शिमला: मानव भारती विश्वविद्यालय (Manav Bharati University) ने अभी तक कुल 41,479 डिग्रियां बांटी हैं. प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेगुलेटरी कमीशन द्वारा की गई जांच में सिर्फ 5455 डिग्रियां ही वैध पाई गई हैं. यह बात शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने शुक्रवार को कही. उन्होंने कहा कि जांच में सामने आया है कि अभी तक मानव भारती विश्व विद्यालय द्वारा 36,024 जाली डिग्रियां बांटी गई हैं. शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने आरोपी पर कार्रवाई करते हुए राज कुमार राणा की 115.02 बीघा जमीन की रेड एंट्री करवा दी है.
मंत्री ने कहा कि मामले में अभी तक 17 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चकुा है. हालांकि कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा के द्वारा बार-बार यह प्रश्न पूछा जा रहा है कि सरकार ने राज कुमार राणा की जमानत के खिलाफ डबल बैंच और सुप्रीम कोर्ट में क्यों अपील नहीं कि और इतनी आसानी से आरोपी को क्यों जमानत मिल गई. वहीं, इस पर सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि मामले में राजकुमार राणा के 191 बैंक अकाउंट अटैच किए गए हैं और 199 करोड़ क संपत्ति जब्त की गई है.
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि फर्जी डिग्री (Fake Degree scam in Himachal) विक्रय से प्राप्त आय से राज कुमार राणा ने राजस्थान में करीब 5 करोड़ 47 अचल संपत्तियां खरीदी हैं. जिस पर ईडी ने 194.17 करोड़ की संपत्ति को जब्त करवा दिया है. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया में रह रहे राज कुमार राणा के परिजनों के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर नोटिस ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन से जारी किए गए हैं. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से सरकार को 6 जनवरी 2020 को प्राप्त शिकायत प्रत्र के अनुसार दो निजी विश्वविद्यालयों एपीजी शिमला यूनिवर्सिटी और मानव भारती यूनिवर्सिटी सोलन (Manav Bharati University Fake degree) पर डिग्रियां बेचने का आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी. वर्तमान सरकार किसी भी सूरत में आरोपियों को बख्शने के मूड में नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर 2012 से ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाती, तो आज तक आरोपी को सजा मिल चुकी होती. यह मामला 2016 में सामने आया, जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी. उस समय प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेगुलेटरी कमीशन (University regulatory commission Himachal) ने भी कहा था कि मानव भारती यूनिवर्सिटी में फर्जी कोर्स चल रहे हैं, लेकिन उस समय कोई कार्रवाई नहीं हुई.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि 2016 में अनेक यूनिवर्सिटी के ऊपर फर्जी डिग्रियां बेचने का मामला सामने आया था. उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार के बनते ही प्रदेश सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी थी और 16 जनवरी 2020 को यह मामला प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेगुलेटरी कमीशन को भेजा गया था. इसके बाद मामले में तीन एफआईआर दर्ज की गई थी. शिक्षा मंत्री ने कहा कि इन तीनों एफआईआर में 62 धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
उन्होंने कहा कि अतिरिक्त महानिरीक्षक निरीक्षक विभाग के नेतृत्व में 19 सदस्यों की एक एसआईटी भी बनाई गई है. जिस टीम में ईडी और एक्साइज विभाग के अधिकारी शामिल किए गए हैं, ताकि मामले की विस्तृत जांच हो सके. शिक्षा मंत्री ने कहा कि 2016 में जब पंचकूला की एक शिकायत पर जांच की गई, तो वह फर्जी पाई गई थी. लेकिन, अगर 2016 में ही सख्ती से कार्रवाई की गई होती, तो आज आरोपी सलाखों के पीछे होते.
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