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हिमाचल में धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून, शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन भी अपराध

देश में सबसे पहले हिमाचल प्रदेश में साल 2006 में धर्मांतरण पर वीरभद्र सिंह सरकार ने कानून बनाया था. बाद में साल 2019 में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार ने धर्मपरिवर्तन पर सख्त कानून बनाया. प्रदेश में धर्मांतरण का दोषी पाए जाने पर सात साल की सजा का भी प्रावधान है. कानून में इस अपराध को संज्ञेय (कॉगजिनेबल) श्रेणी में रखा गया है.

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हिमाचल में धर्मांतरण के खिलाफ कानून
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Published : Jun 24, 2021, 8:30 PM IST

Updated : Jun 24, 2021, 8:36 PM IST

शिमला: देश में इस समय मूक-बधिर युवाओं के धर्मांतरण का मामला चर्चा में है. यूपी एटीएस ने जिस रैकेट का पर्दाफाश किया है, उससे देश भर में धर्मांतरण को लेकर नई बहस छिड़ गई है. हिमाचल की सरकारों ने धर्मांतरण के इस खतरे को काफी पहले ही भांप लिया था. देश में सबसे पहले धर्मांतरण पर वीरभद्र सिंह सरकार ने कानून बनाया था. ये वर्ष 2006 की बात थी. बाद में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने धर्म परिवर्तन पर काफी सख्त कानून बनाया. ये वर्ष 2019 के मानसून सत्र में लाया गया और बाद में उसे राज्यपाल ने मंजूर किया.

इस कानून के अनुसार हिमाचल प्रदेश में जबरन धर्म परिवर्तन पर दोषी को सात साल की सजा होगी. शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन करवाना भी अपराध है. हिमाचल में ये कानून लागू हो चुका है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 2019 यानी दो साल पूर्व विधानसभा के मानसून सत्र में (हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता विधेयक-2019) लाया था. विधानसभा में चर्चा के बाद सदन में इस विधेयक को पारित कर दिया गया था. बाद में राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद कानून लागू हो चुका है.

जयराम सरकार ने नया बिल लाकर बनाया था सख्त कानून

ऐसा ही बिल पहले वीरभद्र सिंह की सरकार के समय में लाया गया था. जयराम सरकार ने नया बिल लाकर इसे सख्त कानून बनाया. हालांकि बिल लाने के समय विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा था कि नया बिल लाने की जरूरत नहीं थी और पुराने बिल में ही संशोधन करना चाहिए था. इस पर सत्ता पक्ष ने तर्क दिया था कि वीरभद्र सिंह की सरकार के समय लाए गए बिल में केवल 8 सेक्शन थे. नए बिल में इसमें दस संशोधन करने पड़ रहे थे. इस प्रकार मूल बिल के आठ सेक्शन में ही यदि दस संशोधन हो जाते तो संशोधन ही बिल से अधिक हो जाने थे. ऐसे में नए बिल की जरूरत थी.

ये हैं बिल के प्रावधान

हिमाचल में लागू कानून में धर्मांतरण का दोषी पाए जाने पर सात साल की जेल का प्रावधान है. ये प्रावधान महिला, एससी, एसटी वर्ग के लिए है. कारण ये है कि धर्म परिवर्तन करवाने वाले समूहों का मुख्य निशाना महिलाएं व एससी-एसटी वर्ग के लोग होते हैं. कानून में इस अपराध को संज्ञेय (कॉगजिनेबल) श्रेणी में रखा है. इससे सरकार के पास धर्म परिवर्तन करवाने में शामिल सामाजिक संस्थाओं, एनजीओ और अन्य संगठनों पर भी सीधी कार्रवाई का अधिकार है. शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन करवाना, मनोवैज्ञानिक दबाव डालना, लालच देकर धर्मांतरण करवाना भी अपराध है.

जो आंखों के सामने हो रहा, उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता

विधानसभा के मानसून सत्र में लाए गए बिल पर चर्चा के जवाब में सीएम जयराम ठाकुर ने कहा था कि ये सच्चाई है कि धर्मांतरण होता है. गरीब लोगों को लालच देकर ऐसा किया जाता है. जो आंखों के सामने हो रहा है, उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा था कि सबसे पहले वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में ये कानून बना. मौजूदा समय में नए और प्रभावी कानून की जरूरत महसूस की जा रही थी. देश के 8 अन्य राज्य भी ऐसा कानून बना चुके हैं.

सीएम ने कहा कि रामपुर, किन्नौर से लेकर प्रदेश के अन्य भागों में जबरन व लालच देकर धर्मांतरण करवाया जा रहा था. उन्होंने कहा कि गरीब की कोई जाति नहीं होती. गरीब लोगों को पैसे का लालच देकर बरगलाया जाता है और धर्म परिवर्तन करवाया जाता है. सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि जो आंखों के सामने हो रहा है, उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता.

धर्मांतरण एक कड़वी सच्चाई

उल्लेखनीय है कि ऊपरी शिमला के कई लोग इसाई बन कर चर्च की प्रार्थना सभाओं में शामिल होते हैं. हालांकि वे इसे स्वेच्छा से अपनाया गया धर्म बताते हैं, लेकिन जानकार लोग कहते हैं कि धर्मांतरण एक कड़वी सच्चाई है. विश्व हिंदू परिषद लव जिहाद के मामले उठाती आई है, लेकिन अभी तक स्पेसिफिकली कोई मामला जबरन धर्मांतरण का हिमाचल में नहीं आया है.

