शिमला: अनलॉक के पांचवे चरण में केंद्र सरकार की ओर से 15 अक्टूबर से सिनेमा हॉल को खोलने की मंजूरी दे दी है. 50 फीसदी सिटिंग कैपेसिटी के साथ सिनेमा हॉल दोबारा से खोले जाएंगे. इसके साथ ही सेनिटाइजेशन का भी उचित प्रावधान करना होगा. केंद्र सरकार ने तो एसओपी जारी कर दी है.
प्रदेश सरकार की ओर से अभी तक इस बारे में कोई एसओपी जारी नहीं कि गई है और ऐसे में प्रदेश में सिनेमा हॉल मालिकों के लिए असमंजस की स्थिति बन गयी है कि वह 15 अक्टूबर से अपने सिनेमा हॉल खोल पाएंगे या नहीं.
शिमला की बात की जाए तो यहां इस समय तीन ही सिनेमा हॉल हैं. जहां बड़े पर्दे पर लोग फिल्मों को देखने का आनंद ले पाते है. इसमें से एक रिटीज सिनेमा हॉल जो रिज मैदान पर ही स्थित है. उसे कोविड की वजह से इतना नुकसान हुआ है कि अब वह दोबारा से शायद ही खुल पाएगा. यहां तक कि इस सिनेमा हॉल को सेल के लिए डाल दिया गया है और अगर यह प्रोपर्टी बिक जाती है तो यह थियेटर हमेशा के लिए बंद कर दिया जाएगा.
सिनेमा हॉल के हालात बदतर
शहर के 55 साल पुराने शाही थियेटर के भी हालात अच्छे नहीं हैं. कोविड से पहले ही लोग जहां थियेटर में बड़े पर्दे पर फिल्में देखने के लिए कम ही आते थे तो वहीं अब कोविड के बाद ओर बीच हालात और भी ज्यादा बदल गए है. ऐसे में 50 फीसदी सिटिंग कैपेसिटी के साथ दोबारा से सिनेमा हॉल खोलना भी मालिकों को घाटे का सौदा ही नजर आ रहा है. यही वजह भी है कि अब इन्हें दोबारा से खोलने को लेकर रुचि सिनेमा हॉल मालिकों में कम ही दिखाई दे रही है.
सिनेमा हॉल का खर्च उठाना मुश्किल
कोविड-19 के कारण सिनेमा हॉल मार्च माह में ही बंद कर दिए गए थे. तब से यह सिनेमा हॉल बंद पड़े हैं और नुकसान सिनेमा हॉल मालिकों को उठाना पड़ रहा है. कई थियेटर मालिकों ने जहां कमर्चारियों की भी छुट्टी कर दी है, तो वहीं कुछ एक ने आधी सैलरी पर कर्मचारियों को रखा है.
प्रदेश सरकार से SOP नहीं हुई जारी
शाही थिएटर के मालिक साहिल बताते हैं कि अभी तो प्रदेश सरकार की ओर से सिनेमा हॉल खोलने को लेकर किसी तरह की कोई एसओपी और आदेश जारी नहीं किए गए हैं. सरकार जब एसओपी जारी करेगी उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी कि जो नियम तय किए गए हैं उसके तहत सिनेमा हॉल को खोलना मुनाफा देगा या घाटा.
केंद्र की SOP के हिसाब से थियेटर चलाना मुश्किल
50 फीसदी सीटिंग कैपेसिटी के साथ सिनेमा हॉल को खोलने के लिए केंद्र सरकार की एसओपी आ गई है, जिसके हिसाब से सिनेमा हॉल चलाना संभव नहीं है. बंद पड़े थियेटर का भी बिजली पानी और मेंटेनेंस का बिल देना पड़ रहा है. अगर खुलने के बाद भी कर्मचारियों की सैलरी, बिजली, पानी के बिल और मेंटेनेंस का खर्चा भी ना निकले तो फिर थियेटर खोलने का क्या फायदा है.
पुरानी फिल्में दिखाना मजबूरी
थियेटर खोले भी जाते हैं तो पुरानी ही रिपीट फिल्में बड़े पर्दे पर दिखानी पड़ेगी जिसे देखने में लोग रुचि नहीं दिखाएंगे और थियेटर का रुख नहीं करेंगे. ऐसे में अगर थियेटर खोलते हैं तो भी नुकसान ही उठाना पड़ेगा. यही वजह है कि अभी विचार किया जाएगा कि थिएटर को दोबारा से खोला जाए या नहीं. एसआरएस सिनेमा पहले से ही घाटे में चल रहा था तो ऐसे में अभी कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है कि थियेटर अब इस कोविड के नुकसान से उभर पाएंगे और दोबारा से खुल पाएंगे भी या नहीं.
50 सालों से यहां कर रहे काम अब कहां जाएंगे
थियेटर में काम करने वाले कर्मचारियों पर भी कोविड की मार पड़ी है. थियेटर में काम कर रहे कर्मचारी अब अपनी रोजी रोटी के लिए चिंतित है. कोविड के दौरान उन्हें पहले ही आधा वेतन मिल रहा था और अब जब उनकी नौकरियां जाने की कगार पर है. कुछ एक कर्मचारी ऐसे भी हैं जो करीब 55 और 45 वर्षों से इन थियेटर में काम कर रहे हैं. उन कर्मचारियों को कहना है कि इन सिनेमा हाल में काम करते हुए इतना समय बीत चुका है अब कहां और कैसे काम करेंगे.
ऑनलाइन प्लेटफार्म से भी प्रभावित हुआ सिनेमा कारोबार
कोविड-19 की वजह से बॉलीवुड इंडस्ट्री भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. बहुत सी फिल्में थी जो इस बीच रिलीज होनी थी, लेकिन कोविड-19 की वजह से वह रिलीज नहीं हो पाई है. अब ऐसे में सिनेमाघरों को चलाने वाले मालिकों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी बड़ा खतरा बनते नजर आ रहा है. उन्हें इस बात का भी डर है कि कहीं ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ही फिल्में रिलीज ना कर दी जाए. जिसकी वजह से उनका कारोबार बुरी तरह प्रभावित होगा.