शिमला: कोरोना की वजह से प्रदेश में शिक्षण संस्थान बंद हैं. छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए सरकार और प्रशासन की तरफ से ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था की गई, लेकिन यह ऑनलाइन एजुकेशन छात्रों के लिए फायदेमंद कम और हानिकारक ज्यादा साबित हो रहा है. अधिकतर स्कूली छात्रों के पास लैपटॉप, पीसी की सुविधा नहीं है, ऐसे में ज्यादातर बच्चे मोबाइल से ही ऑनलाइन पढ़ाई करते है. जिससे उनकी आंखों पर असर पड़ने लगा है. ज्यादा समय तक मोबाइल चलाने से बच्चों को चश्में लग रहे हैं और जिन बच्चों को पहले से चश्में लगे हुए हैं उनके नंबर बढ़ रहे हैं.
इस संबंध में आईजीएमसी नेत्र विभाग के एचओडी डॉ. रामलाल शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन से लेकर अबतक स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई की जा रही है, लेकिन अगर बच्चे मोबाइल पर आधे घंटे से ज्यादा पढ़ाई करते हैं तो ये उनके लिए घातक साबित हो सकता है. उनका कहना था कि 15 से 30 मिनट तक ऑनलाइन पढ़ाई करने से ज्यादा नुकसान नही है, लेकिन छोटी स्क्रीन पर 1 से 2 घंटे तक तक पढ़ाई करना घातक हो सकता है.
डॉ. रामलाल ने बताया कि यदि कंप्यूटर, लैपटॉप से 3 मीटर की दूरी से पढ़ाई की जाए तो आंखों को कम नुकसान होता है, लेकिन नजदीक से पढ़ाई करना घातक हो सकता है. स्कूलों में टीचर्स को चाहिए कि ऑनलाइन पढ़ाई देर तक ना करवाई जाए, बल्कि बीच मे ऑडियो से पढ़ाई करने की कोशिश करें. उनके पास परिजनों के फोन भी आ रहे हैं और बच्चे भी अस्प्ताल पहुंच रहे है जो ऑनलाइन पढ़ाई करके आंखों की बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं. बीते साल के इस साल मुकाबले अधिक बच्चे आंखों की बीमारी से ग्रस्त हुए हैं. इसके पीछे एक ही कारण है, मोबाइल पर देर तक पढ़ाई करना.
आजकल ऑनलाइन क्लास में बच्चों को पढ़ाया जा ही रहा है. साथ ही, उनसे मोबाइल पर ही नोट करने को कहा जा रहा है. मोबाइल पर देर तक समय बिताने से बच्चों की आंखों पर इसका असर पड़ता है. डॉ. रामलाल का कहना है कि आईजीएमसी में ज्यादातर 10वीं तक के बच्चे आ रहे हैं. 40 मिनट से अधिक ऑनलाइन क्लास नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे लगातार मोबाइल पर बने रहना आंखों के लिए घातक हो रहा है. यही नहीं 5 से 15 साल के बच्चे भी ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से उन्हें भी चश्मे लग रहे है.
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