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रामपुर में धूमधाम से शुरू हुआ श्रावण मेला, 9 नागों की मां के वापस आने पर किया जाता है आयोजित

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Published : Jul 28, 2019, 11:29 PM IST

Updated : Jul 28, 2019, 11:48 PM IST

प्राचीन मेला रामपुर उपमंडल के क्षेत्र सरपारा में आयोजित किया गया, जिसमें स्थानीय महिलाएं पारम्परिक वेषभूषा पहनकर नाटी डाली.

Sawan Mela start in rampur

रामपुर: प्रदेश में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक मेलों का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया जाता है. इन मेलों में स्थानीय देवी-देवता भी शामिल होते हैं. ऐसा ही प्राचीन मेला रामपुर उपमंडल के क्षेत्र सरपारा में आयोजित किया गया.

मेले को मनाने के पीछे मान्यता है कि सरपारा गांव में एक प्राकृतिक झील बनी हुई है, जहां से 9 नागों की उत्पत्ति हुई थी. नागों की मां एक महीने के लिए खो गई थी और एक महीने के बाद वापस घर लौटी थी, जिसके उपलक्ष्य में मेले का आयोजन किया जाता है. मेले के समापन पर ग्रामीण देवताओं का आशीर्वाद लेकर अपने घर लौट जाते हैं. साथ ही क्षेत्र में सुख शांति रहने की कामना करते हैं.

वीडियो

बता दें कि क्षेत्र सरपारा में आयोजित मेला श्रावण मास में मनाया जाता है. मेले में देवी-देवता शिरकत करते हैं. इसी दौरान स्थानीय महिलाएं पारम्परिक वेषभूषा पहनकर नाटी डालती हैं. ये मेला चार दिन तक चलता है.

रामपुर: प्रदेश में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक मेलों का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया जाता है. इन मेलों में स्थानीय देवी-देवता भी शामिल होते हैं. ऐसा ही प्राचीन मेला रामपुर उपमंडल के क्षेत्र सरपारा में आयोजित किया गया.

मेले को मनाने के पीछे मान्यता है कि सरपारा गांव में एक प्राकृतिक झील बनी हुई है, जहां से 9 नागों की उत्पत्ति हुई थी. नागों की मां एक महीने के लिए खो गई थी और एक महीने के बाद वापस घर लौटी थी, जिसके उपलक्ष्य में मेले का आयोजन किया जाता है. मेले के समापन पर ग्रामीण देवताओं का आशीर्वाद लेकर अपने घर लौट जाते हैं. साथ ही क्षेत्र में सुख शांति रहने की कामना करते हैं.

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बता दें कि क्षेत्र सरपारा में आयोजित मेला श्रावण मास में मनाया जाता है. मेले में देवी-देवता शिरकत करते हैं. इसी दौरान स्थानीय महिलाएं पारम्परिक वेषभूषा पहनकर नाटी डालती हैं. ये मेला चार दिन तक चलता है.

Intro:रामपुर बुशहर 28 जुलाई मीनाक्षी


Body:हिमाचल प्रदेश में आज भी ग्रामीणा क्षेत्रों में पारम्परिक मेलों का आयोजन बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं । इन मेलों में स्थानिय देवी देवता भी शामिल होते है । यह देवी देवता यहां के ग्रामीण लोगों के जीवन का एक हिस्सा मानें जाते हैं । यहां के देवी देवता देवलुओं व वाद्य यंत्रों के साथ मेलों में शामिल होते है । जो मेलों की शोभा को बडाते है। ऐसा ही प्राचीन मेला आए दिन ग्रामीण क्षेत्र शिमला जिला के रामपुर उपमंडलके अंतर्गत आने वाले क्षेत्र सरपारा में आयोजित किया गया । यह मेला सावन के महीने में मनाया जाता है । इस मेले में तीन देवताओं ने शिरकत की ।
इस दौरान क्षेत्र के लोगों ने मेले में शिरकत की और नाटी लगाकर खुब झुमे । कई महिलाएं अपने पारम्परिक वेषभूषा के साथ नाटी लगाते हुए नजर आई ।
सरपारा गांव में यह मेला प्राचीन काल से मनाया जा रहा है । इस मेले को मनाने के पीछे मान्यता है कि सरपारा गांव में एक प्राकृतिक झील बनी हुई है जहां से 9 नागों की उत्पत्ति हुई थी । उनकीं माँ एक महिने के लिए खो गई थी तभी वह एक महिने के बाद वापस घर लौटी तो उसके वापस आने पर इस मेले का आयोजन किया गया । जिसे आज भी वहां के ग्रामीण मनाते आ रहे हैं । यह मेला चार दिन तक चलता है । कल यह मेला समाप्त हो जाएगा और देवता अपने अपने मंदिर को रवाना हो जाएंगे । इस दौरान मेले में आए ग्रामीण देवताओं का आश्रीवाद लेकर लेकर अपने घर लौट जाते हैं । क्षेत्र में सुख शांति बनें रहनें की देवताओं से कामना करते हैं ।

बाईट : आत्मा राम केदारटा स्थानिय ग्रामीण सरपारा गांव ।


Conclusion:
Last Updated : Jul 28, 2019, 11:48 PM IST
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