रोतों से पानी भर रहे हैं. घरों के कपड़े धोने के लिए भी महिलाएं दूषित पानी का उपयोग कर रही हैं. स्थानीय अपने पशुओं को पानी पिलाने के लिए भी इसी दूषित पेयजल स्त्रोत पर ला रहे हैं. शहर में पानी के संकट की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोगों के न तो घरों में पीने के लिए पानी बचा है और न ही कपड़े धोने के लिए.

शिमला में पानी का संकट, दूषित पेयजल स्रोतों से पानी पीने को मजबूर लोग

5 दिन बाद मिल रही पानी की सप्लाई: पानी के संकट की यह कहानी विकासनगर ही नहीं बल्कि शहर के अन्य हिस्सों के भी हैं. जहां पर 3-4 दिनों से पानी की सप्लाई नहीं हो पाई है. शिमला जल प्रबंधन की ओर से जो पानी का शेड्यूल 2 दिन पहले जारी किया गया था. उसमें भी अब मनमर्जी चल रही है. जिन स्थानों पर तीसरे दिन पानी देने की बात की है, वहां चौथे या पांचवें दिन पानी की सप्लाई हो रही है. विकासनगर के स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके घरों में पिछले 5 दिन से पानी नहीं आया है. तीन हफ्तों से यही स्थिति है. बीच में पानी आता है, तो उसमें लोगों की डिमांड पूरी करना तो दूर पीने लायक पानी भी नहीं मिल पाता है. जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

लोगों ने नगर निगम पर लगाए आरोप: लोगों का कहना है कि पानी न आने के कारण उन्हें मजबूरन दूषित जल स्रोतों से पानी भरना पड़ रहा है. जहां पर पहले से ही लिखा हुआ है कि यह पानी पीने योग्य नहीं है. इसके बावजूद भी वे यहीं से पानी पीने के लिए मजबूर है. उन्होंने कहा कि पानी की कमी के लिए कई बार प्रशासन और अधिकारियों के समक्ष मामला उठाया गया, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ. लोगों का आरोप है कि भाजपा शासित नगर निगम द्वारा 24 घंटे पानी देने का वादा किया गया था, लेकिन 4 दिन बाद पानी दिया जा रहा है. यही नहीं लोगों ने वीआईपी क्षेत्रों में हर रोज पानी देने के आरोप भी लगाए और अन्य क्षेत्रों में 4 दिन बाद पानी दिया जा रहा है.

Water Crisis In Shimla
शिमला में पानी का संकट, दूषित पेयजल स्रोतों से पानी पीने को मजबूर लोग

45 की बजाय मिला 36 एमएलडी पानी: बता दें कि शहर को शनिवार को भी पानी की सप्लाई 47 की बजाय 36 एमएलडी पानी ही मिला. जल प्रबंधन का दावा है कि आम लोगों को पानी दिया जा रहा है. जबकि असलियत ये है कि तीसरे और चौथे नहीं बल्कि लोगों के घरों में 5 दिन बाद पानी की सप्लाई आ रही है. इससे लोगों की पानी की डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है और लोगों को खासी दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है.

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