शिमला: राजधानी शिमला के सरकारी व निजी स्कूलों में तीसरी से सातवीं कक्षा के बच्चों की नियमित कक्षाए शुरू हो गई हैं. शहर के स्कूलों में पहले दिन तीसरी से लेकर सातवीं कक्षा तक के बच्चें कम संख्या में स्कूल पहुंचे, जबकि 8वीं से लेकर 12वीं तक अब सब बच्चें रोज की तरह स्कूल आ रहे है. शिमला के विकास नगर, संजौली, छोटा शिमला, लालपानी, पोर्टमोर, लक्कड़ बाजार, भट्टाकुफर और ढली आदि स्कूलों में बच्चे पहुंचे.
शहर के प्राइमरी स्कूल जिसमें पहले सिर्फ अध्यापक ही आ रहे थे, वहां पर भी आज पहले तीसरी से पांचवीं कक्षाओं के बच्चें स्कूल पहुंचे. स्कूल पहुंचने पर बच्चें काफी खूश नजर आए. पांचवीं से लेकर सातवीं कक्षा के बच्चों से जब बात की गई तो बच्चों का कहना था कि ऑनलाइन क्लासेज में कुछ भी समझ नहीं आ रहा था. स्कूल खुलने से अब हम अपने सभी प्रश्रों के उत्तर प्राप्त कर पाएगें. बच्चों का कहना था कि ऑनलाइन क्लास में खासकर गणित विषय पढ़ना काफी मुश्किल हो रहा था. गणित विषय को पढ़ने के लिए स्कूल आना जरूरी है.
पोर्टमोर स्कूल के प्रधानाचार्य नरेंद्र कुमार सूद ने कहा कि सरकारी व शिक्षा विभाग द्वारा जारी गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है. बच्चों को गाइड लाइन के मुताबिक स्कूल बुलाया गया है उनके बैठने के लिए भी उचित इंतजाम किए गए हैं. लालपानी स्कूल में 6वीं से 8वीं तक के बच्चें पुरानी समय सारणी के मुताबिक सुबह 8 बजे बुलाए जा रहे है और 2 बजे घर भेजा जा रहा है. इसके अलावा 9वीं से 12वीं कक्षा के बच्चे शाम 2 बजे से स्कूल बुलाए जा रहे हैं.
विकास नगर स्कूल में छठी से आठवीं कक्षा में पहले दिन लगभग 50 प्रतिशत बच्चें पहुंचे. स्कूल में 95 छात्रों में से 53 छात्र स्कूल पहुंचे. वहीं, लक्कड़ बाजार स्कूल में भी छठी से आठवीं कक्षा में 40 बच्चे ही पहुंचे, जबकि पोर्टमोर में बच्चों की संख्या ठीक रही. यहां पर 100 बच्चों में से 50 बच्चें स्कूल पहुंचे. इसके अलावा संजौली व लालपानी स्कूल में भी 50 प्रतिशत के करीब बच्चें स्कूल पहुंचे. पहले बच्चों के स्कूल पहुंचने पर शिक्षकों व बच्चों के चेहरे पर रौनक दिखी. शिक्षकों का भी कहना था कि जो पढ़ाई बच्चों को स्कूल में करवाई जा सकती है. वह ऑनलाइन क्लासेज में नहीं हो सकती.
बता दें कि स्कूल प्रशासन ने कैबिनेट फैसले के बाद ही अपने स्कूल में कक्षाओं को लेकर तैयारियां शुरू कर दी थी. कक्षाएं शुरू होने से पहले सभी स्कूलों को सेनेटाइज किया गया. इससे पहले सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों को जारी एसओपी के तहत कक्षा में 50 प्रतिशत छात्रों के बैठने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन अब यह शर्त हटा दी गई है. जिसके सभी छात्र नियमित कक्षा के लिए स्कूल आएगे, लेकिन छात्रों को बैठने और कक्षा की व्यवस्था स्कूल के माइक्रो प्लान के अनुसार होगा.
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