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प्रवासी हिमाचलियों का मेडिकल शिक्षा में 85 फीसदी कोटा बहाल करे सरकार: राजेंद्र ठाकुर

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Published : Nov 30, 2021, 4:57 PM IST

Updated : Nov 30, 2021, 6:14 PM IST

प्रवासी हिमाचली लोगों के खेत खलियान व जन्मभूमि हिमाचल की है. रोजगार के चलते लोग मजबूरी से हिमाचल से बाहरी राज्य में गए हैं, लेकिन प्रदेश सरकार प्रवासियों को हिमाचली मानने को तैयार नहीं है. यह बात शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान अखिल भारतीय प्रवासी (Pravasi Himachali United Front) हिमाचली संयुक्त मोर्चा के कोर प्रतिनिधि राजेंद्र ठाकुर ने कही. उन्होंने कहा कि बाहरी राज्य में रह रहे हिमाचल के प्रवासी छात्र मेडिकल शिक्षा में रोजगार पाने के लिए तरस रहे हैं. बच्चों ने 12वीं तक की पढ़ाई तो बाहरी राज्य से कर ली है, लेकिन हिमाचल में प्रवासी छात्र मेडिकल शिक्षा क्षेत्र एमबीबीएस, बीडीएस व आयुर्वेद में नीट की परीक्षा नहीं दे सकते.

Press conference of core representative of All India Pravasi Himachali United Front Rajendra Thakur in Shimla
फोटो.

शिमला: प्रवासी हिमाचली लोगों के खेत खलियान व जन्मभूमि हिमाचल की है. रोजगार के चलते लोग मजबूरी से हिमाचल से बाहरी राज्य में गए हैं, लेकिन प्रदेश सरकार प्रवासियों को हिमाचली मानने को तैयार नहीं है. अगर हिमाचल सरकार इन लोगों को हिमाचली मानने को तैयार होती तो बच्चों के लिए मेडिकल शिक्षा में 85 प्रतिशत कोटा को बहाल करती. यह बात शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान अखिल भारतीय प्रवासी हिमाचली (Pravasi Himachali United Front) संयुक्त मोर्चा के कोर प्रतिनिधि राजेंद्र ठाकुर ने कही.

उन्होंने कहा कि बाहरी राज्य में रह रहे हिमाचल के प्रवासी छात्र (Medical education to migrant Himachalis) मेडिकल शिक्षा में रोजगार पाने के लिए तरस रहे हैं. बच्चों ने 12वीं तक की पढ़ाई तो बाहरी राज्य से कर ली है, लेकिन हिमाचल में प्रवासी छात्र मेडिकल शिक्षा क्षेत्र एमबीबीएस, बीडीएस व आयुर्वेद में नीट की परीक्षा नहीं दे सकते.

सवाल यह है कि 2018 में भाजपा सरकार के आने पर प्रवासियों के लिए मेडिकल शिक्षा में 85 प्रतिशत कोटे पर प्रतिबंध (Restriction on quota in medical education) लगा दिया था, लेकिन अब इस कोटे को बहाल नहीं किया जा रहा है. ऐसे में अब प्रवासियों में सरकार के खिलाफ रोष पनप गया है. बाहरी राज्य में 14 लाख के करीब प्रवासी रोजगार कर रहे हैं. यहां तक मत का प्रयोग भी प्रवासी हिमाचल में करते हैं. ऐसे में उनके बच्चे अगर हिमाचल में नीट का एगजाम (Neet exam in himachal) देना चाहते है तो प्रवेश ही नहीं दिया जाता है.

वीडियो.

उन्होंने कहा कि 2013 से 2017 तक कांग्रेस सरकार के दौरान बच्चों के दाखिले हो रहे थे, लेकिन भाजपा सरकार के दौरान प्रतिबंध लगा दिया गया. प्रवासी हिमाचल में राज्यपाल व मुखयमंत्री तक मिल चुके हैं. फिर अभी तक इस कोटे को बहाल करने को लेकर कोई कदम नहीं उठाए गए हैं. प्रवासी पहले 1995 से इस लड़ाई लड़ रहे थे और 2013 में वे अपनी लड़ाई लड़ने में कामयाब हो गए थे. अब फिर से प्रतिबंध लगा है. प्रवासियों का कहना है कि उनसे उनका मूल अधिकार न छीना जाए. राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि अगर बच्चों ने बाहरी राज्य में पढ़ाई की है तो क्या वे हिमाचली नहीं है. जिन प्रवासी के बच्चे बाहर पढ़ रहे हैं वे बाहरी राज्य में निजी क्षेत्रों में काम कर रहे है. हालांकि सरकारी कर्मचारियों के बच्चों पर यह प्रतिबंध नहीं है.

