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महाशिवरात्रि: भस्मासुर बचने के लिए इस गुफा में पहुंचे थे शिव शंकर

रामपुर के साथ सटे देवढंक में शिवरात्रि पर्व के अवसर पर भगवान शिव को समर्पित गुफा के दर्शनों के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है. बताया जाता है कि भगवान शिव के पीछे भस्मासुर पड़े थे तो उस समय भोलेनाथ इस गुफा से होते हुए श्रीखंड में प्रकट हो गए थे.

mahashivratri rampur bushahar
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Published : Feb 21, 2020, 8:05 PM IST

रामपुरः राजधानी शिमला के उपमंडल रामपुर के साथ सटे देवढंक में एक अनोखी और अद्भुत गुफा मौजूद है. यहां पर हर साल शिवरात्रि पर्व के अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. शिवरात्रि के दिन यहां पर भव्य सजावट की जाती है.

लोगों की मान्यता है कि इस गुफा के अंदर से एक सीधी सुरंग श्रीखंड में निकलती हैं. इस गुफा के बारे में बताया जाता है कि भगवान शिव के पीछे भस्मासुर पड़े थे तो उस समय भोलेनाथ इस गुफा से श्रीखंड में प्रकट हो गए थे. दूर-दूर से यहां श्रद्धालु माथा टेकने आते हैं.

देवढंक में इस गुफा के अंदर शिव व अन्य देवी-देवताओं की प्राकृतिक मूर्तियां भी बनी हुई हैं जिस पर गुफा की छत से पानी की बूंदें टपकती हैं. इस पानी से यहां पर एक छोटी सी झील बनी हुई है जहां से श्रद्धालु पानी को अपने घर ले जाते हैं.

वीडियो.

भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं के दर्शनों के बाद श्रद्धालु इस गुफा से दूसरी ओर निकलते हैं. गुफा के अंदर व बाहर जाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. भीतर का रास्ता काफी तंग है. ऐसे में पत्थर के बीच से लेट कर ही गुजरना पड़ता है.

यहां पर श्रद्धालु ऊपर की ओर से गुफा में प्रवेश करते हुए नीचे की तरफ से बाहर निकलते हैं. दोनों तरफ से श्रद्धालुओं की यहां पर परीक्षा होती है. शिवरात्रि के दिन हजारों की संख्या में शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं. उनके लिए यहां पर विशेष व्यवस्था की जाती है. शिवरात्री पर्व के दूसरे दिन भंडारे का आयोजन भी यहां पर किया जाता है.

ये भी पढ़ें- महाशिवरात्रि विशेष: छोटी काशी मंडी में माधव राय मंदिर से भूतनाथ मंदिर तक निकाली गई शोभायात्रा

रामपुरः राजधानी शिमला के उपमंडल रामपुर के साथ सटे देवढंक में एक अनोखी और अद्भुत गुफा मौजूद है. यहां पर हर साल शिवरात्रि पर्व के अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. शिवरात्रि के दिन यहां पर भव्य सजावट की जाती है.

लोगों की मान्यता है कि इस गुफा के अंदर से एक सीधी सुरंग श्रीखंड में निकलती हैं. इस गुफा के बारे में बताया जाता है कि भगवान शिव के पीछे भस्मासुर पड़े थे तो उस समय भोलेनाथ इस गुफा से श्रीखंड में प्रकट हो गए थे. दूर-दूर से यहां श्रद्धालु माथा टेकने आते हैं.

देवढंक में इस गुफा के अंदर शिव व अन्य देवी-देवताओं की प्राकृतिक मूर्तियां भी बनी हुई हैं जिस पर गुफा की छत से पानी की बूंदें टपकती हैं. इस पानी से यहां पर एक छोटी सी झील बनी हुई है जहां से श्रद्धालु पानी को अपने घर ले जाते हैं.

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भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं के दर्शनों के बाद श्रद्धालु इस गुफा से दूसरी ओर निकलते हैं. गुफा के अंदर व बाहर जाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. भीतर का रास्ता काफी तंग है. ऐसे में पत्थर के बीच से लेट कर ही गुजरना पड़ता है.

यहां पर श्रद्धालु ऊपर की ओर से गुफा में प्रवेश करते हुए नीचे की तरफ से बाहर निकलते हैं. दोनों तरफ से श्रद्धालुओं की यहां पर परीक्षा होती है. शिवरात्रि के दिन हजारों की संख्या में शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं. उनके लिए यहां पर विशेष व्यवस्था की जाती है. शिवरात्री पर्व के दूसरे दिन भंडारे का आयोजन भी यहां पर किया जाता है.

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