ये भी पढ़ें: विवादों के साए में हिमाचल पुलिस, एक के बाद एक अप्रिय घटनाओं से फीकी पड़ी सफलताओं की चमक

शिमला: देश में इस समय मूक-बधिर युवाओं के धर्मांतरण का मामला चर्चा में है. यूपी एटीएस ने जिस रैकेट का पर्दाफाश किया है, उससे देश भर में धर्मांतरण को लेकर नई बहस छिड़ गई है. हिमाचल की सरकारों ने धर्मांतरण के इस खतरे को काफी पहले ही भांप लिया था. देश में सबसे पहले धर्मांतरण पर वीरभद्र सिंह सरकार ने कानून बनाया था. ये वर्ष 2006 की बात थी. बाद में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने धर्म परिवर्तन पर काफी सख्त कानून बनाया. ये वर्ष 2019 के मानसून सत्र में लाया गया और बाद में उसे राज्यपाल ने मंजूर किया.

इस कानून के अनुसार हिमाचल प्रदेश में जबरन धर्म परिवर्तन पर दोषी को सात साल की सजा होगी. शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन करवाना भी अपराध है. हिमाचल में ये कानून लागू हो चुका है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 2019 यानी दो साल पूर्व विधानसभा के मानसून सत्र में (हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता विधेयक-2019) लाया था. विधानसभा में चर्चा के बाद सदन में इस विधेयक को पारित कर दिया गया था. बाद में राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद कानून लागू हो चुका है.

जयराम सरकार ने नया बिल लाकर बनाया था सख्त कानून

ऐसा ही बिल पहले वीरभद्र सिंह की सरकार के समय में लाया गया था. जयराम सरकार ने नया बिल लाकर इसे सख्त कानून बनाया. हालांकि बिल लाने के समय विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा था कि नया बिल लाने की जरूरत नहीं थी और पुराने बिल में ही संशोधन करना चाहिए था. इस पर सत्ता पक्ष ने तर्क दिया था कि वीरभद्र सिंह की सरकार के समय लाए गए बिल में केवल 8 सेक्शन थे. नए बिल में इसमें दस संशोधन करने पड़ रहे थे. इस प्रकार मूल बिल के आठ सेक्शन में ही यदि दस संशोधन हो जाते तो संशोधन ही बिल से अधिक हो जाने थे. ऐसे में नए बिल की जरूरत थी.

ये हैं बिल के प्रावधान

हिमाचल में लागू कानून में धर्मांतरण का दोषी पाए जाने पर सात साल की जेल का प्रावधान है. ये प्रावधान महिला, एससी, एसटी वर्ग के लिए है. कारण ये है कि धर्म परिवर्तन करवाने वाले समूहों का मुख्य निशाना महिलाएं व एससी-एसटी वर्ग के लोग होते हैं. कानून में इस अपराध को संज्ञेय (कॉगजिनेबल) श्रेणी में रखा है. इससे सरकार के पास धर्म परिवर्तन करवाने में शामिल सामाजिक संस्थाओं, एनजीओ और अन्य संगठनों पर भी सीधी कार्रवाई का अधिकार है. शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन करवाना, मनोवैज्ञानिक दबाव डालना, लालच देकर धर्मांतरण करवाना भी अपराध है.

जो आंखों के सामने हो रहा, उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता

विधानसभा के मानसून सत्र में लाए गए बिल पर चर्चा के जवाब में सीएम जयराम ठाकुर ने कहा था कि ये सच्चाई है कि धर्मांतरण होता है. गरीब लोगों को लालच देकर ऐसा किया जाता है. जो आंखों के सामने हो रहा है, उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा था कि सबसे पहले वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में ये कानून बना. मौजूदा समय में नए और प्रभावी कानून की जरूरत महसूस की जा रही थी. देश के 8 अन्य राज्य भी ऐसा कानून बना चुके हैं.

सीएम ने कहा कि रामपुर, किन्नौर से लेकर प्रदेश के अन्य भागों में जबरन व लालच देकर धर्मांतरण करवाया जा रहा था. उन्होंने कहा कि गरीब की कोई जाति नहीं होती. गरीब लोगों को पैसे का लालच देकर बरगलाया जाता है और धर्म परिवर्तन करवाया जाता है. सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि जो आंखों के सामने हो रहा है, उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता.

धर्मांतरण एक कड़वी सच्चाई

उल्लेखनीय है कि ऊपरी शिमला के कई लोग इसाई बन कर चर्च की प्रार्थना सभाओं में शामिल होते हैं. हालांकि वे इसे स्वेच्छा से अपनाया गया धर्म बताते हैं, लेकिन जानकार लोग कहते हैं कि धर्मांतरण एक कड़वी सच्चाई है. विश्व हिंदू परिषद लव जिहाद के मामले उठाती आई है, लेकिन अभी तक स्पेसिफिकली कोई मामला जबरन धर्मांतरण का हिमाचल में नहीं आया है.

ये भी पढ़ें: विवादों के साए में हिमाचल पुलिस, एक के बाद एक अप्रिय घटनाओं से फीकी पड़ी सफलताओं की चमक

Last Updated : Jun 24, 2021, 8:36 PM IST
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