प्रवासियों का आरोप है दिल्ली एनसीआर, मुंबई महाराष्ट्र, गुजरात, राज्यस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गोवा, चंडीगढ़, पंजाब सहित देश के अन्य राज्यों में रहकर अपने लिए रोटी रोजगार की स्वयं व्यवस्था कर अपने परिवार के साथ अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिए पढ़ा रहे हैं. प्रवासियों ने सरकार से मांग की है कि शीघ्र सरकार मांग को पूरी करे, अगर मांगें पूरी नहीं की जाती है तो प्रवासी शीघ्र ही दिल्ली में एक बैठक करेंगे और आगामी रणनीति तैयार करेंगे.

ये भी पढ़ें- KULLU FIRE ACCIDENT: बंजार में भीषण आग की चपेट में आया जिला परिषद सदस्य का घर, लाखों का नुकसान

शिमला: प्रवासी हिमाचली लोगों के खेत खलियान व जन्मभूमि हिमाचल की है. रोजगार के चलते लोग मजबूरी से हिमाचल से बाहरी राज्य में गए हैं, लेकिन प्रदेश सरकार प्रवासियों को हिमाचली मानने को तैयार नहीं है. अगर हिमाचल सरकार इन लोगों को हिमाचली मानने को तैयार होती तो बच्चों के लिए मेडिकल शिक्षा में 85 प्रतिशत कोटा को बहाल करती. यह बात शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान अखिल भारतीय प्रवासी हिमाचली (Pravasi Himachali United Front) संयुक्त मोर्चा के कोर प्रतिनिधि राजेंद्र ठाकुर ने कही.

उन्होंने कहा कि बाहरी राज्य में रह रहे हिमाचल के प्रवासी छात्र (Medical education to migrant Himachalis) मेडिकल शिक्षा में रोजगार पाने के लिए तरस रहे हैं. बच्चों ने 12वीं तक की पढ़ाई तो बाहरी राज्य से कर ली है, लेकिन हिमाचल में प्रवासी छात्र मेडिकल शिक्षा क्षेत्र एमबीबीएस, बीडीएस व आयुर्वेद में नीट की परीक्षा नहीं दे सकते.

सवाल यह है कि 2018 में भाजपा सरकार के आने पर प्रवासियों के लिए मेडिकल शिक्षा में 85 प्रतिशत कोटे पर प्रतिबंध (Restriction on quota in medical education) लगा दिया था, लेकिन अब इस कोटे को बहाल नहीं किया जा रहा है. ऐसे में अब प्रवासियों में सरकार के खिलाफ रोष पनप गया है. बाहरी राज्य में 14 लाख के करीब प्रवासी रोजगार कर रहे हैं. यहां तक मत का प्रयोग भी प्रवासी हिमाचल में करते हैं. ऐसे में उनके बच्चे अगर हिमाचल में नीट का एगजाम (Neet exam in himachal) देना चाहते है तो प्रवेश ही नहीं दिया जाता है.

वीडियो.

उन्होंने कहा कि 2013 से 2017 तक कांग्रेस सरकार के दौरान बच्चों के दाखिले हो रहे थे, लेकिन भाजपा सरकार के दौरान प्रतिबंध लगा दिया गया. प्रवासी हिमाचल में राज्यपाल व मुखयमंत्री तक मिल चुके हैं. फिर अभी तक इस कोटे को बहाल करने को लेकर कोई कदम नहीं उठाए गए हैं. प्रवासी पहले 1995 से इस लड़ाई लड़ रहे थे और 2013 में वे अपनी लड़ाई लड़ने में कामयाब हो गए थे. अब फिर से प्रतिबंध लगा है. प्रवासियों का कहना है कि उनसे उनका मूल अधिकार न छीना जाए. राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि अगर बच्चों ने बाहरी राज्य में पढ़ाई की है तो क्या वे हिमाचली नहीं है. जिन प्रवासी के बच्चे बाहर पढ़ रहे हैं वे बाहरी राज्य में निजी क्षेत्रों में काम कर रहे है. हालांकि सरकारी कर्मचारियों के बच्चों पर यह प्रतिबंध नहीं है.

प्रवासियों का आरोप है दिल्ली एनसीआर, मुंबई महाराष्ट्र, गुजरात, राज्यस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गोवा, चंडीगढ़, पंजाब सहित देश के अन्य राज्यों में रहकर अपने लिए रोटी रोजगार की स्वयं व्यवस्था कर अपने परिवार के साथ अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिए पढ़ा रहे हैं. प्रवासियों ने सरकार से मांग की है कि शीघ्र सरकार मांग को पूरी करे, अगर मांगें पूरी नहीं की जाती है तो प्रवासी शीघ्र ही दिल्ली में एक बैठक करेंगे और आगामी रणनीति तैयार करेंगे.

ये भी पढ़ें- KULLU FIRE ACCIDENT: बंजार में भीषण आग की चपेट में आया जिला परिषद सदस्य का घर, लाखों का नुकसान

Last Updated : Nov 30, 2021, 6:14 PM IST
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