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कोरोना इफेक्ट: दुरहा में इस बार नहीं मनाया जा रहा प्राचीन व ऐतिहासिक पजाई मेला

पजाई मेला सावन के महीने की पांचवी प्रविष्टि को मनाया जाता है, इस मेले की एक अनोखी छटा है, सावन के महीने में मनाया जाने वाला ये मेला बड़ा मशहूर है. इस मेले को देखने आस-पास के बहुत से गांव के लोग आते है.

Pazai Fair not celebrated in kullu district
माता भुवनेश्वरी मंदिर
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Published : Jul 22, 2020, 5:46 PM IST

रामपुर/कुल्लूः जिला कुल्लू के दूर दराज क्षेत्र दुरहा में इस बार प्राचीन व ऐतिहासिक पजाई मेला नहीं मनाया जा रहा है. कई सालों से लगातार मनाया जाने वाला ये मेला कोरोना महामारी के चलते इस बार नहीं मनाया जा रहा.

जानकारी के अनुसार यह मेला सावन के महीने की पांचवी प्रविष्टि को मनाया जाता है, इस मेले की एक अनोखी छटा है, सावन के महीने में मनाया जाने वाला ये मेला बड़ा मशहूर है. इस मेले को देखने आस-पास के बहुत से गांव के लोग आते है.

वीडियो रिपोर्ट.

माता के मंदिर की अगर बात की जाएं तो यह मंदिर काष्ठ प्रस्तर निर्मित काठकुणी शैली से बना एक मंजिल का है. इसकी खास बात ये है कि मंदिर लगभग तीन सौ साल पुराना है. इसके गर्भगृह द्वार पर काष्ठकला है. गर्भगृह के बाहर लकड़ी के स्तम्ब पर छत बनाई गई है. इसके नीचे खुले कक्ष में हवन कुंड है. माता के अधिकार क्षेत्र गांव गौरा, शाईं, शेगनी, शमोह,जगेढ, बखुन, जलोड़ी, पडौर,सम्पूर्ण लोट व दुरहा पंचायत.

मेले के दिन माता भुवनेश्वरी के रथ को सजाया जाता है. जब माता के इस रूप के दर्शन होते है तो सब लोगों को बड़े आनंद एवम सुख की अनुभूति होती है. साथ ही सब लोग माता से अपने परिवार की सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते है.

बता दें कि पजाई मेला दो दिन तक चलता है. लोग पारंपारिक नाटी डालकर मेले का आनंद लेते हैं. मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इस रात कार्यक्रम में स्थानीय एवं बाहर से बुलाए गए कलाकार सांस्कृतिक संध्या में अपनी प्रस्तुति देकर लोगों का मनोरंजन करते हैं. मेले से पहले खेलकूद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है. इस मेले के मुख्य आकर्षण खेल बॉलीबॉल व कबड्डी प्रतियोगिता होती है. इसमें लोग बड़चढ़ कर भाग लेते हैं .

ये भी पढ़ें: नाहन के गोबिंदगढ़ मोहल्ले में प्रशासन ने बांटी 200 आयुष किटें, इम्यूनिटी बढ़ाने का प्रयास

रामपुर/कुल्लूः जिला कुल्लू के दूर दराज क्षेत्र दुरहा में इस बार प्राचीन व ऐतिहासिक पजाई मेला नहीं मनाया जा रहा है. कई सालों से लगातार मनाया जाने वाला ये मेला कोरोना महामारी के चलते इस बार नहीं मनाया जा रहा.

जानकारी के अनुसार यह मेला सावन के महीने की पांचवी प्रविष्टि को मनाया जाता है, इस मेले की एक अनोखी छटा है, सावन के महीने में मनाया जाने वाला ये मेला बड़ा मशहूर है. इस मेले को देखने आस-पास के बहुत से गांव के लोग आते है.

वीडियो रिपोर्ट.

माता के मंदिर की अगर बात की जाएं तो यह मंदिर काष्ठ प्रस्तर निर्मित काठकुणी शैली से बना एक मंजिल का है. इसकी खास बात ये है कि मंदिर लगभग तीन सौ साल पुराना है. इसके गर्भगृह द्वार पर काष्ठकला है. गर्भगृह के बाहर लकड़ी के स्तम्ब पर छत बनाई गई है. इसके नीचे खुले कक्ष में हवन कुंड है. माता के अधिकार क्षेत्र गांव गौरा, शाईं, शेगनी, शमोह,जगेढ, बखुन, जलोड़ी, पडौर,सम्पूर्ण लोट व दुरहा पंचायत.

मेले के दिन माता भुवनेश्वरी के रथ को सजाया जाता है. जब माता के इस रूप के दर्शन होते है तो सब लोगों को बड़े आनंद एवम सुख की अनुभूति होती है. साथ ही सब लोग माता से अपने परिवार की सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते है.

बता दें कि पजाई मेला दो दिन तक चलता है. लोग पारंपारिक नाटी डालकर मेले का आनंद लेते हैं. मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इस रात कार्यक्रम में स्थानीय एवं बाहर से बुलाए गए कलाकार सांस्कृतिक संध्या में अपनी प्रस्तुति देकर लोगों का मनोरंजन करते हैं. मेले से पहले खेलकूद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है. इस मेले के मुख्य आकर्षण खेल बॉलीबॉल व कबड्डी प्रतियोगिता होती है. इसमें लोग बड़चढ़ कर भाग लेते हैं .

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